बच्चें को बार-बार पेट दर्द हो तो हो जाएं सतर्क, ये हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत

punjabkesari.in Thursday, Jul 31, 2025 - 12:36 PM (IST)

नारी डेस्क: अगर आपका बच्चा बार-बार पेट दर्द की शिकायत करता है तो इसे सिर्फ गैस या अपच समझकर नजरअंदाज न करें। यह एपेंडिक्स की बीमारी यानी एपेंडिसाइटिस भी हो सकती है। जी हां, यह बीमारी सिर्फ बड़ों को ही नहीं, बल्कि बच्चों को भी हो सकती है और अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो ये जानलेवा भी बन सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप इस बीमारी के लक्षणों को समय रहते पहचानें ताकि सही समय पर डॉक्टर की मदद ली जा सके और बच्चा सुरक्षित रहे।

क्या होता है एपेंडिक्स और कैसे होती है ये बीमारी?

एपेंडिक्स एक छोटी थैली जैसी अंग होती है जो हमारे पेट में बड़ी आंत से जुड़ी होती है। जब इसमें सूजन आ जाती है तो उसे एपेंडिसाइटिस कहा जाता है। सूजन के पीछे कारण हो सकते हैं जैसे –
आंत में मल का जमा हो जाना
किसी तरह का संक्रमण
या फिर कोई रुकावट
जब एपेंडिक्स में सूजन आ जाती है, तो उसमें तेज दर्द होता है और दूसरी परेशानियां भी शुरू हो जाती हैं।

बच्चों में एपेंडिसाइटिस कितनी आम है?

एपेंडिसाइटिस किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है लेकिन 5 साल से बड़े बच्चों में यह बीमारी ज्यादा देखी जाती है। हालांकि, 1 से 3 साल के छोटे बच्चों यानी टॉडलर्स में भी यह बीमारी हो सकती है। छोटे बच्चों की सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि वे अपने दर्द और लक्षण ठीक से बता नहीं पाते जिससे बीमारी की पहचान में देर हो जाती है।

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बच्चों में एपेंडिसाइटिस के लक्षण

बच्चों में एपेंडिसाइटिस के कुछ खास लक्षण इस प्रकार हैं:
पेट के निचले दाएं हिस्से में बार-बार या लगातार दर्द
हल्का या तेज बुखार
उल्टी या मतली आना
भूख कम हो जाना या खाना खाने से मना करना
पेट फूला हुआ लगना
बच्चा बहुत चिड़चिड़ा हो जाना
बिना वजह थकान महसूस करना
इन लक्षणों में से अगर एक या एक से ज्यादा दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

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क्यों है समय पर इलाज जरूरी?

अगर समय रहते इलाज नहीं किया गया, तो एपेंडिक्स फट सकता है, जिससे पेट के अंदर गंभीर संक्रमण (पेरीटोनाइटिस) हो सकता है। यह स्थिति जानलेवा बन सकती है। खासकर 5 साल से छोटे बच्चों में यह खतरा बहुत अधिक होता है क्योंकि लक्षण जल्दी बढ़ते हैं।

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डॉक्टर कैसे करते हैं जांच?

एपेंडिसाइटिस का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित जांच करते हैं शारीरिक जांच, खून की जांच (इंफेक्शन देखने के लिए), अल्ट्रासाउंड। कुछ मामलों में सीटी स्कैन, हालांकि छोटे बच्चों में इसका इस्तेमाल कम किया जाता है, क्योंकि इससे रेडिएशन का खतरा होता है। सबसे जरूरी है कि किसी अनुभवी पीडियाट्रिक सर्जन द्वारा बच्चे की जांच की जाए।

इलाज कैसे होता है?

अगर एपेंडिक्स नहीं फटा हो: डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं देकर इलाज कर सकते हैं। कुछ मामलों में ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती।

अगर एपेंडिक्स में ज्यादा सूजन हो या फटने की संभावना हो: सर्जरी (एपेंडेक्टॉमी) करनी पड़ती है जिसमें सूजे हुए एपेंडिक्स को हटा दिया जाता है।

अगर एपेंडिक्स फट चुका हो: बच्चे को ज्यादा समय तक अस्पताल में रखना पड़ सकता है। उसे IV एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं और स्थिति गंभीर हो सकती है।

सर्जरी के बाद रिकवरी

अगर समय पर सर्जरी हो जाए, तो अधिकतर बच्चे कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं और घर लौट सकते हैं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं दें और आराम करने दें। बच्चे की डाइट और एक्टिविटी पर कुछ दिनों तक ध्यान देना जरूरी है।

एपेंडिसाइटिस एक मेडिकल इमरजेंसी है। अगर बच्चा बार-बार पेट के दाएं हिस्से में दर्द की शिकायत करे या ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई दें, तो इसे हल्के में न लें। जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें और जांच करवाएं। समय पर इलाज मिलने से बच्चे को गंभीर स्थिति से बचाया जा सकता है।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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