बच्चे के दिल में छेद होने की निशानियां, इसके कारण और जानिए सही इलाज
punjabkesari.in Monday, May 05, 2025 - 09:47 PM (IST)

नारी डेस्कः कुछ बच्चे जन्म के समय सेहत संबंधी विकार से ग्रसित होते हैं जिसमें एक समस्या है दिल में छेद (होल इन हार्ट) होने की, यह क्यों होता है, इसके लक्षण क्या है और इसे ठीक कैसे किया जा सकता है। बहुत से लोगों को इस बारे में कम जानकारी रहती है। चलिए इस आर्टिकल के द्वारा दिल में छेद से जुड़ी जानकारी आपके साथ साझा करते हैं।
दिल में छेद क्या होता है? | Hole in Heart
दिल में छेद यानी “होल इन हार्ट” एक जन्मजात स्थिति होती है, जिसमें दिल की दीवारों में छोटा या बड़ा छेद होता है। यह समस्या आमतौर पर बच्चों में जन्म के समय ही होती है लेकिन कभी-कभी यह व्यस्कों में भी देखने को मिलती है जो हार्ट अटैक या किसी जटिल इलाज के बाद देखने को मिल सकती है। जन्मजात दिल की समस्याएं कभी-कभी मामूली होती हैं और शुरू में कोई लक्षण नहीं दिखातीं, लेकिन उम्र के साथ यह सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं। जिन बच्चों में यह समस्या गंभीर हो उन्हें बचपन में या जन्म के तुरंत बाद ही सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। कई बार वयस्क अवस्था में भी व्यक्ति को दिल में छेद के लक्षण महसूस हो सकते हैं, जबकि बचपन में इसका कोई संकेत नहीं था और अगर बचपन में इसका इलाज हो चुका हो, तब भी आगे चलकर यह दोबारा परेशानी का कारण बन सकता है। इसलिए समय-समय पर चिकित्सकीय जांच और फॉलो-अप बहुत जरूरी है।
दिल में छेद कितनी तरह के होते हैं Types of Hole in Heart Defects
पीएफओ (PFO - Patent Foramen Ovale)
यह दिल की ऊपरी दो दीवारों के बीच एक फ्लैप जैसा छेद होता है जो जन्म के बाद अपने आप बंद हो जाना चाहिए, लेकिन कई बार बंद नहीं होता। अक्सर इसका इलाज जरूरी नहीं होता।
वीएसडी (VSD - Ventricular Septal Defect)
यह दिल के निचले दो हिस्सों (वेंट्रिकल) के बीच छेद होता है। अगर यह छेद नहीं भरता तो ऑक्सीजन वाला खून गलत दिशा में बहने लगता है जिससे दिल और फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
एएसडी (ASD - Atrial Septal Defect)
यह दिल के ऊपरी दो हिस्सों (एट्रिया) के बीच छेद होता है। यह भी जन्म के बाद अपने आप बंद हो जाता है, लेकिन अगर नहीं हो तो सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
एवीएसडी (AVSD - Atrioventricular Septal Defect)
इसमें दिल के ऊपरी और निचले हिस्सों के बीच एक बड़ा छेद होता है और इसके साथ ही वाल्व भी पूरी तरह से विकसित नहीं होते। इससे फेफड़ों में खून भर सकता है और दिल की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।
दिल में छेद होने के कारण | hole in heart symptoms
जन्म के समय दिल में छेद होने के कारणों को पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। हालांकि, यह बात स्पष्ट है कि जन्मजात दिल की बीमारियां अक्सर गर्भावस्था के दौरान मां के गर्भ में भ्रूण के गुणसूत्रों (क्रोमोसोम) या जीन में हुए बदलावों के कारण होती हैं।
ये जेनेटिक (आनुवंशिक) असमानताएं, उन लोगों में ज़्यादा पाई जाती हैं जिनके परिवार में पहले से ऐसी बीमारियों का इतिहास रहा हो। हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं, शराब का सेवन, तंबाकू चबाना या धूम्रपान करने वाली महिलाओं के बच्चों में जन्म के समय दिल में छेद होने का खतरा अधिक होता है।
इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान कुछ खास पर्यावरणीय प्रभावों, दवाइयों या कैमिकल्स के संपर्क में आने से भी जन्मजात दोष होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, यदि मां को पहले से कोई चिकित्सीय समस्या हो जैसे ल्यूपस (Lupus), रूबेला (Rubella) या डायबिटीज़ (मधुमेह), तो उससे भी बच्चा जन्मजात दिल की बीमारी के साथ पैदा हो सकता है।
बच्चे के दिल में छेद होने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
बच्चे को बार-बार सर्दी-खांसी या सांस लेने में दिक्कत होना।
कुछ मामलों में बच्चों को एरिदमिया (arrhythmia – अनियमित धड़कन), सांस लेने में तकलीफ और जल्दी थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बच्चे का वजन न बढ़ना
शिशु अगर दूध पीते समय थक जाता है।
शिशु की त्वचा का नीला पड़ जाना।
बड़ों में लक्षण:
थोड़ी मेहनत या व्यायाम करने पर सांस फूलना।
दिल की धड़कन तेज होना।
शरीर में सूजन आना।
थकान, चक्कर या स्ट्रोक जैसी स्थितियां होना।
विस्तार में समझिए...
नवजात शिशुओं में, केवल मध्यम से बड़े आकार के VSD (वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट) ही लक्षण पैदा करते हैं। ऐसे शिशु सांस लेने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं, दूध पीते समय जल्दी थक जाते हैं और बार-बार फेफड़ों का संक्रमण होता है।
वयस्कों में दिल में छेद के लक्षण लगभग 40 वर्ष की उम्र के बाद दिखाई देने लगते हैं। इसमें व्यायाम के बाद सांस फूलना, तेज़ धड़कन (टैकीकार्डिया), त्वचा का नीला पड़ना (सायनोसिस) और हाथ-पैरों में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बड़े बच्चों और वयस्कों में, व्यायाम के समय सांस फूलना, संक्रमण के दौरान दिल में सूजन और "आइज़नमेंगर सिंड्रोम" जैसे लक्षण हो सकते हैं, जिसमें त्वचा का रंग हल्का पड़ जाता है और नीला दिखाई देने लगता है।
PFO (पेटेंट फॉरेमेन ओवेल) के लक्षण अधिकतर मामलों में नजर नहीं आते या बहुत हल्के होते हैं, लेकिन यह गंभीर माइग्रेन, ट्रांज़िएंट इस्कीमिक अटैक (छोटा स्ट्रोक) और यहां तक कि स्ट्रोक का कारण भी बन सकता है।
दिल के छेद का इलाज क्या है?
दिल में छेद के इलाज इस बात पर निर्भर करते हैं कि लक्षण कितने गंभीर हैं, मरीज की उम्र और उसकी स्वास्थ्य स्थिति क्या है। छोटे छेद (जिनमें लक्षण नहीं हैं): इनमें दवाओं से इलाज संभव है और कई बार अपने आप ठीक हो जाते हैं। बड़े छेद (जिनमें लक्षण दिखते हैं): सर्जरी या ट्रांसकैथेटर प्रक्रिया से छेद को बंद किया जाता है। कुछ मामलों में विशेष डिवाइस (Septal Occluder) लगाई जाती है जो छेद को बंद करती है। एवीएसडी में सर्जरी से छेद बंद करने के साथ वाल्व को रिपेयर या बदलना भी पड़ सकता है।
सर्जरी के बाद रिकवरी (Recovery Time)
बिना सर्जरी वाले इलाज (Percutaneous) से रिकवरी में कुछ दिन या हफ्ते लगते हैं।
जबकि सर्जरी के बाद रिकवरी में ज्यादा समय लगता है।
सर्जरी के बाद खून में थक्के बनने से रोकने के लिए ब्लड थिनर और संक्रमण से बचाव के लिए एंटीबायोटिक्स लेनी पड़ती हैं।
नोटः भविष्य में किसी भी जटिलता से बचने के लिए डॉक्टर से नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली जरूरी है।