बच्चे के दिमाग का दुश्मन! Chips-cake खाकर बन रहे Slow learners
punjabkesari.in Sunday, Dec 29, 2024 - 03:26 PM (IST)
नारी डेस्क: बदलते लाइफस्टाइल में हेल्दी फूड्स के बजाय बच्चे जंक फूड्स जैसे चिप्स, केक, चॉकलेट और कोल्ड ड्रिंक्स खाना अधिक पसंद करते हैं। मगर क्या आपको मालूम है कि ये स्वाद में अच्छी लगने वाली चीजें आपके बच्चे के नाजुक दिमाग पर कितना असर डाल रही हैं? जी हां, एक पैकेट चिप्स, केक और चॉकलेट भले ही स्वाद में अच्छे लगते हों, लेकिन इनका अधिक सेवन बच्चों की याददाश्त को दिन-प्रतिदिन कमजोर बना रहा है। आइए जानते हैं...? इसी के साथ आपको बताएंगे कि बच्चों को इन फूड्स की क्रेविंग न हो, इसके लिए क्या किया जाए।
चिप्स का असर बच्चों के स्वास्थ्य पर असर
चिप्स बच्चों के पसंदीदा स्नैक्स में से एक हैं। ये डीप फ्राइड होते हैं और इनमें अत्यधिक मात्रा में नमक और तेल होता है। नमक और वसा (Fat): ज्यादा नमक और वसा का सेवन बच्चों के दिमाग के लिए हानिकारक होता है। यह दिमाग की कार्यक्षमता को धीमा कर सकता है। एडिटिव्स और प्रिजर्वेटिव्स: चिप्स में मिलाए गए प्रिजर्वेटिव्स और फ्लेवरिंग एजेंट बच्चों के ध्यान और एकाग्रता को कम कर सकते हैं।
How Junk Foods Affect your Child’s Brain pic.twitter.com/UVDAdKBWK1
— Mohini Of Investing (@MohiniWealth) December 28, 2024
मिठाइयां और चॉकलेट्स
मिठाइयां और चॉकलेट्स में शुगर की मात्रा अधिक होती है, जो बच्चों के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकती है। अत्यधिक शुगर: ज्यादा शुगर का सेवन बच्चों को हाइपरएक्टिव बना सकता है, लेकिन इसके बाद ऊर्जा का स्तर अचानक गिर जाता है, जिससे बच्चा चिड़चिड़ा और थका हुआ महसूस करता है। दिमागी विकास पर असर: ज्यादा मिठाई खाने से बच्चों का दिमाग सही ढंग से विकास नहीं कर पाता। यह मेमोरी और सीखने की क्षमता को भी प्रभावित करता है।
जंक फूड बच्चों के दिमाग पर कैसे असर डालता है?
याददाश्त में कमी
जंक फूड में पोषक तत्वों जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन और विटामिन की भारी कमी होती है, जो दिमाग के सही विकास और कार्य के लिए जरूरी होते हैं। इसके बजाय, जंक फूड में ट्रांस फैट, शुगर और नमक अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो बच्चों के मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। लंबे समय तक जंक फूड का सेवन करने से दिमाग की रक्त आपूर्ति प्रभावित होती है, जिससे ध्यान केंद्रित करने और नई चीजें सीखने की क्षमता में गिरावट आती है। यह बच्चों के पढ़ाई, खेल और अन्य गतिविधियों में प्रदर्शन को कमजोर बना सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
जंक फूड में मौजूद उच्च स्तर की शुगर और ट्रांस फैट दिमाग में डोपामाइन नामक हार्मोन का स्तर बढ़ा देते हैं। डोपामाइन एक ऐसा हार्मोन है जो तात्कालिक खुशी देता है, लेकिन इसकी आदत लगने पर बच्चा अन्य स्वस्थ विकल्पों से संतुष्ट नहीं हो पाता। लगातार जंक फूड खाने से दिमाग का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे बच्चों में डिप्रेशन, एंग्जायटी और आत्मविश्वास की कमी जैसी मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, जंक फूड खाने वाले बच्चों का मूड अक्सर चिड़चिड़ा हो सकता है, जिससे उनका सामाजिक और पारिवारिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है।
ऊर्जा का स्तर घटाता है
जंक फूड में मुख्य रूप से "खाली कैलोरी" होती हैं, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा तो देती हैं लेकिन यह ऊर्जा जल्दी खत्म हो जाती है। इसका कारण है शुगर और परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट का ज्यादा सेवन, जो शरीर के मेटाबोलिज्म को अस्थायी रूप से तेज करता है और फिर अचानक ऊर्जा स्तर गिरा देता है। बच्चे दिनभर थका-थका महसूस करते हैं और शारीरिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी घट जाती है। यह थकान उनकी पढ़ाई, होमवर्क और खेल-कूद जैसी महत्वपूर्ण चीजों पर सीधा असर डालती है।
सीखने की क्षमता पर असर
जंक फूड में मौजूद हानिकारक तत्व बच्चों के दिमाग में सूजन (Inflammation) का कारण बनते हैं। सूजन दिमागी तंत्रिकाओं को कमजोर करती है, जिससे बच्चों की समस्याओं को हल करने की क्षमता कम हो जाती है। यह उनके तार्किक सोचने की शक्ति और विश्लेषणात्मक क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। जंक फूड से पोषक तत्वों की कमी होने के कारण दिमाग की प्लास्टिसिटी (नए कनेक्शन बनाने की क्षमता) भी प्रभावित होती है, जिससे बच्चे नई चीजें सीखने में पीछे रह जाते हैं। यह प्रभाव विशेष रूप से उन बच्चों में अधिक देखा जाता है जो स्कूल जाने वाले उम्र में होते हैं, क्योंकि इस समय दिमागी विकास चरम पर होता है।
स्मरण शक्ति पर प्रभाव
जंक फूड का लगातार सेवन बच्चों की स्मरण शक्ति पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। जंक फूड दिमाग के हिप्पोकैम्पस हिस्से (जो स्मृति और सीखने के लिए जिम्मेदार है) पर नकारात्मक असर डालता है। इससे बच्चे पढ़ाई में कमजोर हो सकते हैं और उनकी समस्या-समाधान करने की क्षमता धीमी हो सकती है। इसके अलावा, जंक फूड दिमाग के न्यूरोट्रांसमिटर्स को बाधित कर सकता है, जिससे बच्चे जटिल विषयों को समझने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं।
बच्चों को जंक फूड से कैसे बचाएं?
घर का बना खाना दें: बच्चों को घर पर बने हेल्दी स्नैक्स जैसे फ्रूट चाट, मखाने, या मूंगफली दें।
रोजाना फल और सब्जियां खिलाएं: फल और सब्जियां बच्चों के दिमाग और शरीर को जरूरी पोषक तत्व देते हैं।
पानी और प्राकृतिक ड्रिंक्स दें: कोल्ड ड्रिंक्स की जगह नारियल पानी, नींबू पानी, या ताजे फलों का रस दें।
जंक फूड की मात्रा सीमित करें: अगर बच्चे को जंक फूड पसंद है, तो उसे कभी-कभी और सीमित मात्रा में ही दें।
पेरेंट्स खुद बनें रोल मॉडल: बच्चे वही आदतें सीखते हैं जो वे अपने माता-पिता में देखते हैं। इसलिए खुद भी हेल्दी खाने की आदत डालें।
चिप्स और मिठाइयां बच्चों को भले ही पसंद आती हैं, लेकिन इनके ज्यादा सेवन से उनके दिमाग और शरीर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। बच्चों के दिमागी विकास और मानसिक स्वास्थ्य के लिए पोषक तत्वों से भरपूर आहार जरूरी है। माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को हेल्दी फूड खाने के लिए प्रेरित करें और जंक फूड की जगह पौष्टिक आहार की आदत डालें।
नोट: इन सभी कारणों से यह स्पष्ट है कि जंक फूड बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को बाधित करता है। बच्चों की हेल्दी आदतें बनाना माता-पिता की जिम्मेदारी है, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल बन सके।