Jagannath Rath Yatra 2025: कब से शुरू होगी, जानिए क्या है इसका महत्व
punjabkesari.in Thursday, May 29, 2025 - 10:56 AM (IST)

नारी डेस्क: हर साल ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बड़े धूमधाम से निकाली जाती है। यह यात्रा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है और दस दिनों तक चलती है। इसे देखने और इसमें भाग लेने देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं। मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होने मात्र से जन्मों-जन्मों के पाप मिट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रथ यात्रा 2025 की तारीखें
शुरुआत: 27 जून 2025 (आषाढ़ शुक्ल द्वितीया)
समापन: 5 जुलाई 2025 (आषाढ़ शुक्ल दशमी)
क्या होती है रथ यात्रा?
भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा तीनों अलग-अलग भव्य रथों पर सवार होकर श्रीमंदिर (मुख्य मंदिर) से निकलते हैं और गुंडिचा मंदिर (मौसी का घर) तक जाते हैं। इस दौरान वे पूरे नगर का भ्रमण करते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं। गुंडिचा मंदिर में भगवान 7 दिन रहते हैं और फिर वापस श्रीमंदिर लौटते हैं। इस वापसी यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।
एकांतवास और सहस्त्रधारा स्नान क्या है?
रथ यात्रा से पहले ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का 108 घड़ों के जल से विशेष स्नान कराया जाता है, जिसे स्नान यात्रा या सहस्त्रधारा स्नान कहते हैं। ठंडे पानी से स्नान करने के कारण भगवान "बीमार" पड़ जाते हैं और फिर 14 दिनों तक एकांतवास में रहते हैं। इस दौरान मंदिर के पट बंद रहते हैं और किसी को भी भगवान के दर्शन नहीं होते। फिर रथ यात्रा के दिन भगवान बाहर आकर भक्तों को दर्शन देते हैं।
क्यों निकाली जाती है रथ यात्रा?
पद्म पुराण के अनुसार, एक बार सुभद्रा देवी ने भगवान जगन्नाथ से नगर भ्रमण की इच्छा जताई थी। तब भगवान ने अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाया और वे पुरी नगर भ्रमण पर निकले। वे अपनी मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर गए और वहां कुछ दिन निवास किया। तभी से यह परंपरा हर वर्ष निभाई जाती है।
इस रथ यात्रा का महत्व
इसमें भाग लेने से सारे पाप मिट जाते हैं।
भगवान के दर्शन से मन को शांति मिलती है।
मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह दुनिया की सबसे बड़ी चैरोट फेस्टिवल (रथ यात्रा) मानी जाती है।
अगर आप 2025 में इस यात्रा में शामिल होना चाहते हैं, तो 27 जून से 5 जुलाई तक की योजना बना सकते हैं। यह अनुभव आध्यात्मिक रूप से बेहद खास माना जाता है।