भारत ने किया कमाल: कैंसर मरीजों के लिए उम्मीद की किरण,अब AI बताएगा ट्यूमर के अंदर का सच
punjabkesari.in Thursday, Nov 27, 2025 - 11:26 AM (IST)
नारी डेस्क: भारतीय वैज्ञानिकों ने कैंसर के इलाज में एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने एक नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) फ्रेमवर्क विकसित किया है, जो कैंसर की कोशिकाओं के भीतर होने वाली जटिल गतिविधियों को पढ़ सकता है। यह AI डॉक्टरों को बताएगा कि ट्यूमर क्यों बढ़ रहा है और शरीर में कौन-सी खतरनाक प्रक्रियाएं सक्रिय हैं। इससे कैंसर का इलाज पहले से ज्यादा पर्सनलाइज्ड और प्रभावी बन सकता है।
पुराना तरीका अब काफी नहीं
अब तक डॉक्टर कैंसर का मूल्यांकन मुख्य रूप से ट्यूमर के आकार, फैलाव और स्टेज के आधार पर करते थे। लेकिन कई बार एक ही स्टेज वाले दो मरीजों के परिणाम अलग आते हैं। इसका कारण यह है कि पारंपरिक स्टेजिंग सिस्टम ट्यूमर के भीतर चल रही मॉलिक्यूलर प्रक्रियाओं को नहीं देख पाता। नई AI तकनीक इस कमी को पूरा करती है। यह ट्यूमर को उसकी “मॉलिक्यूलर पर्सनैलिटी” के आधार पर समझती है, न कि केवल उसके आकार या फैलाव के आधार पर।
HUGE AI/Cancer Breakthrough
— Brian Roemmele (@BrianRoemmele) August 15, 2025
AI automatically designs optimal drug candidates for cancer-targeting mutations. KAIST researchers developed a game-changing AI model, BInD, that designs perfect drug candidates using only the target protein’s structure—no prior molecular data needed.… pic.twitter.com/KsCvMDoND9
OncoMark – कैंसर के सिग्नल पढ़ने वाला AI
एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज़ और अशोका यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर OncoMark नाम का AI फ्रेमवर्क बनाया है। यह दुनिया की पहली तकनीकों में से एक है जो कैंसर के हॉलमार्क्स को पहचान सकती है, जैसे:
मेटास्टेसिस (कैंसर का शरीर में फैलना)
इम्यून सिस्टम से बच निकलना
जीन की अस्थिरता
14 तरह के कैंसर और लाखों कोशिकाओं पर अध्ययन
शोधकर्ताओं ने 14 प्रकार के कैंसर से ली गई 31 लाख कोशिकाओं का डेटा AI में डाला। AI ने इन पर काम करके “प्सूडो-बायोप्सी” तैयार की। इससे यह पता चला कि कौन-सा ट्यूमर किन बायोलॉजिकल प्रक्रियाओं से संचालित हो रहा है। यह पहली बार हुआ है कि वैज्ञानिक मॉलिक्यूलर लेवल पर देख पाए कि कैंसर स्टेज बढ़ने के साथ हॉलमार्क एक्टिविटीज कैसे बढ़ती हैं।
रिजल्ट – बेहद सटीक
AI ने इंटरनल टेस्टिंग में 99% से अधिक सटीकता दिखाई। पांच अलग-अलग स्वतंत्र समूहों में भी इसकी सटीकता 96% से ऊपर रही। 20,000 असली मरीजों के नमूनों पर वैलिडेशन के बाद शोधकर्ताओं ने इसे व्यापक रूप से उपयोग के योग्य बताया।
AI तकनीक से मिलने वाले फायदे
मरीज के शरीर में कौन-सा हॉलमार्क एक्टिव है, पता चलेगा इससे डॉक्टर उसी पर लक्षित दवा या थेरेपी चुन सकेंगे, जिससे इलाज और पर्सनलाइज्ड होगा।
छिपे हुए खतरनाक ट्यूमर की पहचान
कुछ ट्यूमर दिखने में कम खतरनाक लगते हैं, लेकिन अंदर से तेजी से बढ़ते हैं। AI इन्हें पहले ही पहचान सकेगा।
हल्के दिखने वाले कैंसर केस में मदद
HUGE AI/Cancer Breakthrough
— Brian Roemmele (@BrianRoemmele) August 15, 2025
AI automatically designs optimal drug candidates for cancer-targeting mutations. KAIST researchers developed a game-changing AI model, BInD, that designs perfect drug candidates using only the target protein’s structure—no prior molecular data needed.… pic.twitter.com/KsCvMDoND9
कई मरीज जिनका कैंसर स्टेजिंग सिस्टम में हल्का दिखता है, असल में ट्यूमर बहुत आक्रामक हो सकता है। AI ऐसे मामलों की भी पहचान कर सकता है।
वैश्विक महत्व और भविष्य की दिशा
यह रिसर्च Communications Biology (Nature Publishing Group) में प्रकाशित हुई है। विशेषज्ञ इसे भारत की कैंसर रिसर्च में एक बड़ी उपलब्धि मानते हैं। यह तकनीक आने वाले समय में पर्सनलाइज्ड मेडिसिन, टार्गेटेड थेरेपी और स्मार्ट कैंसर डायग्नोस्टिक्स को नई दिशा दे सकती है।

