प्रेमानंद महाराज ने बताया, घर के मंदिर में रखी ये चीजें तो सेहत के साथ होगी पैसी की बर्बादी!
punjabkesari.in Thursday, Jul 24, 2025 - 07:44 PM (IST)

नारी डेस्क: प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज वृंदावन के केलीकुंज नामक स्थान पर निवास करते हैं। यह स्थान उनके सत्संग और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रमुख केंद्र है। यहां प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्धालु सत्संग में भाग लेने के लिए आते हैं। महाराज जी राधारानी को अपना इष्ट मानते हैं और हमेशा अपने भक्तों को राधा नाम के जप की प्रेरणा देते हैं। वे मानते हैं कि राधा नाम का जप करने से मन को शांति, जीवन में सुख और भक्ति का अनुभव होता है। प्रेमानंद महाराज अपने सत्संगों के ज़रिए लोगों को धर्म, भक्ति और जीवन के सच्चे अर्थ के बारे में बताते हैं। उनके प्रवचन सरल भाषा में होते हैं, जिससे आम लोग भी आसानी से समझ पाते हैं।
मंदिर में किन चीज़ों को न रखें – महाराज जी की चेतावनी
हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक भक्त प्रेमानंद महाराज जी से पूछता है कि घर के मंदिर में किन चीज़ों को नहीं रखना चाहिए। इस पर महाराज जी ने बेहद स्पष्ट और सरल तरीके से जवाब दिया।
पूर्वजों की तस्वीरें मंदिर में न रखें
महाराज जी ने कहा कि घर के मंदिर में कभी भी अपने पूर्वजों (पितरों) की तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि मंदिर भगवान का स्थान होता है, और पूर्वजों की पूजा अलग रूप में की जाती है।
फटी हुई तस्वीरें और किताबें हटाएं
उन्होंने आगे बताया कि भगवान की फटी हुई तस्वीरें और पुरानी, फटी हुई धार्मिक किताबें भी मंदिर में नहीं रखनी चाहिए। ये अशुभ मानी जाती हैं और इससे नकारात्मक ऊर्जा फैलती है।
सूखे फूल कई दिनों तक न रखें
भगवान को चढ़ाए गए फूल जब सूख जाएं, तो उन्हें कई दिनों तक मंदिर में नहीं रखना चाहिए। सूखे फूलों को तुरंत हटा देना चाहिए और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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खंडित मूर्तियों को हटा दें
मंदिर में कभी भी भगवान की टूटी या खंडित मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। ये अपशगुन मानी जाती हैं और इससे दरिद्रता आने का भय रहता है।
जीवित साधु-संतों की तस्वीरें भी न रखें
महाराज प्रेमानंद जी ने यह भी कहा कि मंदिर में किसी भी जीवित संत, साधु या धर्मगुरु की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करने से जीवन में दरिद्रता, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और धनहानि हो सकती है।
भक्तों के लिए एक गहरा संदेश
प्रेमानंद महाराज जी का यह संदेश न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से, बल्कि जीवन की सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं, बल्कि एक पवित्र ऊर्जा केंद्र होता है, जिसे साफ, शुद्ध और सकारात्मक बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।