आयुर्वेद की इन दवाओं से 1 हफ्ते में स्वस्थ हो रहे कोरोना मरीज, जानिए नाम और एक्सपर्ट की राय
punjabkesari.in Friday, Nov 06, 2020 - 05:16 PM (IST)
जैसे जैसे सर्दी शुरु हो रही है कोरोना का खतरा और मंडराने लगा है। ऐसे में खुद की सेफ्टी रखना बहुत जरूरी है क्योंकि आप खुद की इम्यून पॉवर जितनी स्ट्रॉंग रखेंगे आप उतना ही इस वायरस से बचे रहेंगे। इन दिनों लोग आयुर्वेदिक चीजों का ज्यादा सेवन कर रहे हैं क्योंकि कहा जा रहा है कि यह कोरोना मरीज को जल्द स्वस्थ करने में भी बेहद कारगर है।
जी हां, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) की रिपोर्ट के मुताबिक, आयुर्वेदिक दवाओं से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। सरिता विहार स्थित आयुर्वेद संस्थान के जर्नल ऑफ आयुर्वेद केस रिपोर्ट में प्रकाशित एक अध्ययन में भी इस बात की पुष्टि की गई है कि कोरोना वायरस के इलाज में आयुर्वेदिक दवाएं कारगर सिद्ध हो रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, आयुर्वेदिक एंटीबॉयोटिक फीफाट्रोल ने 6 दिन में कोरोना वायरस को निगेटिव कर दिया। फीफाट्रोल के साथ-साथ मरीज को आयुष क्वाथ, शेषमणि वटी और लक्ष्मीविलासा रस का भी सेवन कराया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, एक 30 वर्षीय स्वास्थकर्मी को पहले टाइफाइड हुआ था जिसके बाद वह कोरोना वायरस की चपेट में आ गया था। जांच में संक्रमण की पुष्टि होने के महज दो दिन में ही मरीज को बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, आंखों में दर्द, स्वाद न आना और सुंगध खोने के लक्षण मिले थे। इसके चलते मरीज को भर्ती कराया गया था।
अध्ययन पत्र में रोग निदान एवं विकृति विज्ञान के डॉ. शिशिर कुमार मंडल ने कहा, उक्त मरीज को पूरी तरह से आयुर्वेद का उपचार दिया गया था। महज 6 दिन में ही न सिर्फ मरीज स्वस्थ्य हो गया बल्कि उसे माइल्ड से मोडरेट स्थिति में जाने से भी रोका गया। आगे उन्होंने बताया कि मरीज को पहले दिन से ही मरीज को 500-500 एमजी फीफाट्रोल की दो डोज रोजाना दी गईं। साथ ही आयुष क्वाथ, च्वयनप्राश, शेषमणि वटी और लक्ष्मीविलासा रस का सेवन कराया गया। छह दिन बाद मरीज की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट मिलने के बाद उसे डिस्चॉर्ज किया गया।
एमिल फॉर्मास्युटिकल की फीफाट्रोल दवा पर भोपाल एम्स के डॉक्टर भी अध्ययन कर चुके हैं जिसके बाद उन्होंने इस दवा को आयुर्वेद एंटीबॉयोटिक का उपनाम दिया था। डॉ. शिशिर के मुताबिक, ज्यादा से ज्यादा मरीजों पर इस उपचार का अध्ययन किया जाना चाहिए।
बता दें कि फीफाट्रोल दवा में सुदर्शन घन वटी, संजीवनी वटी, गोदांती भस्म, त्रिभुवन कीर्ति रस व मत्युंजय रस का मिश्रण है। वहीं तुलसी, कुटकी, चिरायता, गुडुची, करंज, दारुहरिद्रा, अपामार्ग व मोथा भी हैं। ठीक इसी प्रकार आयुष क्वाथ में दालचीनी, तुलसी, काली मिर्च और सुंथी है।