क्या होता है सिजेरियन डिलीवरी के दौरान? जानिए किन स्थितियों में करवाना पड़ता है C Section
punjabkesari.in Tuesday, May 09, 2023 - 03:00 PM (IST)
पहले की तुलना में आजकल सी सेक्शन यानी सिजेरियन डिलीवरी के मामले कुछ ज्यादा ही बढ़ गए हैं। लगभग हर महिला चाहती है कि उसकी नॉर्मल डिलीवरी हो लेकिन कई बार स्थिति कंट्रोल से बाहर होती है जिसकी वजह से सिजेरियन डिलीवरी करनी पड़ती है। कई बार कुछ महिलाएं लेबर पेन को बर्दाश्त न कर पाने के चलते भी सी-सेक्शन करवा लेती हैं। आज हम आपको बताते हैं कि सिजेरियन सेक्शन के दौरान मां की कितनी परतें काटी जाती हैं।
सामान्य तौर पर, 6 परतें होती हैं जो त्वचा से शुरू होकर गर्भाशय तक कट जाती हैं। कुछ मामलों में, पेट की मांसपेशियों को काटना पड़ता है, लेकिन यह बहुत सामान्य नहीं है। गर्भाशय तक पहुंचने से पहले इन 6 परतों से गुज़रना पड़ता है।
त्वचा
चमड़े के नीचे ऊतक
पट्टी
रेक्टस पेट की मांसपेशियां
पेरिटोनियम
गर्भाशय
इन 6 परतों में से, रेक्टस एकमात्र ऐसी परत है जिसे नियमित रूप से नहीं काटा जाता है।
सी-सेक्शन के दौरान कौन सी मांसपेशियां कट जाती हैं?
सीज़ेरियन सेक्शन का अर्थ है कि आपके बच्चे का जन्म ऑपरेशन के जरिए होता है। सर्जन पहले आपके पेट में एक चीरा लगाते हैं, फिर गर्भाशय में और उस रास्ते शिशु को बाहर निकालते है। गर्भवती स्त्री के पेट के नीचे का हिस्सा एनेस्थीसिया देकर सुन्न कर दिया जाता है। एनेस्थीसिया रीढ़ की हड्डी में दिया जाता है।, उसके बाद डाॅक्टर जननांग से ऊपर और पेट के निचले हिस्से में चीरा लगाते हैं। आमतौर पर यह चीरा आड़ा (होरिजेंटल) ही होता है, कुछ आपातकालीन स्थितियों में चीरा खड़ा (वर्टिकल) भी लगाया जा सकता है। इसके बाद गर्भाशय में चीरा लगाया जाता है और शिशु को गर्भाशय से बाहर निकाला जाता है।
कब पड़ती है सी-सेक्शन की जरूरत
एक्सपर्ट्स के दौरान डॉक्टर पहले नॉर्मल डिलीवरी की ही कोशिश करते हैं लेकिन जब किसी तरह की कॉम्पलिकेशन आने का डर रहता है, तो उस स्थिति में सिजेरियन का ऑप्शन भी रखते हैं। किसी गंभीर या लंबे समय से चली आ रही स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त महिला को भी सिजेरियन ऑपरेशन करवाने की सलाह दी जाती है। इनमें हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर या जेस्टेशनल डायबिटीज शामिल है। कई महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी को लेकर डरी रहती हैं और सिजेरियन करवाना चाहती हैं लेकिन इस स्थिति में भी डॉक्टर उन्हें नॉर्मल डिलीवरी करवाने के लिए काउंसलिंग देते हैं।
सिजेरियन डिलीवरी के कारण
-शिशु के दिल की धड़कन असामान्य होना।
-पेट में बच्चे का उल्टा या तिरछा हो जाना
-बच्चे के गले में ‘काॅर्ड’ यानि नाल फंस जाना।
-पहला बच्चा ‘सी सेक्शन’ से हुआ हो। या पेट का कोई दूसरा ऑपरेशन हो चुका हो।
-बच्चे को पेट में पूरी ऑक्सीजन ना मिल पाना।
-‘स्टाॅल्ड लेबर’ यानि जब महिला सक्रिय लेबर में हो और लेबर पेन धीमा या बंद हो जाए।
-बच्चे का सिर जन्म नली यानि ‘बर्थ कैनाल’ से बड़ा हो।
-बच्चे ने पेट में पाॅटी कर ली हो, जिससे उसे इंफेक्शन का खतरा हो।