''दादी को बेहोश कर बुलाती थी बॉयफ्रेंड...'' संत प्रेमानंद के सामने फूट-फूटकर रोई 18 साल की लड़की
punjabkesari.in Wednesday, Jul 09, 2025 - 11:31 AM (IST)

नारी डेस्क: वृंदावन के शांत और पवित्र वातावरण में हाल ही में ऐसा वाकया सामने आया जिसने वहां मौजूद हर श्रद्धालु को हिलाकर रख दिया। यहां देश-विदेश से लोग प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन और उनके जीवन के मार्गदर्शन के लिए आते हैं। लेकिन एक 18 साल की लड़की वहां अपने अंदर छिपे अंधकार को उजागर करने और उजाले की तलाश में आई थी।
18 साल की लड़की का दर्दनाक खुलासा
वह लड़की साधारण श्रद्धालु की तरह नहीं आई थी। उसने प्रेमानंद जी महाराज के सामने अपनी जिंदगी के कुछ ऐसे कड़वे सच रखे, जिन्हें सुनकर आश्रम में मौजूद सभी लोग चौंक गए और स्तब्ध हो गए। उसने बताया कि किस तरह नशा और गलत संगति ने उसकी सोच और जीवन दोनों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था।
“मैं सिर्फ 18 की हूं, लेकिन सबकुछ बिगाड़ लिया”
लड़की ने रोते हुए स्वीकार किया कि वह नशे की लत में फंसी हुई है। शराब, सिगरेट और बेकाबू व्यवहार उसकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुके थे। सबसे चौंकाने वाली बात उसने यह कही कि एक बार वह एक पुरुष को घर लाना चाहती थी और इसके लिए उसने अपनी दादी को नशे की दवा देकर सुला दिया था।
लड़की ने कहा, "महाराज जी, मुझे नहीं पता मैं क्या बन गई हूं। मैंने बहुत गलतियां की हैं, लेकिन अब मैं सच में बदलना चाहती हूं।"उसकी आंखों में अपराधबोध और मदद की गुहार साफ नजर आ रही थी।
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प्रेमानंद जी का कड़ा लेकिन आशा भरा जवाब
संत प्रेमानंद जी ने बड़ी स्पष्टता से कहा, "अगर तुम सच में बदलना चाहती हो तो यह पहला कदम है। लेकिन याद रखो जब तक तुम खुद को बदलने का फैसला नहीं करोगी तब तक दुनिया की कोई ताकत तुम्हें बदल नहीं सकती।" उन्होंने लड़की को दो महत्वपूर्ण बातें समझाईं, नशा और गलत संगति को तुरंत छोड़ दो। अपने बीते हुए कल को भूल जाओ और भविष्य की ओर देखो। जब लड़की ने कहा कि अब उसके अंदर हिम्मत नहीं बची है, तब प्रेमानंद जी ने कड़ा जवाब दिया, "तुममें हिम्मत नहीं है? तुमने शराब पी, सिगरेट पी, दादी को नशा दिया ये सब करने की ताकत तो थी। तो फिर सुधारने की ताकत भी तुम्हारे अंदर ही होगी। अगर इंसान अपने कर्मों की जिम्मेदारी से भागे तो ये बहुत बड़ी कमजोरी है।"
परिवार ने भी तोड़ा रिश्ता, बेदखल करने की धमकी
लड़की अकेली नहीं थी, उसका परिवार भी अब उसे अपनाने को तैयार नहीं था। माता-पिता ने उसे घर से निकालने की बात कही और उसकी बेदखली की प्रक्रिया शुरू कर दी। प्रेमानंद जी ने परिवार से कहा, "जब कोई व्यक्ति सुधारने की कोशिश करता है तो समाज और परिवार को उसे सहारा देना चाहिए। अगर आप आज उसे बाहर निकाल देंगे, तो वह और नीचे गिर जाएगी। उसे परेशान मत करो, एक मौका दो, वरना उसकी दुर्गति तय है।"