Personal Problems: क्या 35 साल की उम्र में मेनोपॉज होना नॉर्मल है?

punjabkesari.in Wednesday, Dec 02, 2020 - 11:05 AM (IST)

50-55 की उम्र में महिलाओं को पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं, जिसे मेनोपॉज की स्थिति कहा जाता है। हालांकि कुछ महिलाओं को 35 से 40 साल की उम्र में ही पीरियड्स बंद हो जाते हैं, जिसे प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर (पीओएफ) या अर्ली मेनोपॉज कहा जाता है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या इस उम्र में पीरियड्स बंद होना नॉर्मल है या नहीं...

क्या 35 साल की उम्र में मेनोपॉज होना नॉर्मल है?

आमतौर पर महिलाओं को मेनोपॉज 42 से 56 साल के बीच होता है। 40 साल के पहले किसी महिला को मेनोपॉज होना प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर होता है। भारतीय महिलाओं को औसतन 46.2 की उम्र और पश्चिमी देशों की महिलाओं को 51 साल में मेनोपॉज होता है। मगर, प्रीमैच्योर ओवेरियन फेल्योर की वजह से 19 से 39 साल की उम्र में मेनोपॉज हो सकता है, जिसकी वजह अधिक धूम्रपान करना या एस्ट्रोजन हार्मोन में उतार-चढ़ाव हो सकता है।

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कंसीव करने में आती है दिक्कत

प्रीमैच्योर ओवेरियन फेल्योर महिलाओं के लिए सही नहीं है क्योंकि इससे उनकी प्रजनन प्रक्रिया पर असर पड़ता है। इससे उन्हें भविष्य में मां बनने में दिक्कत आ सकती है।

अर्ली मेनोपॉज के कारण

- आनुवांशिक
- कीमोथेरेपी
- रेडियेशन थेरेपी
- अधिक धूम्रपान करना
- पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज
- ट्यूबरकलोसिस
- पेल्विक सर्जरी
- एंडोमेट्रियोसिस यानि चॉकलेट सिस्ट बनने की गंभीर स्थिति
- टर्नर सिंड्रोम
- गलसुआ (Mumps) जैसे इन्फेक्शन
- हाइपोथायरॉइडिज्म
- ऑटोइम्यून डिजीज जैसे कि लम्प्स

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अर्ली मेनोपॉज के लक्षण

. इररेगुलर पीरियड्स, जिसमें पीरियड्स अचानक आने बंद हो जाते हैं। 
. हॉट फ्लैशेज महसूस होना
. मूड स्वींग्स होना
. अधिक पसीना आना

प्रीमैच्योर ओवेरियन फेल्योर के लिए टेस्ट

प्रीमैच्योर ओवेरियन फेल्योर की जांच ब्लड टेस्ट, क्लीनिकल फैक्टर्स, ट्रांसवेजाइनल सोनोग्राफी के द्वारा इसकी जांच कभी भी की जा सकती है। पीओएफ डायग्नोस होने के बाद इन्फर्टिलिटी का भी इलाज संभव हो पाता है।

प्रीमैच्योर ओवेरियन फेल्योर का इलाज

1. अगर इसके कारण आपको कंसीव करने में दिक्कत आए तो फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से संपर्क करें। स्पेशलिस्ट सबसे पहले उन लक्षणों को कम करने की कोशिश करते हैं, जिसकी वजह से आपको अर्ली मेनोपॉज हुआ हो। बावजूद इसके समस्या हो तो आप IVF, ICSI जैसी तकनीक की मदद से मां बनने का सुख पा सकती हैं।

2. अगर फर्टिलिटी की समस्या ना हो तो गायनेकोलॉजिस्ट मल्टीविटामिन्स, कैल्शियम मेडिसिन और हार्मोनल ट्रीटमेंट के जरिए इस समस्या का समाधान करते हैं। वहीं, अगर इसके लक्षण ज्यादा बढ़ जाए तो गायनेकोलॉजिस्ट हार्मोनल रीप्लेसमेंट थेरेपी या एस्ट्रोजन थेरेपी की सलाह देते हैं।

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कैसे निबटें इन लक्षणों से?

1. अपने आहार में विटामिन डी व कैल्शियम से भरपूर फूड्स जैसे दूध आदि शामिल करें। आप इसके लिए डॉक्टरी सलाह से टैबलेट्स भी ले सकती हैं।
2. मेनोपॉज के कारण वजन तेजी से बढ़ता है इसलिए व्यायाम करते रहें ताकि मोटापा कंट्रोल रहे।
3. कैफीन, शराब और मसालेदार भोजन जैसी गर्म तासीर वाली चीजें ना खाएं। दरअसल, मेनोपॉज के कारण गर्मी अधिक लगती है। ऐसे में इन चीजों का सेवन ‘हॉट फ्लैश’ को बढ़ा देगा।
4. मेनोपॉज के कारण त्वचा, बाल और नाखूनों रूखे हो सकते हैं। इससे बचने के दिनभर में कम से कम 8-9 गिलास पानी पीएं। साथ ही दिन में 2-3 बार गर्म पानी भी पी लें।
5. लिक्विड डाइट अधिक लें, जैसे नारियल पानी, जूस, दूध, सूप आदि।

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ध्यान रखें कि अगर आपको अर्ली मेनोपॉज हुआ है तो अपनी डाइट का खास ख्याल रखें। साथ-साथ एक्सरसाइज व योग को भी अपनी रूटीन का हिस्सा बनाएं।


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Content Writer

Anjali Rajput

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