वृंदावन के प्रेमानंद जी महाराज क्यों पहनते हैं हमेशा पीले वस्त्र?

punjabkesari.in Thursday, May 22, 2025 - 10:32 AM (IST)

नारी डेस्क: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज, जिन्हें लोग श्रद्धा से "प्रेमानंद जी महाराज" के नाम से जानते हैं, अपने पीले वस्त्रों के लिए विशेष रूप से पहचाने जाते हैं। भक्तों के बीच यह सवाल अक्सर उठता है कि आखिर महाराज हमेशा पीले रंग के ही कपड़े क्यों पहनते हैं? इसका उत्तर उनके आध्यात्मिक जीवन और भक्ति मार्ग में छिपा है।

 राधा-कृष्ण की भक्ति का प्रतीक है पीला रंग

प्रेमानंद जी महाराज का संबंध राधावल्लभ संप्रदाय से है, जो पूरी तरह से राधा रानी और श्रीकृष्ण की प्रेममयी भक्ति पर केंद्रित है। इस संप्रदाय में पीले रंग को अत्यंत पवित्र माना जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राधा रानी की आभा (कांति) पीतवर्ण अर्थात पीली कही जाती है। वहीं भगवान श्रीकृष्ण को “पीतांबर” कहा जाता है, क्योंकि वे पीले वस्त्र धारण करते हैं। इसी परंपरा को निभाते हुए प्रेमानंद जी महाराज हमेशा पीले कपड़े पहनकर अपने आराध्य के प्रति भक्ति और समर्पण प्रकट करते हैं।

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किशोरावस्था में ही चुना आध्यात्मिक मार्ग

सूत्रों के अनुसार, प्रेमानंद जी महाराज ने बहुत ही कम उम्र में सांसारिक जीवन का त्याग कर नैष्ठिक ब्रह्मचर्य का व्रत लिया और संन्यास को स्वीकार किया। इसके पश्चात वे राधावल्लभ संप्रदाय में दीक्षित हुए, जहां उनके गुरु पूज्य श्री हित गौरांगी शरण जी महाराज ने उन्हें ‘सहचारी भाव’ और ‘नित्य विहार रस’ की दीक्षा दी। तभी से महाराज जी राधा-कृष्ण की नित्य लीलाओं में लीन रहते हैं।

भक्ति के और भी प्रतीक

प्रेमानंद महाराज केवल पीले वस्त्र ही नहीं पहनते, बल्कि वे मस्तक पर पीले चंदन का तिलक भी लगाते हैं। यह तिलक उनकी गहन आस्था और प्रेम की भावना का प्रतीक माना जाता है। उनके अनुयायी भी पीले या सफेद वस्त्र पहनते हैं, जिससे उनकी संप्रदायिक पहचान झलकती है।

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प्रेमानंद जी महाराज के पीले वस्त्र न केवल उनकी धार्मिक परंपरा का पालन हैं, बल्कि उनके राधा-कृष्ण के प्रति पूर्ण समर्पण और भक्ति का जीवंत उदाहरण भी हैं। उनके जीवन का हर पहलू प्रेम, सेवा और आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ है, और उनकी वेशभूषा भी उसी भाव को दर्शाती है।
 
 

 

 


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Priya Yadav

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