खतरे की घंटी! अभी नहीं संभले तो 2050 तक क्लाइमेंट चेंज के कारण तबाह हो जाएगा इंसानी जीवन
punjabkesari.in Wednesday, Aug 11, 2021 - 12:19 PM (IST)
लगातार बढ़ती ग्लोबल वॉर्मिंग का असर अभी से दिखना शुरू हो गया है। जंगलों में लगी आग, बाढ़, भूस्खलन, भूचाल और तूफान जैसी अपादाएं इस बात का सबूत है कि प्राकृतिक ने अपना कहर दिखाना शुरु कर दिया है। वहीं, हाल ही में यूएन क्लाइमेट पैनल (UN Climate Panel) ने एक रिपोर्ट वाली पेश करते हुए कहा कि आने वाले समय में इंसानों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।
पेरिस ने पेश की चौकाने वाली रिपोर्ट
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल ने सोमवार को एक नई रिपोर्टपेश की गई। इसमें जलवायु संकट पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि दुनिया ने पूर्व-औद्योगिक स्तरों पर ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस के नीचे रखने का अवसर खो दिया हो सकता है। रिपोर्ट में लिंडा मोरन्स ने कहा, "मुझे ऐसा कोई क्षेत्र नहीं दिख रहा है जो सुरक्षित हो... कहीं भी दौड़ने के लिए, कहीं छिपने के लिए नहीं।" 2015 में पेरिस का तापमान निर्धारित 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक देखा गया था और यह 2030 के दशक तक यह 2 डिग्री सेल्सियस के निशान को पार कर जाएगा।
क्लाइमेंट चेंज के कारण तबाह हो जाएगी दुनिया
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि क्लाइमेंट चेंज के कारण दुनियाभर को बहुत खराब गर्मी की लहरें, सूखा, तूफ़ान, बाढ़ और बारिश जैसी कई आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन का स्तर 2050 के आसपास 2100 तक पहुंच जाएगा। क्योंकि सभी ग्रीनहाउस गैस एमिशन्स में CO2 की मात्रा सबसे अधिक है।
बढ़ती गर्मी के कारण पिघल रही धरती
वहीं, बढ़ते तापमन की वजह से अंटार्कटिका में बर्फ भी तेजी से पिघल रहती है, जिसके कारण समुद्र के पानी की स्तर बढ़ेगा और पृथ्वी के तटवर्ती इलाके डूब जाएंगे।
Once-in-50-year heat waves now happening every decade -U.N. climate report https://t.co/Z1DzjtoFxT pic.twitter.com/oKkU0TOYWL
— Reuters (@Reuters) August 9, 2021
भारत में भी कहर बरसा रही प्राकृति
भारत में पिछले दिनों भारी बारिश के कारण जहां महाराष्ट्र , केरल, हिमाचल प्रदेश को भयंकर बाढ़ का सामना करना पड़ा। वहीं, कई पहाड़ी इलाकों पर खौफनाक लैंडस्लाइड भी हुए। इसके अलावा भारत को साल 2021 में भयंकर चक्रवात का सामना भी करना पड़ा। वैज्ञानिक ऐसी घटनाओं के लिए बढ़ते तापमान को भी जिम्मेदार मान रहे हैं।
एक कदम बचा सकता है आने वाली पीढ़ी का भविष्य
हालांकि लोग चाहे तो ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस के नीचे रखने का प्रयास किया जा सकता है। इसमें सदी के मध्य तक शून्य उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल बंद, और इंजीनियर कार्बन हटाने (हवा से CO2 को चूसने के तरीके) के लिए एक निरंतर प्रयास करने होंगे।