पटियाला महाराजा का हार पहनकर छा गए Diljit Dosanjh, जानिए इस Patiala Necklace क्या लगा था खास
punjabkesari.in Tuesday, May 06, 2025 - 09:19 PM (IST)

नारी डेस्कः मेट गाला के ब्लू कार्पेट पर पंजाबी सिंगर-एक्टर दिलजीत दोसांझ का डेब्यू छा गया। महाराजा बने दिलजीत दोसांझ ने अपनी लुक से पूरी दुनिया में बल्ले-बल्ले करवा दी। दिलजीत दोसांझ ने जिस अंदाज में महाराजा भूपिंदर सिंह को श्रद्धांजलि दी, अपने पंजाबी विरासत को मेट गाला में रिप्रिजेंट किया, उसकी हर तरह तारीफें हो रही हैं।
दिलजीत दोसांझ की लुक पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह से इंस्पायर्ड थी। उनकी इस व्हाइट रॉयल ड्रेस को फेमस डिजाइनर प्रबल गौरंग ने डिजाइन किया था। शेरवानी इंस्पायर्ड सूट, लेयर्ड ड्रेप्स , रॉयल ज्वैलरी ...दिलजीत की कैरी की एक-एक चीज आई कैची थी।
सबसे ज्यादा हाइलाइट हुआ दिलजीत दोसांझ का पहना नेकलेस जो महाराजा के पटियाला नेकलेस से ही इस इंस्पायर्ड था। इसी के साथ फ्लोर लैंथ केप जिस पर पंजाब का नक्शा था गुरमुखी शब्द लिखे थे। चलिए एक झलक आपको कलोजअप में भी दिखाते हैं।
खबरों के मुताबिक, इस हार के इतिहास की बात करें तो कहा जाता है कि साल कमीशन ईयर साल 1928 में महाराजा भूपिंदर सिंह ने फेमस फ्रांसीसी ज्वैलरी हाउस कार्टियर को भारत बुलाया और ज्वेलरी का एक विशाल ऑर्डर दिया। ये हार अपने रॉयलनेस के लिए पूरी दुनिया में चर्चा में रहा है।
कार्टियर की टीम जब पटियाला पहुंची तो उन्होंने देखा कि एक कमरे में रंगों के अनुसार बांटी हुई कीमती रत्नों की अलमारियां थीं। उसी दौरान इस हार का ऑर्डर मिला, जो कार्टियर के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर था।
कहा जाता है कि इस हार इस हार में कुल 2,930 हीरे लगे थे। और सेंटर में जो De Beers का 234.65 कैरेट का पीला हीरा लगा था वो उस समय दुनिया का सातवां सबसे बड़ा हीरा था। हार में प्लैटिनम, रूबी, और भी कई कीमती स्टोन्स का इसमें इस्तेमाल किया गया था। हालांकि सन 1948 में यह ऐतिहासिक हार राज दरबार से रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया।
नेकलेस के केंद्र में लगा पीला हीरा सन 1982 में नीलामी में सामने आया और कुछ हिस्से न्यूयॉर्क की एक एंटिक दुकान में मिले हालांकि कई रत्न इस हार के गायब ही रहे। कार्टियर ने इस हार को दोबारा तैयार किया लेकिन असली हार जैसी रॉयलनेस नहीं आई। दिलजीत दोसांझ के लिए ये मेट गाला नाइट रात सिर्फ फैशन डेब्यू नहीं, बल्कि अपने शाही इतिहास को सम्मान देने का अवसर था, जिसे उन्होंने शानदार बखूबी तरीके से रिप्रीजेंट किया।