Smoking ना करने वालों को भी तेजी से हो रहा Lung Cancer, जानिए इसका बड़ा कारण

punjabkesari.in Friday, Feb 07, 2025 - 07:56 PM (IST)

नारी डेस्क: आजकल लंग कैंसर (फेफड़ों का कैंसर) एक गंभीर समस्या बन चुका है। आमतौर पर यह माना जाता है कि यह बीमारी सिर्फ सिगरेट या तंबाकू के सेवन से होती है, लेकिन हालही में लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च अनुसार लेकिन सिगरेट न पीने वाले लोग भी इस खतरनाक बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। यह एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि पहले जो लोग इस बीमारी को सिगरेट पीने वालों से जोड़ते थे, अब वे भी इसके शिकार हो रहे हैं। तो, आखिर क्या वजह है कि सिगरेट न पीने वालों में भी लंग कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं? आइए, इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

क्या कहती है रिसर्च 

लैंसेट की इस रिसर्च को इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर और डब्लूएचओ के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है। इस स्टडी में ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 के डेटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें यह पाया गया कि जो लोग धूम्रपान नहीं करते, उनमें एडेनोकार्सिनोमा नाम का कैंसर सबसे ज्यादा हो रहा है। यह लंग कैंसर का एक प्रकार है। एडेनोकार्सिनोमा एक ऐसा कैंसर है, जो उन ग्लैंड्स में विकसित होता है जो शरीर में बलगम और पाचन से जुड़ी तरल चीजों को बनाते हैं। रिसर्चर्स का मानना है कि इस कैंसर का धूम्रपान से बहुत कम संबंध है, लेकिन वायु प्रदूषण इसके मुख्य कारणों में से एक हो सकता है।फेफड़े के कैंसर से पीड़ित 10% से 20% लोगों ने कभी धूम्रपान नहीं किया है।

यह भी पढ़ेंः Stage 0 Cancer के लक्षणों को पहचान लिया तो कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी बीमारी

कुछ प्रमुख कारण जिनकी वजह से सिगरेट न पीने वालों में लंग कैंसर के मामलों में वृद्धि हो सकती है

वायु प्रदूषण (Air Pollution)

वायु प्रदूषण एक बड़ा कारण बनकर उभरा है। हमारे वातावरण में प्रदूषण के कारण हम कई प्रकार के हानिकारक रसायनों का शिकार होते हैं, जो फेफड़ों में जाकर कैंसर का कारण बन सकते हैं। वायु प्रदूषण, खासकर शहरों में, अब बहुत ज्यादा हो गया है और इसके संपर्क में आने से फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ता है। 2020 के एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर इतना अधिक हो चुका है कि यहां रहने वाले लोग धूम्रपान करने वालों से भी ज्यादा कैंसर के जोखिम में हैं।

PunjabKesari

जीन और आनुवांशिकी (Genetics and Heredity Factors)

कुछ लोग आनुवंशिक रूप से फेफड़े के कैंसर के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। अगर किसी के परिवार में फेफड़े के कैंसर के मरीज रहे हैं, तो उस व्यक्ति को भी इसका खतरा हो सकता है, चाहे उसने कभी धूम्रपान किया हो या नहीं। रिसर्च में यह पाया गया है कि कुछ खास जीन में उत्परिवर्तन (mutation) के कारण फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

स्मोकलेस टोबैको (Smokeless Tobacco)

धूम्रपान न करने वाले कई लोग स्मोकलेस टोबैको का सेवन करते हैं, जैसे तंबाकू चबाना। यह भी फेफड़े के कैंसर का कारण बन सकता है। स्मोकलेस टोबैको में भी वही हानिकारक रसायन होते हैं जो सामान्य धूम्रपान में होते हैं, और ये रसायन शरीर में प्रवेश करते हैं और फेफड़ों में जाकर कैंसर को जन्म दे सकते हैं।

PunjabKesari

एक्सरसाइज की कमी और खराब आहार (Lack of Exercise and Poor Diet)

स्वास्थ्य के लिए सही आहार और रोजाना एक्सरसाइज बेहद जरूरी होते हैं। अगर व्यक्ति का आहार पोषण से भरपूर नहीं है और वह फिजिकल एक्टिविटी से दूर है, तो इससे शरीर की सेहत पर नेगेटिव प्रभाव पड़ता है। खासकर फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए यह और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है, क्योंकि शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

यह भी पढ़ेंः ये Spa आपको खूबसूरती नहीं बीमारियां देगा!

क्या किया जा सकता है?

वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए, जैसे कि कार्बन उत्सर्जन को कम करना, प्रदूषण कंट्रोल नीतियां लागू करना और हरे-भरे क्षेत्रों को बढ़ावा देना। लोगों को अपने खानपान और फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान देना चाहिए। सही डाइट, रोजाना एक्सरसाइज और पर्याप्त नींद से शरीर स्वस्थ रहता है और कैंसर का जोखिम कम होता है। जो लोग सिगरेट नहीं पीते हैं, उनके लिए भी लंग कैंसर की स्क्रीनिंग करना जरूरी है। नियमित जांच से कैंसर का पता जल्दी चल सकता है, जिससे उपचार अधिक प्रभावी हो सकता है। जो लोग परिवार में लंग कैंसर के मामले देखते हैं, उन्हें आनुवंशिक सलाह लेना चाहिए। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि क्या वे इस रोग के लिए संवेदनशील हैं और क्या उन्हें नियमित जांच की जरूरत है।]

PunjabKesari

फेफड़े का कैंसर केवल धूम्रपान करने वालों तक सीमित नहीं रहा है। अब यह उन लोगों को भी प्रभावित कर रहा है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया।समय रहते अगर हम इन कारणों को पहचान लें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, तो फेफड़े के कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है।

डिस्कलेमरः धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है। स्मोकिंग से सिर्फ लंग कैंसर ही नहीं बल्कि मुंह के कैंसर, गले का कैंसर जैसे कई कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

PRARTHNA SHARMA

Related News

static