सावधान! दिल को फेल कर सकती हैं ये 5 दवाइयां, बिना पूछें खाने से पहले सोचें
punjabkesari.in Monday, Jul 07, 2025 - 07:40 PM (IST)

नारी डेस्क: बहुत से लोग सिरदर्द, सर्दी-जुकाम या पुरानी बीमारियों के लिए कुछ दवाओं पर सालों से भरोसा करते आ रहे हैं लेकिन सिर्फ इसलिए कि कोई दवा पुरानी और जानी-पहचानी है, इसका मतलब यह नहीं कि वह पूरी तरह से सुरक्षित है क्योंकि सालों से खाई जाने वाली दवाइयां आपके शरीर के अंदरूनी अंगों को प्रभावित कर सकती हैं खासकर दिल। इसी जागरूकता के साथ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. दिमित्री यारानोव ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर कुछ ऐसी दवाओं के बारे में बताया है जो दिल को नुकसान पहुंचा सकती हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि रोजाना उपयोग में आने वाली ये दवाएं दिल की सेहत को खराब कर सकती हैं।
डॉ. दिमित्री यारानोव की चेतावनी, दिल को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं ये दवाइयां
डॉ. यारानोव के अनुसार, हमें एनएसएआईडी (NSAIDs) जैसी दवाओं, कीमोथेरेपी दवाओं, स्टीमुलेंट्स (उत्तेजक पदार्थों), पुरानी डायबिटीज की दवाओं और डिकॉन्गेस्टेंट्स के इस्तेमाल में सावधानी बरतनी चाहिए। ये दवाएं दिल की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं, खासकर यदि इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के बार-बार लिया जाए।
एनएसएआईडी (Ibuprofen, Naproxen) दवाइयां
एनएसएआईडी दवाएं जैसे इबुप्रोफेन और नेप्रोक्सेन आमतौर पर दर्द और सूजन को कम करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। सिरदर्द, जोड़ों के दर्द या बुखार में लोग अक्सर इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के ले लेते हैं लेकिन ज्यादा मात्रा में या लगातार लेने से ये दवाएं ब्लड प्रेशर बढ़ा सकती हैं और शरीर में पानी जमा कर सकती हैं। खासकर उन लोगों के लिए ये खतरा ज्यादा होता है जिन्हें पहले से दिल की बीमारी है। इन दवाओं के लगातार उपयोग से हार्ट फेलियर (दिल का फेल होना) का जोखिम भी बढ़ सकता है इसलिए एनएसएआईडी दवाओं का उपयोग हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें।
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कुछ कीमोथेरेपी दवाएं (Doxorubicin, Trastuzumab)
कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाएं, जैसे डॉक्सोरूबिसिन और ट्रास्टुजुमाब, दिल की मांसपेशियों को कमजोर कर सकती हैं। यह धीरे-धीरे दिल की कार्यक्षमता को प्रभावित करती हैं और हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ा सकती हैं। इसलिए कैंसर के मरीजों के इलाज के दौरान और बाद में कार्डियक मॉनिटरिंग (दिल की जांच) जरूरी होती है ताकि समय रहते इस खतरे का पता चल सके।
स्टीमुलेंट दवाएं (ADHD दवाएं, Amphetamines)
फोक्स ना कर पाना, हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) या नींद की समस्या (नार्कोलेप्सी) के इलाज में दी जाने वाली स्टीमुलेंट दवाएं दिल की धड़कन तेज कर सकती हैं। ये दवाएं ब्लड प्रेशर बढ़ा सकती हैं और अचानक से दिल की धड़कन गड़बड़ी (arrhythmia) या हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ा सकती हैं। खासकर उन लोगों को ये दवाएं सावधानी से लेनी चाहिए जिन्हें पहले से दिल की कोई समस्या हो या बिना सलाह के इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
पुरानी डायबिटीज की दवाएं (Rosiglitazone)
डायबिटीज की पुरानी पीढ़ी की दवाएं जैसे रोजिग्लिटाजोन भी दिल की बीमारी और हार्ट फेलियर के खतरे से जुड़ी हुई पाई गई हैं। आजकल नई और बेहतर दवाएं उपलब्ध हैं जो शुगर कंट्रोल के साथ-साथ दिल की सेहत के लिए भी सुरक्षित मानी जाती हैं। इसलिए, डायबिटीज की दवाएं लेने वाले मरीजों को चाहिए कि वे अपने डॉक्टर से नए विकल्पों के बारे में चर्चा करें।
डिकॉन्गेस्टेंट (Pseudoephedrine)
सर्दी-जुकाम में इस्तेमाल होने वाली कई दवाओं में पाए जाने वाला डिकॉन्गेस्टेंट जैसे स्यूडोएफ़ेड्रिन नसों को सिकोड़ कर नाक की सूजन कम करता है। लेकिन इसका असर ब्लड प्रेशर बढ़ाने और दिल की धड़कन को असामान्य करने वाला भी हो सकता है। इसलिए यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर या कोई दिल की बीमारी है तो ये दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के बिलकुल न लें।
बिना सलाह के दवाएं लेने से बचें
इन सभी दवाओं का बिना डॉक्टर की सलाह के लगातार या ज्यादा मात्रा में उपयोग करना हानिकारक हो सकता है। कुछ दवाएं तो धीरे-धीरे, कई महीनों या सालों में दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिसका पता तुरंत नहीं चलता। इसलिए, हमेशा किसी भी दवा को लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें और अपनी दवाओं का सही तरीके से उपयोग करें।
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दिल की सेहत का ध्यान रखें
दिल की बीमारियों को रोकने और स्वस्थ रखने के लिए दवाओं के साथ-साथ अपनी लाइफस्टाइल पर भी ध्यान देना जरूरी है।
हेल्दी डाइट लें
नियमित एक्सरसाइज करें
ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखें
तनाव को कम करें
इन उपायों से आप अपनी दिल की सेहत को बेहतर बनाए रख सकते हैं और दवाओं के संभावित साइड इफेक्ट से बच सकते हैं।
रोजाना इस्तेमाल होने वाली कुछ आम दवाएं दिल को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए, किसी भी दवा को बिना डॉक्टर की सलाह के लगातार उपयोग न करें। अपनी दिल की सेहत के प्रति सतर्क रहें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सही मार्गदर्शन लें।