Lalbaugcha Raja:मन्नत के राजा की झलक पाने के लिए दूर-दूर से आते हैं भक्त
punjabkesari.in Monday, Sep 05, 2022 - 04:07 PM (IST)

महाराष्ट्र समेत पूरे देश में हर्षोल्लास और उत्साह के साथ दस दिवसीय गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। श्रद्धालुओं अपने घरों और पूजा पंडालों में भगवान विनायक की मूर्ति स्थापित कर उत्साह के साथ उनका स्वागत कर रहे हैं। महामारी का असर कम होने के बाद इस साल सार्वजनिक स्तर पर भव्य पंडालों में गणेश प्रतिमाएं स्थापित की गयीं। ऐसे में दक्षिण-मध्य मुंबई में लालबागचा राजा जैसे प्रमुख पंडाल में भी भक्तों की भीड़ देखने लायक है।
दरअसल लालबागचा का राजा मुंबई का सबसे अधिक लोकप्रिय सार्वजनिक गणेश मंडल है। यह गणेश मंडल अपने 10 दिवसीय समारोह के दौरान लाखों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस प्रसिद्ध गणपति को ‘नवसाचा गणपति’ (इच्छाओं की पूर्ति करने वाला) के रूप में भी जाना जाता है। लालबाग के गणेश मूर्ति का विसर्जन गिरगांव चौपाटी में दसवें दिन धूमधाम से किया जाता है।
लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की स्थापना साल 1934 में हुई थी. यह मुंबई के लालबाग, परेल इलाके में स्थित है। 83 सालों से लालबाग के राजा का दरबार बेहद शानदार तरीके से सजाया जाताहै। वक्त के साथ सजावट जरूर बदली है, लेकिन आस्था का वही रूप आज भी कायम है, जो स्थापना के समय था।
कहा जाता है कि गणेश उत्सव की शुरूआत बाल गंगाधर तिलक द्वारा उस समय की गई थी, जब भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होने के लिए संघर्ष कर रहा था। उस दौर में सभी भारतीयों को एक साथ इकट्ठा करने के लिए गणेश उत्सव शुरू किया गया था। सार्वजनिक स्थानों पर बड़े-बड़े पंडाल बनाए जाते थे, जहां सभी भारतीय एकत्र होकर स्वतंत्रता संग्राम के लिए चर्चा किया करते थे।
एक जमाने में मुंबई के लाल बाग के व्यापारियों का कारोबार घाटे में चलता था। व्यापारी चाहते थे कि लाल बाग के एक खुली जगह पर भी बाजार लगे। ऐसे में सभी ने भगवान गणेश से मन्नत मांगी और वह पूरी भी हो गई। मन्नत के पूरे होने पर 12 सितम्बर 1934 को पूरे श्रृद्धाभाव से गणपति की स्थापना की गई... इस पूजा में भगवान गणपति की मूर्ति को मछुआरों के परंमपरागत पोशाक से सजाया गया था और उस दिन के बाद से ही पेरू चाल के गणपति लालबागचा राजा बन गए।
इसके बाद से ही यहां लाल बाग के राजा की स्थापना हर साल होने लगी। लाल बाग के गणपति का उत्सव साल दर साल और भव्य होता जा रहा है। इस मूर्ति की एक खास बात ये है कि इसे बीते 8 दशकों से एक ही मूर्तिकार कांबली परिवार बना रहा है। करीब 20 फीट ऊंची गणपति की मूर्ति बनाने का ये हुनर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंच रहा है। माना जाता है कि लालबाग के राजा से जो मन्नत मांगी जाती है, वह पूरी होकर रहती है। तभी इन्हें मन्नत का राजा भी कहा जाता है। लालबाग में स्थापित होने वाले गणेश भगवान की प्रतिमा के दर्शन के लिए लोग दूरदूर से आते हैं. दर्शन के लिए भक्त यहां कई कई घंटों तक कतारों में खड़े रहते हैं। लालबागचा मंडल में आई हुई दान रकम से कई चैरिटी भी चलती है। इस मंडल की अपनी कई अस्पताल और एम्बुलेंस हैं जहां गरीबों का निःशुल्क इलाज किया जाता है।
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