दिल्ली-पंजाब की जहरीली हवा, चीन में सांसें हुईं साफ: आखिर चीन ने प्रदूषण से कैसे पाई जीत?
punjabkesari.in Monday, Nov 24, 2025 - 01:07 PM (IST)
नारी डेस्क: दिल्ली और पंजाब में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक हो गया है। 22 नवंबर को दिल्ली में PM 2.5 का स्तर 323, पंजाब में 225 और पाकिस्तान के लाहौर में 235 तक पहुंच गया। वहीं, चीन की राजधानी बीजिंग में उसी दिन सिर्फ 43 का स्तर दर्ज किया गया, यानी वहां की हवा साफ थी। यह सोचने की बात है कि जिस देश में कभी घना धुआं और स्मॉग दिखाई देता था, उसने अपने शहरों को कैसे साफ हवा वाली जगह में बदल दिया।
चीन का एक समय भी ऐसा था
2012 में चीन के 90% शहरों में वायु प्रदूषण स्तर मानकों से ऊपर था। 74 बड़े शहरों में केवल 8 शहरों की हवा सुरक्षित मानी जाती थी। प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 5 लाख लोगों की समय से पहले मौत हो जाती थी। 56 साल पहले तक चीन में सर्दियों में आसमान दिखाई नहीं देता था और शहर पूरी तरह स्मॉग की चादर में ढके रहते थे। स्कूल बंद होने लगे, लोग मास्क पहनते और सूरज महीनों तक दिखाई नहीं देता था।
Remember when Beijing was always so smoggy that it was impossible to see a few feet in front of you?
— Crémieux (@cremieuxrecueil) March 19, 2025
That's basically fixed.
Since 2013, PM2.5 is down 64%, NO2 is down 54%, SO2 is down 89%, and instead of having just 13 clear days a year, they now have more than 300. pic.twitter.com/5lP7UUU4n0
सख्त और ठोस कदम उठाए गए
2013 में चीन ने नेशनल एयर क्वालिटी एक्शन प्लान (National Air Quality Action Plan) लागू किया। इस योजना के तहत
उद्योगों पर सख्त नियंत्रण: प्रदूषण फैलाने वाले फैक्ट्रियों और कोयला खदानों को बंद किया गया।
कोयले के उपयोग में कटौती: कोयले का उपयोग आधा कर दिया गया और नए कोयला आधारित प्लांट्स पर रोक लगा दी गई।
वाहनों पर नियंत्रण: बीजिंग, शंघाई और गुआंगज़ौ में पुराने वाहन हटाए गए और कारों की संख्या सीमित की गई।
सार्वजनिक परिवहन का विकास: मैट्रो नेटवर्क बढ़ाया गया, चौड़े पैदल मार्ग और साइकिल जोन बनाए गए, जिससे निजी वाहनों पर निर्भरता कम हुई।
इन उपायों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर पौधारोपण और लो-कार्बन पार्क बनाए गए, जिससे हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
स्थायी और लगातार निगरानी
चीन ने यह कदम अस्थायी नहीं बल्कि स्थायी रूप से उठाए। मॉनिटरिंग सिस्टम मजबूत किया गया, उद्योगों पर लगातार निगरानी रखी गई और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दी गई। इन प्रयासों से वायु गुणवत्ता में आश्चर्यजनक सुधार हुआ और बीजिंग के लोग अब साफ हवा में सांस ले रहे हैं।
🇨🇳Beijing, through aggressive policies, combined with significant government investment and enforcement, led rapid improvements in air quality between 2013-2017.
— 𝑪𝒂𝒕𝒂𝒍𝒆𝒚𝒂🛡 (@catale7a) November 18, 2024
What can New Delhi learn from Beijing?
A thread, if you care🧵 pic.twitter.com/rABpbWg0Gf
घरों में भी बदलाव
बीजिंग में पहले 40 लाख से अधिक घरों और संस्थानों में कोयला ईंधन का इस्तेमाल होता था। सरकार ने इसे रोककर नेचुरल गैस और इलेक्ट्रिक हीटर उपलब्ध कराए। शुरुआत में लोगों को असुविधा हुई, लेकिन धीरे-धीरे यह कदम जीवनदायिनी साबित हुआ।
भारत के लिए सीख और जरूरतें
भारत में भी प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। इसके लिए जरूरी है कि नेशनल क्लीन एयर इमरजेंसी प्लान लागू किया जाए। स्वतंत्र नैशनल क्लीन एयर अथॉरिटी बनाई जाए, जो राजनीतिक दबाव से मुक्त होकर काम करे। हर राज्य के लिए 5 साल में PM 2.5 में 40-50% कमी का लक्ष्य तय किया जाए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसी संस्थाओं की जवाबदेही तय की जाए। वाहनों और सार्वजनिक परिवहन पर सख्त नियम लागू किए जाएं, ग्रीन ज़ोन विकसित किए जाएं। किसानों के लिए पराली प्रबंधन मशीनों और बायो-सीएनजी पर उपयुक्त सब्सिडी दी जाए।
बीजिंग का उदाहरण
2008 के ऑलंपिक से पहले चीन ने बड़े कदम उठाए। गाड़ियों पर रोक, फैक्ट्रियों को अस्थायी रूप से बंद करना और निर्माण कार्य रोकना शामिल था। इसका नतीजा यह हुआ कि ऑलंपिक के दौरान बीजिंग की हवा में 30% तक सुधार आया। चीन ने प्रदूषण के खिलाफ ठोस, दीर्घकालिक और लगातार प्रयास करके अपने शहरों की हवा को साफ बनाया। भारत में भी इसी तरह सख्त योजनाएं, नियम और आम लोगों की भागीदारी जरूरी है। सिर्फ सरकारी कागज़ों या अखबारों में ही प्रदूषण पर खबरें नहीं, बल्कि वास्तविक कार्य और निरंतर निगरानी से ही हवा की गुणवत्ता में सुधार संभव है।

