मिल गया HIV का नया परमानेंट इलाज, अब दवाई से मिलेगा छुटकारा!
punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 03:33 PM (IST)
नारी डेस्क : दुनिया भर में एचआईवी (HIV) का इलाज अब तक रोजाना दवाओं पर निर्भर रहा है। मरीजों को प्रतिदिन एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) लेनी पड़ती है, और दवा मिस होने पर वायरस फिर से सक्रिय हो जाता है। लेकिन अब इस दिशा में एक बड़ी उम्मीद जगाई है कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी सैन फ्रांसिस्को के वैज्ञानिकों ने। उनकी नई इम्यूनोथेरेपी (New immunotherapy) से संकेत मिले हैं कि आने वाले समय में मरीज शायद रोजाना दवाओं पर निर्भर नहीं रहेंगे, बल्कि एक ही संयुक्त उपचार से एक साल या उससे अधिक समय तक वायरस दबा रह सकता है।
क्या है यह नई थेरेपी?
वैज्ञानिकों ने एक संयोजन थेरेपी (Combination Immunotherapy) विकसित की है जिसमें शामिल हैं।
एक विशेष एचआईवी (HIV) वैक्सीन।
इम्यून-सक्रिय (immune-activating) दवाएं।
Broadly Neutralizing Antibodies (bNAbs) – जो एचआईवी वायरस को निष्क्रिय करने की क्षमता रखते हैं।
इस थेरेपी का उद्देश्य है शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को इतना मजबूत करना कि वह खुद वायरस को नियंत्रित कर सके।

कैसे किया गया ट्रायल?
इस ट्रायल में 10 एचआईवी मरीजों को शामिल किया गया।
सबसे पहले उनकी रोजाना ली जाने वाली ART दवाएं रोक दी गईं।
इसके बाद उन्हें एक बार यह नई इम्यूनोथेरेपी दी गई।
फिर मरीजों की महीनों तक निगरानी की गई।
चौंकाने वाले नतीजे
ट्रायल के परिणाम बेहद उत्साहजनक रहे। 10 में से 7 मरीजों में वायरस का स्तर इतना कम हो गया कि किसी तरह का नुकसान नहीं हो सकता था।
एक मरीज में पूरा 18 महीने तक वायरस दबा रहा जो अब तक का अभूतपूर्व परिणाम है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह संकेत है कि यह थेरेपी भविष्य में एक फंक्शनल क्योर (functional cure) साबित हो सकती है।
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टी-कोशिकाओं का कमाल
इस नई थेरेपी ने शरीर की T-Cells (टी-कोशिकाओं) को बेहद सक्रिय किया।
टी-कोशिकाएं वही प्रतिरक्षा कोशिकाएं हैं जो शरीर में किसी भी खतरे या वायरस को पहचानकर खत्म करती हैं।
सक्रिय टी-कोशिकाओं ने एचआईवी वायरस को फिर से बढ़ने ही नहीं दिया, जिससे वह लंबे समय तक दबा रहा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि परिणाम इतने मजबूत हैं कि पहली बार लगता है। एचआईवी (HIV) को खत्म करना संभव हो सकता है।

यह खोज दुनिया के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
वर्तमान में दुनिया में 4 करोड़ से ज्यादा लोग एचआईवी (HIV) के साथ जी रहे हैं। उनके लिए यह नई खोज कई कारणों से महत्वपूर्ण है।
रोजाना दवा से छुटकारा
एचआईवी मरीजों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है रोजाना ART दवाएं लेना। यह दवा आजीवन चलती है और एक भी दिन मिस होते ही शरीर में वायरस फिर से सक्रिय हो सकता है, जिससे बीमारी तेज़ी से बढ़ने लगती है। लेकिन नई विकसित इम्यूनोथेरेपी इस बोझ को काफी हद तक खत्म कर सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह थेरेपी वायरस को पूरे एक साल या उससे ज्यादा समय तक दबाकर रख सकती है, जिससे रोज़ दवा लेने की मजबूरी खत्म होने की उम्मीद बढ़ गई है।
जीवन की गुणवत्ता में सुधार
यदि नई इम्यूनोथेरेपी को मंज़ूरी मिलती है, तो एचआईवी मरीजों की जीवनशैली में बड़ा बदलाव आ सकता है। रोजाना दवा लेने की मजबूरी खत्म होने से मानसिक तनाव कम होगा और मरीज अधिक स्वतंत्र, सामान्य और तनावमुक्त जीवन जी सकेंगे। इससे उनकी दिनचर्या आसान होगी, दवाओं पर निर्भरता घटेगी और लंबे समय में जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल सकता है।

दुष्प्रभावों में कमी
लंबे समय तक ART दवाएं लेने से शरीर पर कई तरह के साइड इफेक्ट पड़ते हैं। जैसे थकान, सिरदर्द, वजन बढ़ना, कोलेस्ट्रॉल में बदलाव और लिवर पर दबाव। रोजाना दवा लेने की यह मजबूरी कई मरीजों के लिए परेशान करने वाली होती है। ऐसे में नई एकल इम्यूनोथेरेपी एक बड़ा बदलाव साबित हो सकती है, क्योंकि इसके उपयोग से दुष्प्रभावों में कमी संभव है। साल में सिर्फ एक बार दी जाने वाली यह थेरेपी शरीर पर कम भार डालती है और लंबे समय में सेहत को ज्यादा सुरक्षित बनाए रख सकती है।
इलाज का खर्च घटेगा: साल में एक बार की थेरेपी, रोजाना की दवाओं से सस्ती पड़ सकती है।
वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों पर दबाव कम होगा: कम दवाएं, कम वर्कलोड, बेहतर मैनेजमेंट।
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क्या यह एचआईवी (HIV) का स्थायी इलाज है?
अभी नहीं लेकिन यह इलाज की दिशा में अब तक की सबसे बड़ी और आशाजनक सफलता है। अगर यह थेरेपी बड़े पैमाने पर सफल होती है तो लोग बिना रोजाना दवा लिए स्वस्थ जीवन जी सकते हैं, वायरस लंबे समय तक दबा रहेगा और भविष्य में वायरस को पूरी तरह खत्म करने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि आगे चलकर यह थेरेपी फुल क्योर की दिशा में रास्ता खोल सकती है।
नई इम्यूनोथेरेपी एचआईवी (New immunotherapies for HIV) के इलाज में एक क्रांतिकारी मोड़ साबित हो सकती है। यह न केवल मरीजों को दवा से राहत दिला सकती है बल्कि एक साल से अधिक समय तक वायरस को दबा कर रखने की क्षमता रखती है। वैज्ञानिक इसे एचआईवी के “functional cure” की दिशा में सबसे बड़ा कदम मान रहे हैं। आने वाले वर्षों में यह शोध दुनिया के करोड़ों लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है।

