किन लोगों को अपनी मृत्यु आने से पहले ही हो जाता है आभास? प्रेमानंद जी महाराज ने बताया

punjabkesari.in Wednesday, May 21, 2025 - 06:17 PM (IST)

नारी डेस्क: आत्मा न तो जन्म लेती है और न ही मरती है। यह केवल शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में प्रवेश करती है। शरीर जब बूढ़ा और नश्वर हो जाता है तो आत्मा उसे छोड़ देती है और नया शरीर अपनाती है। इस यात्रा को आत्मा की यात्रा कहा जाता है जो धरती से परलोक तक होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ खास लोग मृत्यु के आने से पहले उसे महसूस कर सकते हैं? प्रेमानंद जी महाराज ने हाल ही में इस बारे में महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं।

मृत्यु के संकेत किसे मिलते हैं?

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, मृत्यु का एहसास हर व्यक्ति को नहीं होता। यह विशेष रूप से पुण्यात्माओं और महात्माओं को ही होता है। जब उनका शरीर समाप्ति की ओर बढ़ता है तो उन्हें खुद ही इसका आभास हो जाता है। वे जान जाते हैं कि अब उनका शरीर पूरी तरह से कार्य नहीं करेगा और उनका जीवन समाप्त होने वाला है। महाराज कहते हैं कि जो महात्मा निरंतर भजन करते रहते हैं, उनके लिए मृत्यु का संकेत एक प्रकार का चेतावनी बनकर आता है। यह संकेत उन्हें समय से पहले मिल जाता है।

सिद्ध महापुरुषों को मिलता है मृत्यु का संकेत

जो लोग सिद्ध महापुरुष होते हैं और जिनकी आत्मा पवित्र होती है उन्हें मृत्यु के बारे में पहले से आभास हो जाता है। यह लोग अपने जीवन में भगवान के नाम का निरंतर जाप करते हैं और उनकी आत्मा भगवान में जुड़ी होती है। ऐसे लोग भली-भांति समझ पाते हैं कि उनका समय अब समाप्त होने वाला है।

साधारण लोग नहीं समझ पाते मृत्यु के संकेत

लेकिन, जिन लोगों का जीवन पापों से भरा होता है, जो भगवान की भक्ति में रमे नहीं होते और जिनका आचरण भी पशुओं जैसा होता है, उन्हें मृत्यु के संकेत का कोई आभास नहीं होता। ये लोग अपनी मृत्यु को अचानक और बिना किसी चेतावनी के महसूस करते हैं। अज्ञानी लोग जो भक्ति मार्ग से दूर रहते हैं, वे जीवन के अंत को पहचान नहीं पाते।

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पुण्यात्माओं को मिलता है मृत्यु का आभास

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, पुण्यात्माओं को मृत्यु आने से पहले उसका आभास हो जाता है। यह लोग जीवन के अंतिम समय में भगवान के नाम का जाप करते हुए अपने शरीर का त्याग कर देते हैं। वे शांति और संतोष के साथ मृत्यु को स्वीकार करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि अब उनका समय समाप्त हो चुका है।

क्या मृत्यु को टाल सकते हैं?

प्रेमानंद जी महाराज ने इस सवाल का उत्तर भी दिया है। उनके अनुसार, मृत्यु को टालना संभव नहीं है। जो व्यक्ति भगवान की भक्ति में लीन रहता है, वह कभी भी अपनी मृत्यु को लेकर शिकायत नहीं करता। भक्त की इच्छा होती है कि वह अपने प्यारे प्रभु के पास जाए और अपनी इच्छा को प्रभु की इच्छा के अनुरूप मानता है। भक्ति मार्ग में चलते हुए भक्त किसी भी स्थिति को प्रभु की इच्छा मानते हैं, चाहे वह जीवन हो या मृत्यु।

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मृत्यु के संकेत शिवपुराण के अनुसार

शिवपुराण में भी कुछ ऐसे संकेत बताए गए हैं, जो मृत्यु के पास आने पर व्यक्ति में दिखाई देते हैं। शिवपुराण के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के शरीर के कुछ अंग काम करना बंद कर देते हैं, तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति के पास बहुत कम समय बचा है। आने वाले छह महीनों में वह व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त कर सकता है।

तालु या ऊपर का हिस्सा सूखना

यदि किसी व्यक्ति का तालु या मुंह का ऊपर वाला हिस्सा सूखने लगे, तो यह भी एक संकेत होता है कि उसकी मृत्यु निकट है। ऐसे लोग भी जल्दी ही मृत्यु का सामना कर सकते हैं।

परछाई का गायब होना

शिवपुराण में यह भी कहा गया है कि मृत्यु के पास आने पर व्यक्ति की परछाई भी गायब हो जाती है। यह संकेत भी मृत्यु के समय के करीब होने का एक और रूप है।

मृत्यु एक अटल सत्य है, और प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षा हमें यह समझने में मदद करती है कि कौन से लोग मृत्यु के संकेत को महसूस कर सकते हैं। जिनकी आत्मा भगवान में रमी रहती है, वे इन संकेतों को पहचानते हैं। वही लोग जो भक्ति में निहित रहते हैं, उनके लिए मृत्यु का समय एक स्वाभाविक प्रक्रिया बन जाता है। हम सभी को जीवन को पुण्य और भक्ति के मार्ग पर चलकर अपने अंतिम समय को शांति से बिताने की कोशिश करनी चाहिए।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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