दिल्ली की जहरीली हवा से बचने के लिए घर से लेकर डाइट तक अपनाएं, ये जरूरी कदम!

punjabkesari.in Thursday, Nov 13, 2025 - 03:14 PM (IST)

 नारी डेस्क: प्रदूषण की मार हम सब झेल रहे हैं। इस समय दिल्ली बुरी तरह प्रदूषण की चपेट में हैं और इसी जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं लोग। लोग लगातार सरकार से क्लीन एयर की डिमांड कर रही है वहीं ऐसे में बहुत से लोग ये भी सोच रहे हैं कि वातावरण को साफ करने में हम कैसे योगदान दें तो बता दें कि ये काम सिर्फ प्रशासन का नहीं है, भई हम सबको एकजुट होना होगा। मिलकर किए ये छोटे-छोटे काम प्रदूषण कम करने में मदद करेंगे।

 पौधे लगाना: हर घर में हरियाली

हर घर, छत और आस-पड़ोस में पौधे लगाना न सिर्फ वातावरण को ताजगी देता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे हवा साफ रहती है और वातावरण में शुद्धता बनी रहती है। तुलसी, एलोवेरा, नीम, गूलर जैसे पौधे विशेष रूप से प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं। आप छोटे गमले, बालकनी के पौधे या पेड़ लगाकर अपनी जगह को हरा-भरा बना सकते हैं। इसके अलावा, पौधे तनाव कम करने और मन को शांत रखने में भी मदद करते हैं।

कूड़ा और प्लास्टिक प्रबंधन

कूड़ा जलाने की आदत पूरी तरह से छोड़ दें, क्योंकि इससे निकलने वाला धुआँ हमारे फेफड़ों के लिए बेहद हानिकारक होता है और यह वायु प्रदूषण में सीधे योगदान करता है। प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करना और रिसायकल/रीयूज़ की आदत डालना भी जरूरी है। गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग रखना न सिर्फ सफाई में मदद करता है बल्कि सही तरीके से निपटान भी संभव बनाता है। इसके अलावा, आप घर पर कम्पोस्टिंग शुरू कर सकते हैं, जिससे खाने के बचे हुए कचरे का भी सही उपयोग होगा और मिट्टी में पोषक तत्व भी बढ़ेंगे।

वाहन और यातायात

वाहन से निकलने वाला धुआँ वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। यदि आपका वाहन अधिक धुआँ छोड़ रहा है तो तुरंत सर्विस करवाएं। निजी वाहन कम इस्तेमाल करें और जहां तक संभव हो पब्लिक ट्रांसपोर्ट, साइकिल या इलेक्ट्रिक वाहन का विकल्प अपनाएं। ऐसा करना न सिर्फ प्रदूषण घटाएगा बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। आप कार पूलिंग का भी विकल्प अपना सकते हैं, जिससे एक ही गाड़ी में ज्यादा लोग सफर करेंगे और प्रदूषण कम होगा।

पटाखे और त्योहारी प्रदूषण

त्योहारी सीजन में पटाखों का इस्तेमाल न करें। पटाखों से निकलने वाला धुआँ और ध्वनि प्रदूषण दोनों ही स्वास्थ्य और वातावरण के लिए हानिकारक हैं। बच्चों, बुजुर्गों और पेट के रोगियों के लिए यह विशेष रूप से जोखिम पैदा करता है। इसके बजाय आप लाईट शो, लाइटिंग डेकोरेशन और इको-फ्रेंडली तरीके से त्यौहार मनाने का विकल्प चुन सकते हैं। छोटे बदलाव जैसे इको-फ्रेंडली रंगोली या बांस के डेकोरेशन भी पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी दिखाते हैं।

सामुदायिक प्रयास

व्यक्तिगत प्रयासों के साथ-साथ सामुदायिक प्रयास भी बेहद जरूरी हैं। स्कूलों, मोहल्लों और सोसाइटियों में स्वच्छता अभियान चलाएं। लोगों को प्रदूषण और इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करें। सामूहिक प्रयास से बड़े बदलाव संभव हैं, जैसे पेड़ लगाना, प्लास्टिक फ्री अभियान, सफाई ड्राइव या बच्चों के लिए पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम। इससे न सिर्फ समाज जागरूक होगा बल्कि एकजुट होकर बदलाव लाना भी आसान होगा।

घर के अंदर सुरक्षा

यदि आप दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर में रहते हैं तो घर के अंदर सुरक्षा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें और घर की खिड़कियों व दरवाजों को बंद रखें जब बाहर धुंध या धुआँ अधिक हो। घर में मास्क पहनना विशेष रूप से बुजुर्गों और बच्चों के लिए फायदेमंद है। साथ ही, गार्डन या बालकनी में कुछ पौधे रखें जो हवा को फिल्टर करने में मदद करें।

ऊर्जा बचत और पर्यावरण संरक्षण

बिजली और ईंधन की बचत करना न केवल आपके बिल कम करेगा बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखेगा। LED बल्ब, ऊर्जा बचाने वाले उपकरण और सोलर लाइट का इस्तेमाल करें। जल संरक्षण के लिए टोंटी, हैंडपंप और बारिश का पानी संग्रहित करने के तरीके अपनाएं। छोटे बदलाव जैसे पानी बचाना, अनावश्यक रोशनी बंद करना या बिजली की खपत कम करना लंबी अवधि में बड़े सकारात्मक परिणाम लाता है।

जागरूकता और शिक्षा

पर्यावरण संरक्षण में शिक्षा सबसे बड़ी शक्ति है। बच्चों को छोटी उम्र से प्रदूषण, उसके दुष्प्रभाव और इससे बचाव के तरीकों के बारे में समझाना जरूरी है। सोशल मीडिया, स्थानीय समुदाय और स्कूलों के माध्यम से लोगों को जागरूक करें। दोस्तों और पड़ोसियों को भी छोटे-छोटे कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करें। जागरूक समाज ही स्थायी बदलाव लाने में सक्षम होता है।

प्रदूषण से लड़ने के लिए डाइट  कैसी होनी चाहिए

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाना खाएं: प्रदूषण के कारण शरीर में फ्री रेडिकल्स बढ़ जाते हैं, जो सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में विटामिन C, E और बीटा-कैरोटीन युक्त खाद्य पदार्थ मदद करते हैं। खाने में शामिल करें: संतरा, नींबू, अंगूर, बेल, गाजर, पालक, टमाटर, शिमला मिर्च।

 फाइबर वाला खाना खाएं: फाइबर से भरपूर खाना पेट को साफ रखता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। खाने में शामिल करें: ओट्स, दलिया, ब्राउन राइस, हरी सब्जियां, बीन्स और दालें।

हरी-भरी सब्जियां और हर्ब्स: हरी सब्जियां और हर्ब्स जैसे पालक, मेथी, धनिया, पुदीना, ब्रोकली, ब्रोकोली इम्यून सिस्टम मजबूत करते हैं।

गर्म और हल्का खाना खाएं:  प्रदूषण की हवा से फेफड़ों पर असर पड़ता है। हल्का, सुपाच्य और गर्म खाना खाने से शरीर को जल्दी एनर्जी मिलती है और फेफड़ों की सफाई में मदद मिलती है।

 पानी और हाइड्रेशन बढ़ाएं: पर्याप्त पानी पीने से शरीर में जमा टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं। कोशिश करें कि रोजाना 2-3 लीटर पानी पिएं। नींबू पानी, ग्रीन टी और हर्बल टी भी मददगार होती हैं।

जंक फूड और तैलीय भोजन कम करें:  जंक फूड, तले हुए और प्रोसेस्ड खाने से शरीर में इंफ्लेमेशन बढ़ता है। ऐसे में प्रदूषण का असर फेफड़ों और त्वचा पर जल्दी दिखाई देता है।

ओमेगा-3 फैटी एसिड लें:  यह फेफड़ों की सूजन को कम करता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है। खाने में शामिल करें: अलसी के बीज, अखरोट, मछली और सोया।

 

प्रदूषण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। हम सभी को मिलकर छोटे-छोटे कदम उठाने होंगे। पौधे लगाना, प्लास्टिक का उपयोग कम करना, वाहन और ऊर्जा की बचत, और स्वच्छता अभियान में हिस्सा लेना – ये सभी प्रयास मिलकर हवा को साफ रखने और स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद करेंगे। याद रखिए हमारे सब के ये छोटे-छोटे कदम आने वाली हमारी और हमारे आने वाली पीढ़ी की सेहत के लिए वरदान साबित होंगे।  


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Content Editor

Priya Yadav

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