क्या लहसुन-प्याज खाने वाले लोग लड्डू गोपाल की सेवा कर सकते हैं? जानिए प्रेमानंद जी महाराज से

punjabkesari.in Saturday, Mar 08, 2025 - 05:11 PM (IST)

नारी डेस्क: क्या लहसुन और प्याज खाने वाले लोग भगवान श्री कृष्ण के प्रिय रूप, लड्डू गोपाल की सेवा कर सकते हैं? यह सवाल हाल ही में एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से पूछा था, जो भक्ति और शुद्धता से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है। प्रेमानंद जी महाराज ने इस सवाल का उत्तर देते हुए भक्ति के असली रूप और शुद्धता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि लहसुन और प्याज भक्ति में विघ्न डाल सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसे पाप माना जाए। आइए जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज के इस सवाल पर क्या विचार हैं।

लहसुन-प्याज का सेवन और भक्ति

प्रेमानंद जी महाराज ने इस सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि लहसुन और प्याज का सेवन धार्मिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर जब हम पूजा-पाठ या भजन की बात करते हैं। उनका मानना था कि लहसुन और प्याज तमोगुणी होते हैं और इनका प्रभाव मानसिक शांति पर पड़ सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लहसुन और प्याज खाना पाप नहीं है, लेकिन यह भक्ति और पूजा में विघ्न डाल सकते हैं। इसलिए, उनका सुझाव था कि लड्डू गोपाल के भोग में इनका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। भगवान की सेवा हमेशा शुद्ध और पवित्र होनी चाहिए, जिससे हमारी भक्ति में कोई विघ्न न आए।

PunjabKesari

ये भी पढ़ें: क्या आपकी तिजोरी में भी रखी हैं ये 3 चीजें? हटा दीजिए, वरना घटती चली जाएगी धन-दौलत

लड्डू गोपाल की सेवा और भक्ति

प्रेमानंद जी महाराज ने लड्डू गोपाल की सेवा के बारे में भी कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि भगवान की सेवा का तरीका बहुत खास होना चाहिए। लड्डू गोपाल की पूजा या सेवा हमेशा शांति और समर्पण से करनी चाहिए। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि लड्डू गोपाल स्वयं पूरे ब्रह्मांड के स्वामी हैं और उनकी सेवा मासूमियत, प्रेम और भक्ति से करनी चाहिए।

PunjabKesari

इसके अलावा, महाराज ने यह भी बताया कि भक्ति को निजी और गोपनीय बनाना चाहिए, ताकि अहंकार या दिखावा न हो। भगवान की पूजा में हमें यह समझना चाहिए कि असली भक्ति वह है, जो निस्वार्थ और शांति से भरी हो, न कि दिखावे के रूप में।

भक्ति का असली रूप

प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी बताया कि भगवान के स्नान, श्रृंगार और भोग को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित नहीं करना चाहिए। इन सबको निजी और छिपे रूप में ही करना चाहिए। यदि भक्ति में अहंकार आ जाता है, तो वह भक्ति के असली रूप को नष्ट कर देता है। उन्होंने कहा कि भगवान की सेवा का असली रूप वह है जो शांति और विनम्रता से किया जाता है, बिना किसी दिखावे या अहंकार के।

PunjabKesari

इस प्रकार, प्रेमानंद जी महाराज का संदेश साफ है कि भक्ति का असली रूप शुद्धता, समर्पण और प्रेम से भरा हुआ होना चाहिए, और इसमें किसी भी प्रकार का अहंकार या दिखावा नहीं होना चाहिए।
 
 

 

 
 


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Priya Yadav

Related News

static