मधुमक्खियों का शहद ही नहीं, अब जहर भी बना पावरफुल दवा, ब्रेस्ट कैंसर से लड़ने में बेहद असरदार
punjabkesari.in Wednesday, Jul 30, 2025 - 11:24 AM (IST)

नारी डेस्क: जब हम मधुमक्खियों के बारे में सोचते हैं, तो हमारे ज़हन में सबसे पहले उनके डंक का डर और मीठा शहद आता है। लेकिन अब एक नई रिसर्च ने दुनिया को चौंका दिया है। जिस मधुमक्खी के डंक से लोग दूर भागते हैं, वही डंक अब कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के इलाज में काम आ सकता है।
शहद नहीं, डंक बना चर्चा का विषय
अब तक मधुमक्खियों के शहद के औषधीय गुणों की चर्चा होती रही है, लेकिन इस बार बात उनके डंक में मौजूद ज़हर की हो रही है। दरअसल, मधुमक्खियों के ज़हर में मेलिटिन (Melittin) नामक एक खास तत्व पाया जाता है, जो वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने में बेहद असरदार हो सकता है।
ऑस्ट्रेलिया की रिसर्च ने किया चौंकाने वाला खुलासा
ऑस्ट्रेलिया के हैरी पर्किन्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च में की गई इस रिसर्च में यह साबित हुआ है कि मधुमक्खी के ज़हर में मौजूद मेलिटिन, खासकर ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (TNBC) और HER2 पॉजिटिव कैंसर जैसी आक्रामक कैंसर कोशिकाओं को तेजी से खत्म करने में सक्षम है। वैज्ञानिकों ने पाया कि यह तत्व केवल 60 मिनट के भीतर कैंसर सेल्स की झिल्ली को नष्ट कर देता है।
सामान्य कोशिकाओं पर नहीं पड़ता कोई असर
सबसे दिलचस्प बात यह है कि मेलिटिन का असर केवल कैंसर कोशिकाओं पर होता है। यह शरीर की स्वस्थ (सामान्य) कोशिकाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। इसका मतलब है कि इससे इलाज के दौरान अन्य अंगों पर बुरा असर नहीं पड़ेगा जो आमतौर पर कीमोथेरेपी में एक बड़ी समस्या होती है।
कीमोथेरेपी के साथ मेलिटिन का कमाल
रिसर्च में एक और बड़ी बात सामने आई जब मेलिटिन को कीमोथेरेपी दवाओं के साथ मिलाया गया, तो इसका असर और भी ज़्यादा बढ़ गया। मेलिटिन कैंसर कोशिकाओं में ऐसे "छेद" कर देता है जिससे कीमोथेरेपी दवाएं अंदर तक आसानी से पहुंच जाती हैं। इस कॉम्बिनेशन ने चूहों पर किए गए प्रयोगों में ट्यूमर की ग्रोथ को बहुत कम कर दिया।
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पर्थ की मधुमक्खियों से मिला खास ज़हर
शोधकर्ता डॉ. सिआरा डफी ने इस अध्ययन में खास भूमिका निभाई। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर की मधुमक्खियों से यह ज़हर निकाला। माना जाता है कि पर्थ की मधुमक्खियां दुनिया की सबसे स्वस्थ मधुमक्खियों में गिनी जाती हैं। रिसर्च में यह भी देखा गया कि चाहे मधुमक्खियां ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड या आयरलैंड की हों मेलिटिन का असर हर जगह एक जैसा था। वहीं, भौंरे (bumblebees) के ज़हर में ऐसा कोई असर नहीं पाया गया।
उम्मीदें बहुत, लेकिन रिसर्च अभी बाकी
हालांकि यह रिसर्च एक नई उम्मीद की किरण जरूर है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी इस पर और काम होना जरूरी है। मेलिटिन की सही डोज़, इसका सुरक्षित इस्तेमाल और शरीर पर दीर्घकालिक असर जैसी बातों पर अभी और अध्ययन बाकी हैं।
प्राकृतिक इलाज की ओर एक नई सोच
यह शोध साबित करता है कि प्राकृतिक तत्वों में भी गंभीर बीमारियों के इलाज की ताकत छुपी हो सकती है। मधुमक्खियों का यह विष, जो अब तक हमें सिर्फ तकलीफ देता था, आने वाले समय में किसी की जिंदगी बचा सकता है। यह प्रकृति की अद्भुत शक्ति का एक और उदाहरण है जहां हर डर के पीछे एक उम्मीद छुपी होती है।