तो इसलिए माता लक्ष्मी के पास रहते हैं गणेश जी, जानें दोनों की दिवाली पर क्यों साथ में होती है पूजा ?
punjabkesari.in Thursday, Oct 31, 2024 - 10:36 AM (IST)
नारी डेस्क: दिवाली का पर्व भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। भगवान राम जब रावण का वध कर, 14 वर्षों का वनवास पूरा कर सीता माता के साथ अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने उस दिन दीप जलाकर उनका स्वागत किया, जो दिवाली के रूप में एक महान परंपरा बन गई। परंतु दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है, और इसके पीछे कई धार्मिक कथाएं हैं।
लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व
दिवाली को धन-समृद्धि का त्योहार भी माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थीं। इसी कारण दीपावली की रात उन्हें प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है ताकि घर में धन, ऐश्वर्य, और समृद्धि का वास हो। इसके साथ भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है क्योंकि वे शुभता, बुद्धि, और बाधाओं को दूर करने वाले देवता हैं।
यह भी है एक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी को अपनी श्रेष्ठता पर अहंकार हो गया था। तब भगवान विष्णु ने उनके अहंकार को नष्ट करने के लिए उन्हें संतानहीन होने को लेकर ताना दिया। चूंकि पार्वती के एक पुराने शाप की वजह से कोई भी देवता संतान पैदा नहीं कर सकते थे इसलिए लक्ष्मी जी ने पार्वती जी से उनके पुत्र गणेश को अपने मानस पुत्र के रूप में मांग लिया। लक्ष्मी जी चंचला हैं इसलिए पार्वती जी अपने पुत्र गणेश के लक्ष्मी के साथ जाने की बात पर चिंतित हो गई। उन्होंने शर्त रखी कि वह जहां भी जाएंगी, उनके साथ हमेशा गणेश जी रहेंगे। लक्ष्मी जी ने मां पार्वती को यह वचन दिया कि वह जहां भी जाएंगी गणेश उनके साथ ही जाएंगे और जब तक गणेश की उनके पुत्र के रूप में पूजा नहीं होगी, मां लक्ष्मी किसी को भी वरदान नहीं देंगी।
समुद्र मंथन से जुड़ी कथा
दिवाली पर माता लक्ष्मी की जो कथा मुख्य रूप से पढ़ी जाती है, वह इस प्रकार है- समुद्र मंथन के दौरान, देवताओं और दानवों ने मिलकर अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया। उस मंथन से 14 रत्न निकले, जिनमें से एक देवी लक्ष्मी भी थीं। वह दिव्य रत्नों के साथ प्रकट हुईं और तुरंत श्रीविष्णु को अपने पति के रूप में चुना। माता लक्ष्मी के प्रकट होने के साथ ही धन, ऐश्वर्य, और समृद्धि का आगमन हुआ, और सभी देवता उनकी पूजा करने लगे। इस कथा को दिवाली के दिन पढ़ने और पूजा करने से माना जाता है कि माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों के घर में समृद्धि और सुख का आशीर्वाद देती हैं।