क्या Adult Websites के कारण बढ़ रही है महिलाओं के खिलाफ हिंसा?

punjabkesari.in Friday, Mar 21, 2025 - 12:54 PM (IST)

नारी डेस्क: आजकल इंटरनेट हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। लोग इसका इस्तेमाल शिक्षा, काम और मनोरंजन के लिए करते हैं। हालांकि, इंटरनेट पर कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जो समाज के लिए नुकसानदायक साबित हो रही हैं। एक ऐसी ही चीज है अश्लील साइट्स। इन साइट्स को देखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सेज जर्नल्स की एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इंटरनेट के साथ-साथ अश्लील फिल्में देखने का चलन भी बढ़ गया है। लगभग 12% वेबसाइटें अश्लील फिल्मों से जुड़ी हुई हैं। आजकल लोगों को आसानी से अश्लील फिल्में मिल जाती हैं। अनुमान है कि 18 साल से कम उम्र के 90% लड़कों और 60% लड़कियों ने कभी न कभी अश्लील फिल्में देखी हैं। पहली बार अश्लील फिल्में देखने की औसत उम्र 12 साल मानी जाती है।

अश्लील फिल्मों में शारीरिक और मौखिक हिंसा

अश्लील फिल्मों में शारीरिक हिंसा लगभग 88% मामलों में होती है, 48% में मौखिक हिंसा (गाली-गलौज) और 94% मामलों में महिलाओं को निशाना बनाया जाता है। इन वीडियो में पुरुषों को हमेशा ताकतवर दिखाया जाता है, जबकि महिलाएं दबी हुई और आज्ञाकारी दिखाई जाती हैं। यह पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता को दर्शाता है और महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को बढ़ावा देता है।

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भारत में रेप और अश्लील सामग्री का संबंध

सेज जर्नल्स की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत दुनिया में अश्लील फिल्में देखने वाले देशों में तीसरे नंबर पर है और रेप के मामलों में चौथे नंबर पर है। यौन हिंसा महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालती है। भारत में हर दिन लगभग 93 महिलाओं के साथ रेप होता है। बढ़ते हुए रेप के मामलों से यह संभावना जताई जाती है कि अश्लील फिल्में और यौन हिंसा के बीच कोई संबंध हो सकता है।

क्या सरकार इंटरनेट पर अश्लील सामग्री को रोकने के लिए कुछ कर रही है?

इंटरनेट पर अश्लील सामग्री के खिलाफ सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 (IT Act) के तहत इंटरनेट पर अश्लील सामग्री फैलाना या पोस्ट करना अपराध है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है, तो उसे सजा हो सकती है। बच्चों के मामले में तो यह कानून और भी सख्त है, ताकि बच्चों को ऑनलाइन शोषण से बचाया जा सके।

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सोशल मीडिया कंपनियों पर कड़े नियम

2021 में सरकार ने 'इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021' बनाए हैं। इन नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी तय की गई है। अगर किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई अश्लील या हिंसक सामग्री फैलती है, तो कंपनी को बताना होगा कि यह जानकारी सबसे पहले किसने भेजी थी।

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इसके अलावा, अगर किसी प्लेटफॉर्म पर किसी व्यक्ति की प्राइवेट फोटो या वीडियो भेजी जाती है, तो सोशल मीडिया कंपनियों को 24 घंटे के भीतर उसे हटाना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करतीं, तो कंपनी खुद भी कानूनी कार्रवाई का सामना कर सकती है।

फिल्मों और ऑनलाइन कंटेंट के लिए नियम

भारत में फिल्मों को सेंसर बोर्ड द्वारा देखा जाता है, ताकि यह तय किया जा सके कि फिल्म बच्चों के लिए अनुचित तो नहीं है। अगर कोई फिल्म अनुचित पाई जाती है, तो उसे सिर्फ वयस्कों के लिए प्रमाणित किया जाता है। इसी तरह, ऑनलाइन कंटेंट जैसे कि वेब सीरीज और फिल्मों को भी एक एथिक्स कोड के तहत दिखाया जाता है। इन प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होता है कि केवल उम्र के हिसाब से सामग्री दिखाई जाए।

क्या सरकार ने कितनी वेबसाइटों को बंद किया है?

हालांकि सरकार ने इस पर कोई ठोस आंकड़े नहीं दिए हैं, लेकिन यह कहा गया है कि जब भी बच्चों के साथ जुड़ी अश्लील सामग्री वाली वेबसाइटें सामने आती हैं, उन्हें तुरंत बंद कर दिया जाता है।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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