5 साल में 50% बढ़ा हार्ट की दवाओं का इस्तेमाल, जानिए क्यों बढ़ रहे हैं दिल के रोग
punjabkesari.in Sunday, Jul 20, 2025 - 05:18 PM (IST)

नारी डेस्क: पिछले पांच वर्षों में भारत में हृदय संबंधी दवाओं यानी कार्डियक मेडिकेशन की मांग में लगभग 50% की बढ़ोतरी हुई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार यह सिर्फ एक हेल्थ ट्रेंड नहीं बल्कि एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चेतावनी है। तेजी से बदलती जीवनशैली, बढ़ता तनाव, असंतुलित खान-पान और शारीरिक गतिविधियों की कमी ने युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक दिल की बीमारियों को सामान्य बना दिया है। पहले हृदय रोग आमतौर पर 50-60 साल की उम्र के बाद होते थे लेकिन अब 25 से 40 साल के लोगों में भी हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
कोविड का भी बड़ा असर
कोविड महामारी के बाद हालात और बिगड़ गए हैं क्योंकि कई मरीजों में संक्रमण के बाद पोस्ट-कोविड कार्डियक जटिलताएं देखने को मिलीं, जिसके लिए लंबे समय तक दवाएं चलती हैं। यही वजह है कि दवाओं की खपत में तेज उछाल आया है।
120/80 mmHg अब अलर्ट जोन
पहले जहां 140/90 mmHg को हाई ब्लड प्रेशर माना जाता था, अब नई गाइडलाइन के अनुसार 120/80 mmHg से ऊपर का ब्लड प्रेशर भी अलर्ट जोन में आता है। इससे ज्यादा लोगों को दवाओं की जरूरत पड़ रही है।
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कार्डियक दवाओं की बढ़ती मांग के कारण
दिल की बीमारियों का बढ़ता बोझ: भारत में हर तीसरी मौत दिल की बीमारी के कारण होती है। दिल की बीमारियां अब बुजुर्गों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि युवा वर्ग में भी तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे दवाओं की मांग बढ़ गई है।
खराब होती जीवनशैली: बैठे-से काम करने की आदत, फास्ट फूड, नींद की कमी और बढ़ता तनाव हाइपरटेंशन, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे जैसे कारण बढ़ा रहे हैं जो हार्ट डिजीज के मुख्य कारण हैं।
बेहतर जांच और जागरूकता: अब ज्यादा लोग नियमित हेल्थ चेकअप करवा रहे हैं, जिससे बीमारियों का जल्दी पता चल रहा है। मेडिकल सुविधाएं और जांच गांवों तक पहुंच चुकी हैं, जिससे ज्यादा मरीज दवाओं पर आ रहे हैं।
डॉक्टरों की प्रैक्टिस में बदलाव: कार्डियोलॉजिस्ट और जनरल फिजिशियन दिल की बीमारी के खतरे को लेकर ज्यादा सतर्क हैं। वे रोकथाम के लिए दवाएं जल्दी शुरू कर देते हैं ताकि जोखिम कम किया जा सके।
पोस्ट-कोविड और वायरल संक्रमण: कोविड-19 के बाद हार्ट से जुड़ी कई जटिलताएं सामने आईं, जिससे हार्ट मेडिकेशन और एंटी-क्लोटिंग दवाओं की मांग में वृद्धि हुई।
जल्दी पहचान और जागरूकता बढ़ी
आज लोग दिल की तकलीफों को नजरअंदाज नहीं करते। छोटी-छोटी समस्याओं पर ECG, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल की जांच करवा रहे हैं, जिससे जल्दी इलाज शुरू होता है। यह अच्छी बात है क्योंकि इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है।
लाइफस्टाइल में बदलाव ज़रूरी
हालांकि, यह बढ़ती दवाओं की मांग यह भी बताती है कि अगर लोग अपनी जीवनशैली नहीं बदलेंगे, जैसे संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम, तनाव नियंत्रण और अच्छी नींद, तो हृदय रोग और बढ़ सकते हैं।
इसलिए अब वक्त है कि हम सिर्फ दवाओं पर निर्भर न रहें, बल्कि अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए जीवनशैली में सुधार करें ताकि यह गंभीर स्वास्थ्य संकट ना बन जाए।