कहीं आपका बच्चा भी Phone Addict तो नहीं? Parents कैसे करे पता
punjabkesari.in Thursday, Feb 13, 2025 - 03:05 PM (IST)
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नारी डेस्क: आजकल, मोबाइल फोन का उपयोग सभी उम्र के लोगों में बढ़ गया है। खासकर बच्चों के बीच यह और भी ज्यादा देखने को मिलता है। यह उनकी पढ़ाई, खेल, मनोरंजन, और दोस्तों से संपर्क का मुख्य जरिया बन चुका है। लेकिन अगर बच्चों का मोबाइल का उपयोग जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो यह एक गंभीर समस्या बन सकती है, जिसे हम "फोन एडिक्शन" कहते हैं। फोन एडिक्शन का मतलब है, जब बच्चा बिना किसी जरूरी कारण के मोबाइल का इस्तेमाल करता रहे और यह उसकी लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा बन जाए। बचपन हंसी, खेल और नई चीजों को सीखने का समय होता है, लेकिन आजकल बच्चों में मोबाइल फोन की लत बढ़ती जा रही है। इस आदत से न केवल उनकी पढ़ाई असर पढ़ता है, बल्कि यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकता है। तो, आइए जानते हैं कि कैसे समझें कि आपका बच्चा भी फोन का आदी तो नहीं हो गया है।
बच्चों के फोन एडिक्शन के संकेत
स्वभाव में बदलाव
फोन एडिक्शन का एक और महत्वपूर्ण लक्षण है चिड़चिड़ापन और गुस्से में आना। अगर आपके बच्चे को जब भी फोन का इस्तेमाल बंद करने के लिए कहा जाता है, तो वह गुस्से में आ जाता है या झुंझलाने लगता है, तो यह फोन से एडिक्टेड होने का इशारा है।
फिजिकल एक्टिविटी में कमी
जब बच्चे का समय ज्यादातर मोबाइल में बीतता है, तो वह शारीरिक गतिविधियों और खेलों से दूर होने लगते हैं। पहले अगर वह खेल कूद में रुचि रखते थे, तो अब अगर वह इसमें रुचि नहीं दिखाते और मोबाइल पर समय बिताना ज्यादा पसंद करते हैं, तो यह भी एक संकेत हो सकता है कि वे फोन के आदी हो चुके हैं।
पढ़ाई में ध्यान की कमी
अगर आपका बच्चा पहले पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन अब वह मोबाइल के कारण अपनी पढ़ाई में ध्यान नहीं दे रहा है, तो यह फोन एडिक्शन का संकेत हो सकता है। बच्चे का ध्यान मोबाइल के गेम्स, सोशल मीडिया या वीडियो में डूब जाता है, जिससे उनकी पढ़ाई पर नकारात्मक असर पड़ता है।
नींद में गड़बड़ी
मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल बच्चे की नींद पर असर डालता है। अगर बच्चा देर रात तक मोबाइल पर गेम्स खेलता है या वीडियो देखता है, तो उसकी नींद खराब हो सकती है। इससे अगले दिन उसकी एनेर्जी लेवल कम हो सकता है और वह थका-थका महसूस कर सकता है।
फोन एडिक्शन से निपटने के उपाय
समय की सीमा तय करें: बच्चों के लिए मोबाइल का इस्तेमाल सीमित समय तक रखें। उनका ध्यान पढ़ाई और खेल-कूद में भी लगने दें।
साथ बैठकर समय बिताएं: बच्चे के साथ समय बिताना, खेल कूद या पढ़ाई में मदद करना, इससे उनका ध्यान अन्य गतिविधियों में लगेगा।
पॉजिटिव कंटेंट दिखाएं: बच्चों को अच्छा कंटेंट जैसे शैक्षिक वीडियो या प्रेरणादायक किताबें दिखाएं।
दंड के बजाय समझाएं : बच्चों को मोबाइल का उपयोग करने की समझ दें। दंड देने से बच्चे और भी आदी हो सकते हैं।
पेरेंटल कंट्रोल लगाएं : स्मार्टफोन में पेरेंटल कंट्रोल सेट करें ताकि बच्चे का इस्तेमाल सुरक्षित रहे और वह तय समय के अंदर ही मोबाइल का उपयोग कर सकें।
इस समस्या से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने के साथ-साथ बच्चों के साथ खुलकर बात करना जरूरी है ताकि वे इसे समझ सकें और इसे सुधारने में मदद मिल सके।