पत्नी ने मांग ले मोटी रकम, इसलिए शादी से पहले ही ट्रस्ट का "कवच" पहन रहे पुरुष
punjabkesari.in Monday, Jul 21, 2025 - 11:23 AM (IST)

नारी डेस्क: आज के हालात को देखते हुए लोगों का शादी पर से विश्वाश हटता जा रहा है। तलाक के दौरान महिलाओं द्वारा मांगे जाने वाले भारी भरकम समझौते को लेकर तो पुरुषों की चिंताए और बढ़ गई है। इस सब से बचने के लिए अब प्राइवेट फैमिली डिस्क्रेशनरी ट्रस्ट का चलन तेजी से बढ़ रहा है। यह शादी टूटने पर होने वाले नुकसान से बचने के लिए उठाया जाने वाला नया कदम है। चलिए समझते हैं इसे विस्तार से।
यह भी पढ़ें: वैष्णो देवी मंदिर से आई बड़ी खबर
क्या है फैमिली डिस्क्रेशनरी ट्रस्ट?
यह एक निजी ट्रस्ट होता है जिसमें परिवार की संपत्ति को रखा जाता है। ट्रस्ट के ज़रिए यह तय किया जाता है कि कौन व्यक्ति, कितनी संपत्ति और कब प्राप्त करेगा। ट्रस्टी (जैसे माता-पिता या कोई वकील) इस पर नियंत्रण रखते हैं, न कि दामाद या बहू।
शादी और तलाक की स्थिति में इसका क्या लाभ है?
शादी के बाद अगर तलाक हो जाए, तो इस ट्रस्ट की संपत्ति को पूर्व पति या पत्नी दावा नहीं कर सकते। यहह ट्रस्ट सुनिश्चित करता है कि परिवार की संपत्ति बाहर के व्यक्ति (जैसे दामाद या बहू) के हाथ न लगे। मुंबई के एक बड़े जौहरी ने भी ट्रस्ट के सहारे लाखों बचा लिए। उनके बेटे ने जब तलाक के लिए अर्जी दी तो पत्नी उन संपत्तियों पर कोई दावा नहीं कर सकी जिन्हें वह कभी अपना समझती थी।
यह भी पढ़ें:सावन के दूसरे सोमवार शिवालयों में लगा भक्तों का तांता
अमीरों से अब मिडल क्लास तक पहुंचा ये ट्रेंड
इससे इंटर-कास्ट या इंटर-रिलिजन शादी में फाइनेंशियल रिस्क से भी सुरक्षा मिलती है। दरअसल ऐसी शादियों में पारिवारिक विवाद या अस्थिरता का डर अधिक होता है, इसलिए ये ट्रस्ट परिवार को आर्थिक रूप से सुरक्षित रखते हैं। पहले यह तरीका सिर्फ अमीर लोग ही अपनाते थे, लेकिन अब मिडिल क्लास के लोग भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। वे अपनी कमाई को सुरक्षित रखना चाहते हैं और परिवार को कानूनी लड़ाई से बचाना चाहते हैं।
भारत में कानूनी स्थिति
ट्रस्ट अधिनियम (Indian Trusts Act, 1882) के अंतर्गत वैध है। जहां प्रेनप्चुअल एग्रीमेंट भारत में काम नहीं करते, वहीं फैमिली ट्रस्ट एक कानूनी और प्रैक्टिकल विकल्प बनकर उभर रहे हैं। यह न केवल तलाक की स्थिति में संपत्ति को सुरक्षित रखते हैं, बल्कि परिवार के आर्थिक हितों की लंबी अवधि तक रक्षा करते हैं। ट्रस्ट को इस तरह से बनाया जाता है कि कानूनी तौर पर बेटे के नाम पर कोई संपत्ति नहीं होती है। वह सिर्फ लाभार्थी होता है। इससे तलाक होने पर संपत्ति पर दावा करने का स्कोप कम हो जाता है।
महिलाओं को लिए भी फायदेमंद है ये ट्रस्ट
यह ट्रस्ट महिलाओं को अपनी संपत्ति को अपने बच्चों या अन्य लाभार्थियों को हस्तांतरित करने की योजना बनाने में मदद करता है, और यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति उनकी मृत्यु के बाद भी सुरक्षित रहे। यह विवाहित महिला अधिनियम 1874 का समर्थन करता है। यह अधिनियम महिलाओं को जीवन बीमा पॉलिसी के लाभों से वंचित होने से बचाने में मदद करता है, खासकर जब वे संयुक्त परिवार में हों।