डिजिटल युग में बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखने का फायदे ही नहीं नुकसान भी है

punjabkesari.in Monday, Sep 16, 2024 - 04:36 PM (IST)

नारी डेस्क:  सोशल मीडिया से 16 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रतिबंधित करना एक आकर्षक विचार लगता है। डिजिटल युग में अपने बच्चों के जीवन को लेकर चिंतित माता-पिता को ऑस्ट्रेलियाई सरकार का यह कदम कुछ राहत ला सकता है,  लेकिन साक्ष्यों से स्पष्ट है कि इसकी संभावना बहुत कम है कि प्रतिबंध युवा मानसिक स्वास्थ्य संकट पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे। दरअसल, प्रतिबंध हमारे बच्चों को ऑनलाइन जगत में और अधिक असुरक्षित बना सकते हैं। बच्चे और युवा मुख्य रूप से अपने साथियों के साथ मेलजोल बढ़ाने के लिए ऑनलाइन होते हैं।

 

बच्चो को भी समझने की जरूरत

ऑनलाइन जगत उन कुछ स्थानों में से एक है जहां अत्यधिक व्यस्त बच्चे एक-दूसरे के साथ स्वतंत्र रूप से बातचीत कर सकते हैं, जोकि उनकी भलाई के लिए महत्वपूर्ण है। सोशल मीडिया पर पाबंदी से यह रास्ता भी उनके लिए बंद हो जाएगा और यह बच्चों को निम्न गुणवत्ता वाले ऑनलाइन परिवेश में धकेलेगा। बच्चे पहले से कह रहे हैं कि व्यस्क यह नहीं समझते कि वे ऑनलाइन क्या करते हैं और इस संबंध में सहायता के लिए उनके पास पर्याप्त साधन नहीं हैं। पूर्ण पाबंदी इस बात की पुष्टि है कि माता-पिता को यह समझ में नहीं आता। बच्चे पाबंदी से निपटने का तरीका ढूंढ़ लेंगे। और यदि सोशल मीडिया पर उनकी बातचीत का अनुभव गलत रहता है तो यह तथ्य कि उन्हें वहां नहीं होना चाहिए था, उनके लिए व्यस्कों से मदद को हासिल करना और भी मुश्किल बना देगा। 


 प्रतिबंध के बजाय हमें क्या करना चाहिए?

हमारे बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा सामूहिक जिम्मेदारी है। यहां कुछ सकारात्मक कदम हैं जिन्हें हम उठा सकते हैं, लेकिन उसके लिए सरकारों, उद्योग, सामुदायिक क्षेत्र, माता-पिता, देखभालकर्ताओं, शिक्षाविदों, अनुसंधानकर्ताओं, बच्चों और युवा लोगों के बीच अधिक सहयोग की जरूरत है। सभी बच्चे जोखिम उठाकर और गलतियां कर सीखते हैं। ऑनलाइन नुकसान को खत्म करने तथा बच्चों और उनके देखभाल करने वालों को डिजिटल दुनिया से आत्मविश्वास के साथ निपटने के लिए तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। सख्त नियमन समाधान का हिस्सा है। लेकिन इंटरनेट को बच्चों के लिए एक बेहतर जगह बनाना सबसे अच्छी सुरक्षा है जो हम प्रदान कर सकते हैं, न कि इसे (इंटरनेट को) प्रतिबंधित करना। 

तो यह कैसे होगा?


एक तरीका ‘सेफ्टी बाई डिजाइन' सिद्धांतों को लागू करना है। यहां हमें बच्चों से ही सबक लेना चाहिए। वे मंचों और सरकारों से कई कार्य करने का आग्रह कर रहे हैं: - नाबालिगों को स्वतः तौर पर गोपनीयता प्रदान करें - सभी प्रकार के विभिन्न मंचों पर मानकीकृत, आसानी से पहुंच योग्य और अच्छी तरह से समझाई गई रिपोर्टिंग प्रक्रियाएं प्रदान करें - बच्चों से संपर्क का प्रयास करने वाले 'बुरे लोगों' का पता लगाने के लिए एआई का उपयोग करें। बच्चे यह भी जानना चाहते हैं कि उनसे कौन सा डेटा एकत्र किया जाता है, इसका उपयोग कैसे किया जाता है, किसके द्वारा और किस उद्देश्य के लिए किया जाता है। वे ‘सेफ्टी बाई डिजाइन' सुविधाओं की भी मांग कर रहे हैं जो उनके फीड से अश्लील, हिंसक और अन्य आयु-अनुचित सामग्री को हटा दें। न केवल सुरक्षित, बल्कि उपयुक्त भी‘सेफ्टी बाई डिजाइन' संपूर्ण समाधान नहीं है। उद्योग कोड विकसित करने के प्रयासों के आधार पर, उद्योग और सरकार को मानकों की एक विस्तृत श्रृंखला विकसित करने के लिए एक साथ आना चाहिए जो न केवल सुरक्षित, बल्कि बच्चों के लिए उपयुक्त डिजिटल वातावरण प्रदान करता है। 

ऑनलाइन सुरक्षा शिक्षा की मांग 

उच्च-गुणवत्ता, बाल-केंद्रित साक्ष्य प्रमुख मंचों को उद्योग-व्यापी मानक विकसित करने में मदद कर सकते हैं जोकि परिभाषित करते हैं कि विभिन्न उम्र के बच्चों के लिए किस प्रकार की सामग्री उपयुक्त है। हमें बच्चों के लिए लक्षित शिक्षा की भी आवश्यकता है जो उनकी डिजिटल क्षमताओं का निर्माण करे तथा उन्हें ऑनलाइन जुड़ाव से निपटने और उसमें आगे बढ़ने के लिए तैयार करे। उदाहरण के लिए, अत्यधिक नुकसान पर ध्यान केंद्रित करने वाली शिक्षा के बजाय, बच्चे स्कूलों और अन्य जगहों पर ऑनलाइन सुरक्षा शिक्षा की मांग कर रहे हैं जो उन्हें ऑनलाइन होने वाले नुकसान के निम्न-स्तरीय, रोजमर्रा के जोखिमों का प्रबंधन करने में सहायता करे। 

साक्ष्य पर ध्यान दें

कुछ आधिकारिक, साक्ष्य-आधारित मार्गदर्शन पहले से मौजूद हैं। यह हमें बताता है कि कैसे सुनिश्चित किया जाए कि बच्चे संभावित नुकसान को कम कर सकें और डिजिटल वातावरण के लाभों को अधिकतम कर सकें। जहां साक्ष्य अभी मौजूद नहीं है, वहां हमें बाल-केंद्रित अनुसंधान में निवेश करने की आवश्यकता है। यह बच्चों के डिजिटल जगत से जुड़े क्रियाकलाप का सूक्ष्म विवरण प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है, और यह नीति बनाने और अभ्यास के लिए एक सुसंगत और रणनीतिक रूप से दीर्घकालिक दृष्टिकोण की राह दिखा सकता है। कोविड महामारी से सबक लेते हुए, हमें निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के साथ साक्ष्य को बेहतर ढंग से संरेखित करने की भी आवश्यकता है। इसका मतलब है उच्च-गुणवत्ता वाली मजबूत अनुसंधान प्रक्रियाओं को तेज करना या उभरती चुनौतियों के बारे में बेहतर अनुमान लगाने और साक्ष्य उत्पन्न करने के लिए अनुसंधान के तरीके खोजना है। इस प्रकार सरकारें विशेष नीतिगत कवायद के 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

vasudha

Related News

static