बच्चों के लिए नए नियम, बिना पेरेंट्स की इजाज़त नहीं बनेगा सोशल मीडिया अकाउंट

punjabkesari.in Saturday, Jan 04, 2025 - 10:40 AM (IST)

 नारी डेस्क: भारत सरकार ने बच्चों की डेटा सुरक्षा और ऑनलाइन गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए माता-पिता या अभिभावक की अनुमति लेनी होगी। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने व्यक्तिगत डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP) 2023 के तहत नए नियमों का मसौदा जारी किया है।

मसौदा नियमों की मुख्य बातें

माता-पिता की अनुमति अनिवार्य

18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अकाउंट बनाने के लिए अब माता-पिता या अभिभावक की अनुमति अनिवार्य होगी। यह प्रावधान बच्चों को ऑनलाइन खतरों, गलत सूचनाओं और साइबर बुलिंग से बचाने के लिए बनाया गया है। इसके जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि बच्चे डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग जिम्मेदारी से करें और उनका डेटा सुरक्षित रहे। माता-पिता को इस प्रक्रिया में शामिल करने से बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने में भी आसानी होगी।

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डेटा फिड्यूशरी पर जुर्माने का प्रावधान

अगर कोई सोशल मीडिया कंपनी या डेटा फिड्यूशरी इन नियमों का पालन नहीं करती है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस नियम के तहत, डेटा का गलत इस्तेमाल करने या बच्चों की सहमति को नजरअंदाज करने वाली कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह कदम कंपनियों को अधिक जिम्मेदार बनाने के लिए उठाया गया है ताकि वे बच्चों के डेटा को संरक्षित रखने और नियमों का पालन करने में गंभीर रहें।

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जनता से सुझाव मांगे गए

सरकार ने इन नियमों को लागू करने से पहले सभी नागरिकों, संगठनों, और तकनीकी विशेषज्ञों से सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं। इसके लिए 18 फरवरी 2025 तक का समय दिया गया है। जनता से प्राप्त सुझावों का गहराई से अध्ययन किया जाएगा और यदि आवश्यक हुआ तो मसौदे में बदलाव किया जाएगा। यह प्रक्रिया इसलिए अपनाई गई है ताकि नियम सभी के लिए उचित और प्रभावी हों। इसके जरिए सरकार चाहती है कि नियम बनाते समय जनता की राय भी शामिल हो, जिससे ये नियम व्यावहारिक और व्यापक बनें।

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कानूनी कार्रवाई का उल्लेख नहीं

मौजूदा मसौदे में नियमों के उल्लंघन पर किसी तरह की कानूनी कार्रवाई का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि, जुर्माने का प्रावधान नियमों को लागू करने के लिए पर्याप्त माना जा रहा है। सरकार ने अभी इसे सलाहकार और दिशा-निर्देश के तौर पर जारी किया है। भविष्य में, यदि कंपनियां इन नियमों का पालन नहीं करती हैं, तो सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। यह लचीलापन इसलिए रखा गया है ताकि नियमों को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके और सभी संबंधित पक्षों को इसका पालन करने का पर्याप्त समय मिल सके।

डेटा सुरक्षा के नियम क्यों जरूरी हैं?

आज के समय में स्मार्टफोन हर किसी के हाथ में है। छोटे बच्चे भी सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं। लेकिन सोशल मीडिया के फायदे के साथ इसके कई नुकसान भी हैं। बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा और उनके डेटा का गलत इस्तेमाल रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।

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क्या है डेटा संरक्षण अधिनियम?

व्यक्तिगत डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP) 2023 का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं की डिजिटल गोपनीयता और डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। 

इसके तहत-

1. डेटा फिड्यूशरी (डेटा का उपयोग और संग्रह करने वाली कंपनियां) को जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा।

2. नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाया जाएगा।

3. बच्चों की सहमति से जुड़े विशेष प्रावधान बनाए गए हैं।

क्या होगा आगे?

18 फरवरी 2025 के बाद, सरकार सभी सुझावों की समीक्षा करेगी और आवश्यक बदलाव करके इन नियमों को लागू करेगी। इसके साथ ही नियम न मानने वाली कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह कदम बच्चों के ऑनलाइन अनुभव को सुरक्षित और बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
 
 

 
 


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Content Editor

Priya Yadav

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