भारत में ऐसा मंदिर जहां भगवान आज भी हैं जिंदा,मूर्ति से निकलता है खून!
punjabkesari.in Wednesday, Jul 02, 2025 - 12:28 PM (IST)

नारी डेस्क: भारत में हजारों मंदिर हैं, लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं जो अपनी रहस्यमयी मान्यताओं और चमत्कारों की वजह से लोगों को चौंका देते हैं। तेलंगाना के वारंगल जिले के मल्लूर गांव में स्थित हेमाचल लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर भी ऐसा ही एक अनोखा मंदिर है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह मानी जाती है कि यहां भगवान नरसिंह की मूर्ति जीवित है। यानी उसमें सांस लेने, खून निकलने और त्वचा जैसी नर्मी के संकेत दिखाई देते हैं।
भगवान नरसिंह की ‘जिंदा’ मूर्ति - हैरान कर देने वाला दावा
इस मंदिर में भगवान लक्ष्मी नरसिंह की एक मूर्ति स्थापित है, जिसके बारे में लोगों का मानना है कि यह सिर्फ पत्थर की नहीं, बल्कि जीवित है। एक मशहूर यूट्यूबर और कई श्रद्धालुओं ने दावा किया है कि यह मूर्ति इंसानी त्वचा जैसी नरम है।
मूर्ति की ऊंचाई करीब 10 फीट है। इसमें जब हल्का सा दबाव डालते हैं तो फूल मूर्ति में धंस जाता है और अगर ज्यादा दबाएं, तो उससे खून जैसा तरल निकलने लगता है। मूर्ति की नाभि से एक लाल रंग का तरल पदार्थ लगातार निकलता है, जिसे रोकने के लिए पुजारी उस पर चंदन का लेप लगाते हैं। मंदिर के पुजारियों का यह भी कहना है कि अगर कोई व्यक्ति इस मूर्ति के पास खड़ा हो, तो उसे मूर्ति के सांस लेने जैसा एहसास होता है। इन सभी वजहों से श्रद्धालु मानते हैं कि इस मंदिर में भगवान नरसिंह स्वयं वास करते हैं, और यहां की मूर्ति केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि सच में जीवित है।
Hemachala Lakshmi Narasimha Swamy Temple located in Mallur, Warangal district of Telangana*🪷The temple is located in the middle of a forest in Telangana. This Narasimha Seamy idol is alive, the body is soft. Like us, there are hairs on the body. Water comes from God's body. pic.twitter.com/yenOtRyFLm
— kamu 🇮🇳 (@Kamu2430) May 21, 2024
मंदिर का इतिहास और मान्यता
इस मंदिर को 4000 साल पुराना बताया जाता है। यह समुद्र तल से करीब 1500 फीट की ऊंचाई पर पुट्टकोंडा पर्वत पर स्थित है। मान्यता है कि भगवान की मूर्ति स्वयंभू (प्राकृतिक रूप से प्रकट हुई) है। मंदिर के रास्ते में श्री हनुमान जी भी विराजमान हैं जिन्हें मल्लूर गांव का रक्षक देवता माना जाता है।
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भगवान के चरणों से निकलती है चमत्कारी जलधारा
मंदिर के पास एक छोटी सी जलधारा बहती है, जिसे भगवान नरसिंह के चरणों से उत्पन्न माना जाता है। इस जलधारा को "चिंतामणि जलपथम" कहा जाता है।कहा जाता है कि इस जल में औषधीय गुण हैं। श्रद्धालु इस पानी से स्नान करते हैं या इसे बोतलों में भरकर घर ले जाते हैं।
150 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़ने पर मिलता है भगवान का आशीर्वाद
इस मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों को 150 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु पूरी श्रद्धा और आस्था से इन सीढ़ियों को पार करता है, उसे भगवान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। यहां आने से दुख-दर्द दूर होते हैं, और जो दंपत्ति संतान की कामना करते हैं, उन्हें संतान सुख भी मिलता है।
मंदिर दर्शन का समय
श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के दर्शन का समय तय है सुबह: 8:30 बजे से 1:00 बजे तक दोपहर में मंदिर बंद रहता है। फिर दोपहर: 2:30 बजे से 5:30 बजे तक दर्शन होते हैं। शाम 5:30 बजे के बाद मंदिर बंद हो जाता है क्योंकि मान्यता है कि भगवान नरसिंह उस समय मंदिर छोड़कर पास के जंगलों में विचरण करते हैं।
मंदिर कैसे पहुंचे?
आप इस चमत्कारी मंदिर तक कई माध्यमों से पहुंच सकते हैं। वारंगल, मणुगुरु और भद्राचलम-एदुलापुरम रोड से मल्लूर के लिए बसें उपलब्ध हैं। आप अपनी गाड़ी, टैक्सी या कैब से भी यहां पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग: मंदिर के सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन मणुगुरु (BDCR) है।
हवाई मार्ग: नजदीकी एयरपोर्ट है हैदराबाद का राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट। वहां से सड़क या ट्रेन से मल्लूर पहुंचा जा सकता है।
तेलंगाना का हेमाचल लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, चमत्कार और रहस्य का संगम है। यहां भगवान की मूर्ति को आज भी जीवित माना जाता है, जो श्रद्धालुओं की आस्था को और मजबूत बनाता है। अगर आप आध्यात्म और चमत्कारों में रुचि रखते हैं, तो यह मंदिर आपके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव हो सकता