आखिर क्यों प्रेग्नेंसी में नदी पार करने की होती है मनाही, जानिए ये महज अंधविश्वास है या इसके पीछे है कोई साइंस

punjabkesari.in Thursday, Jun 19, 2025 - 02:31 PM (IST)

नारी डेस्क: प्रेग्नेंसी महिलाओं के जीवन का एक खास और चुनौतीपूर्ण दौर होता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर और मन में हर हफ्ते नए बदलाव आते हैं। लेकिन साथ ही, कई ऐसी बातें भी सुनने को मिलती हैं जो भ्रमित कर देती हैं। खासकर परिवार के बुजुर्गों द्वारा बताई गई कुछ परंपरागत बातें जिन्हें कई बार बिना सोचे-समझे मान लिया जाता है। इनमें से एक है प्रेग्नेंसी के दौरान नदी पार करके यात्रा न करने का नियम।

नदी पार करने से गर्भपात का खतरा?

भारतीय गांवों और बुजुर्गों का मानना है कि गर्भवती महिलाओं को नदी पार नहीं करनी चाहिए और नदी के पास भी नहीं जाना चाहिए। लेकिन क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक वजह है? डॉक्टरों का कहना है कि गर्भावस्था के पहले 14 सप्ताह और अंतिम 8 सप्ताह सबसे नाजुक होते हैं। इस समय किसी भी तरह की तनावपूर्ण या लंबी यात्रा गर्भपात या समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ा सकती है। इसलिए इस दौरान ज्यादा लंबी या कठिन यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है।

पुराने समय में यात्रा की चुनौतियां

भारत के कई शहर और गांव नदियों के किनारे बसे हैं। पहले के समय में, जब आज के जैसे यातायात की व्यवस्था नहीं थी तो लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए नाव से नदी पार करनी पड़ती थी या खराब रास्तों से गुजरना पड़ता था। ऐसे कठिन सफर में गर्भवती महिलाओं के लिए यात्रा करना और भी मुश्किल था। इसलिए बुजुर्गों ने ऐसा नियम बनाया कि गर्भवती महिलाएं नदी पार न करें।

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आज के आधुनिक युग में भी गर्भवती महिलाओं के लिए यात्रा कुछ हद तक जोखिम भरी हो सकती है। खासकर हवाई यात्रा में केबिन का दबाव गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में परेशानी पैदा कर सकता है। हालांकि अब बेहतर तकनीक के कारण ये समस्या कम हो गई है लेकिन हवाई यात्रा में थक्के बनने का खतरा रहता है जो बच्चे और मां दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। ट्रेन में भी भीड़-भाड़, गति और चलने की स्थिति से गर्भाशय में संकुचन हो सकता है जिससे समय से पहले प्रसव हो सकता है। इसके अलावा, लंबे समय तक सफर में महिला को असुविधा भी हो सकती है।

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किन हालात में यात्रा पूरी तरह मना है?

यदि महिला का पहले से गर्भपात का इतिहास हो या कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो तो सफर करने से मना किया जाता है। कभी-कभी डॉक्टर समय से पहले प्रसव के खतरे को देखते हुए भी यात्रा पर रोक लगा सकते हैं। ऐसी स्थिति में गर्भाशय को आराम देने वाली दवाइयां भी दी जा सकती हैं।

यात्रा के दौरान ध्यान रखने वाली सावधानियां

यात्रा से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। यदि आपकी गर्भावस्था हाई रिस्क वाली है तो बिना ज़रूरी वजह यात्रा न करें। यात्रा में मोशन सिकनेस से बचने के लिए हल्का भोजन करें और सुरक्षित दवाइयां साथ रखें। ऐसी जगहों की यात्रा करें जहां आपातकालीन मेडिकल सुविधा उपलब्ध हो। भीड़-भाड़ वाले जगहों पर मास्क पहनें। हाथों को बार-बार धोएं या सैनिटाइज करें। स्वच्छ भोजन और पानी का सेवन करें। खुद को हाइड्रेटेड रखें और लंबे सफर के दौरान समय-समय पर चलें।

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बिना डॉक्टर की सलाह के यात्रा न करें

सभी सावधानियों के बावजूद बिना डॉक्टर की अनुमति के यात्रा करना गर्भवती महिला और बच्चे दोनों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए यात्रा की योजना बनाते समय विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहद जरूरी है।

प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में क्या न करें?

ज्यादा सीढ़ियां चढ़ना या मेहनत वाली एक्सरसाइज से बचें। बाहर के फ्राइड फूड्स खाने से बचना चाहिए, क्योंकि ये बच्चे की सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं।

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प्रेग्नेंसी में किन घरेलू कामों से बचें?

बैठकर झाड़ू पोछा लगाने से बचें। लंबे समय तक किचन में खड़े होकर काम न करें। भारी सामान उठाने और बार-बार झुकने से बचें। क्या-क्या परहेज करें? ज्यादा चीनी और नमक का सेवन कम करें। नारियल पानी और नींबू पानी जैसे प्राकृतिक पेय पिएं। जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड से बचें।

प्रेग्नेंसी में यात्रा को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं। कुछ बातों में विज्ञान भी होता है, लेकिन कई बातें केवल परंपराओं पर आधारित होती हैं। गर्भवती महिलाएं अपनी सुरक्षा के लिए डॉक्टर से सलाह लेकर ही यात्रा करें। साथ ही, अपनी और बच्चे की सेहत का पूरा ध्यान रखें।




 


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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