फुलकारी दुपट्टा: क्यों बिना इसके अधूरी मानी जाती है पंजाबी शादी?
punjabkesari.in Wednesday, Jul 09, 2025 - 03:28 PM (IST)

नारी डेस्क: भारत की हर संस्कृति में पारंपरिक पहनावे का खास महत्व होता है, और पंजाब की बात करें तो वहां की पारंपरिक विरासत में फुलकारी दुपट्टा एक खास पहचान रखता है। यह दुपट्टा न सिर्फ खूबसूरती और रंग-बिरंगे डिजाइनों के लिए जाना जाता है, बल्कि इसका एक गहरा सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व भी है। आइए जानते हैं इस खास दुपट्टे से जुड़ी कुछ रोचक बातें।
फुलकारी का मतलब क्या है?
‘फुलकारी’ दो शब्दों से मिलकर बना है फुल यानी ‘फूल’ और कारी यानी ‘कढ़ाई’। यानी फुलकारी का सीधा अर्थ होता है फूलों की कढ़ाई। इस दुपट्टे पर फूलों के सुंदर डिज़ाइन बनाए जाते हैं, जो इसकी पहचान हैं। चाहे कोई भी पैटर्न हो, फूलों वाला डिज़ाइन फुलकारी का अहम हिस्सा होता है।
700 साल पुराना इतिहास
फुलकारी की जड़ें बहुत गहरी हैं। इसका इतिहास करीब 700 साल पुराना बताया जाता है। इसका जिक्र हीर-रांझा की प्रेम कहानी से लेकर गुरु ग्रंथ साहिब जैसे पवित्र ग्रंथों तक में मिलता है। कुछ लोगों का मानना है कि इसकी शुरुआत ईरान से हुई थी, जहां इसे ‘गुलकारी’ कहा जाता था, जबकि कुछ इतिहासकार इसे पंजाब की जाट जनजाति से जोड़ते हैं।
कैसे बनता है फुलकारी दुपट्टा?
फुलकारी दुपट्टा पहले खादी या सूती कपड़े पर बनाया जाता था। इसमें सिल्क के धागे इस्तेमाल होते थे। नई दुल्हन के लिए इसे चटक रंगों में बनाया जाता था। बुज़ुर्ग महिलाओं के लिए हल्के रंगों का प्रयोग होता था। सबसे खास बात ये है कि यह कढ़ाई दुपट्टे की उल्टी तरफ से की जाती थी ताकि सामने से डिज़ाइन सुंदर दिखे। अगर डिज़ाइन सरल हो तो इसे 2-3 दिन में तैयार किया जा सकता है, जबकि जटिल डिजाइनों में कई हफ्ते तक का समय लग सकता है। आज मशीनों से भी फुलकारी बनाई जाती है, लेकिन हाथ की कढ़ाई का मुकाबला नहीं कर सकती।
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पंजाबी शादी में क्यों जरूरी है फुलकारी?
पंजाब की परंपराओं में फुलकारी दुपट्टा एक शुभ चिन्ह माना जाता है। माना जाता है कि इसपर बने फूलों के डिज़ाइन समृद्धि, सौभाग्य और प्रजनन क्षमता के प्रतीक होते हैं। कई परिवारों में लड़की के जन्म के साथ ही फुलकारी दुपट्टा खरीद लिया जाता है, जिसे विदाई के समय मां बेटी को देती है। सास भी अपनी बहू को फुलकारी दुपट्टा भेंट करती है, जो रिश्तों की मिठास और परंपरा की डोर को जोड़े रखता है।
बॉलीवुड और फैशन में भी छाया फुलकारी का जलवा
फुलकारी दुपट्टा अब सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं है। बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रीति जिंटा से लेकर कई अभिनेत्रियां इसे पहन चुकी हैं। फुलकारी को सिंपल सूट या वेस्टर्न आउटफिट के साथ भी आसानी से पहना जा सकता है। यह इतना सुंदर होता है कि किसी भी सिंपल ड्रेस को खास बना देता है।
सिर्फ पंजाब ही नहीं, और भी हैं पारंपरिक विकल्प
जैसे पंजाब की पहचान फुलकारी है, वैसे ही उत्तराखंड का पिछौड़ा भी एक पारंपरिक दुपट्टा है, जो वहां की संस्कृति को दर्शाता है। फुलकारी दुपट्टा सिर्फ एक फैशन स्टेटमेंट नहीं, बल्कि संस्कृति, भावनाओं और परंपराओं का प्रतीक है। यह दुपट्टा आज भी शादी-ब्याह से लेकर त्योहारों तक में महिलाओं की पहली पसंद बना हुआ है। इसकी खूबसूरती और परंपरा से जुड़ा इतिहास ही इसे इतना खास बनाता है।
इसलिए कहा जाता है पंजाबी शादी फुलकारी के बिना अधूरी है।