नीम करोली बाबा की शादी कब हुई और कैंची धाम में क्यों चढ़ाते हैं कंबल, जानिए बाबा के बारे मे वो बातें जो आप नहीं जानते
punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 04:21 PM (IST)

नारी डेस्क: नीम करोली बाबा इस दुनिया में भले ही न रहे हों लेकिन आज भी उनके भक्त उनकी शिक्षाओं और कहानियों पर गहरा विश्वास रखते हैं। उन्हें हनुमान जी का परम भक्त माना जाता है। नीम करोली बाबा के साथ रहने वाले कई लोग कहते थे कि बाबा में कोई चमत्कारी शक्ति थी। वे बिना किसी से कुछ पूछे ही आने वाले लोगों के दुख समझ जाते थे। कई लोगों का यह भी मानना था कि नीम करोली बाबा हनुमान जी से मिल चुके थे। बाबा काठगोदाम से लगभग 38 किलोमीटर दूर स्थित कैंची धाम में रहते थे। बाबा पर विश्वास रखने वाले दूर-दूर से उनसे मिलने आते थे।
नीम करोली बाबा का बचपन और शादी
नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। उनका बचपन आम बच्चों से कुछ अलग था। केवल 11 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी। लेकिन उनका मन सांसारिक जीवन में नहीं लगा। इसलिए उन्होंने साधु बनने का निश्चय किया और घर छोड़ दिया। बाद में अपने पिता के आग्रह पर वे घर लौट आए और पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाने लगे। उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। यह बड़ा आश्चर्यजनक था कि 17 वर्ष की कम उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। कहा जाता है कि उनके गुरु स्वयं हनुमान जी थे।
नीम करोली बाबा का नाम कैसे पड़ा?
बाबा ने भारत के कई हिस्सों की यात्रा की और हर जगह लोग उन्हें अलग-अलग नामों से जानते थे। जब वे गंजम में मां तारा तारिणी शक्ति पीठ गए तो स्थानीय लोगों ने उन्हें 'हनुमान जी' और 'चमत्कारी बाबा' के नाम से पुकारा। यह उनके अलौकिक व्यक्तित्व और चमत्कारिक शक्तियों का प्रमाण था।
एक बार बाबा ट्रेन में सफर कर रहे थे लेकिन उनके पास टिकट नहीं था। टिकट जांचने वाले टीटी ने उन्हें पकड़ा और अगले स्टेशन नीम करोली पर उतर जाने को कहा। बाबा ने स्टेशन पर उतर तो गए लेकिन ट्रेन के पास ही एक चिमटा गाड़ दिया और वहीं बैठ गए।
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नीम करोली स्टेशन का बनना
ट्रेन ड्राइवर ने ट्रेन चलाने की बहुत कोशिश की लेकिन ट्रेन टस से मस नहीं हुई। यात्री घबरा गए और उन्हें लगा कि यह बाबा का प्रकोप है। कुछ लोग बाबा को जानते थे। उन्होंने टीटी और ड्राइवर से बाबा से माफी मांगने को कहा। सभी ने बाबा से माफी मांगी। बाबा ने माफ कर दिया और ट्रेन में वापस बैठ गए। लेकिन बाबा ने एक शर्त रखी कि नीम करोली में एक रेलवे स्टेशन बनाया जाना चाहिए ताकि आसपास के गाँव के लोग ट्रेन पकड़ने के लिए दूर न जाएं। अधिकारियों ने उनकी बात मान ली और नीम करोली में स्टेशन बन गया। तभी से बाबा को नीम करोली बाबा के नाम से भी जाना जाने लगा।
नीम करोली बाबा और कंबल की एक पुरानी कहानी
नीम करोली बाबा के साथ रहने वाले लेखक रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने अपनी किताब 'मिरेकल ऑफ लव' में एक घटना का वर्णन किया है। एक दिन बाबा अचानक एक बुजुर्ग दंपति के घर पहुंचे। दंपति बाबा को देखकर बहुत खुश हुए लेकिन हैरान भी कि बाबा अचानक कैसे आ गए। बाबा ने कहा कि वे आज रात उनके घर में ही विश्राम करेंगे। दंपति ने खाना खिलाने के बाद बाबा को एक कंबल और चारपाई दी। बाबा कंबल ओढ़कर गहरी नींद में सो गए।
कंबल में दर्द और चमत्कार
पूरी रात बाबा कंबल में कराहते रहे जैसे कोई उन्हें मार रहा हो। बुजुर्ग दंपति इस पर दुखी हुए लेकिन इसका कारण नहीं समझ पाए। अगले दिन बाबा ने उनसे कहा कि वे कंबल को नदी में बहा दें और फिर चले गए। कुछ दिनों बाद दंपति का बेटा जो फौज में था, घर वापस लौटा। उसने बताया कि लड़ाई के दौरान उसे बार-बार ऐसा लगा जैसे कोई उसे दुश्मनों से बचा रहा है। उसने एक बुजुर्ग की छवि भी देखी। बेटे की बातें सुनकर दंपति समझ गए कि नीम करोली बाबा ने ही उनके बेटे की रक्षा की है।
कंबल चढ़ाने की परंपरा
इस घटना के बाद से बाबा के भक्त कैंची धाम में नीम करोली बाबा को कंबल चढ़ाते हैं। यह विश्वास किया जाता है कि बाबा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनके लिए हमेशा मौजूद रहते हैं।
नीम करोली बाबा की ये बातें और उनके चमत्कार आज भी लोगों के दिलों में गहराई से बसे हुए हैं। उनकी सादगी, भक्ति और अलौकिक शक्तियां भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।