बिना डांट-फटकार के बच्चा सीखेगा डिसिप्लिन, बस अपनाएं ये आसान तरीके

punjabkesari.in Friday, Aug 01, 2025 - 12:49 PM (IST)

नारी डेस्क: पेरेंटिंग यानी माता-पिता बनना, एक जिम्मेदारी से भरा सफर होता है। इसमें बच्चों की अच्छी परवरिश करना सबसे अहम और चुनौतीपूर्ण काम होता है। अक्सर माता-पिता यह सोचते हैं कि बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए डांटना या सजा देना जरूरी होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बार-बार डांटने से बच्चे के मन और व्यवहार पर क्या असर पड़ता है? आजकल की रिसर्च और चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट कहते हैं कि लगातार डांटने या सजा देने से बच्चे का आत्मविश्वास टूट सकता है। बच्चा या तो डरपोक हो सकता है या फिर और ज्यादा जिद्दी और चिड़चिड़ा बन सकता है। ऐसे में ज़रूरत है कि हम कुछ स्मार्ट, पॉजिटिव और प्रभावी तरीके अपनाएं जिससे बच्चा डर के बिना अनुशासन सीख सके।

बच्चे की पूरी बात ध्यान से सुनें और समझें

अक्सर माता-पिता जल्दी में होते हैं और बच्चों की बात पूरी सुने बिना ही उन्हें डांट देते हैं। जब बच्चा महसूस करता है कि उसकी कोई बात नहीं सुनी जा रही तो वो चिड़चिड़ा और जिद्दी बन सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि जब बच्चा कुछ कहे तो आप धैर्य से उसकी बात सुनें, उसे समझें और प्यार से समझाएं। जब बच्चा देखता है कि आप उसकी बात को समझते हैं तो वो आपकी बात भी सुनता है और आप पर भरोसा करता है।

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प्यार से सीमाएं तय करें

कई माता-पिता बच्चों को बाहरी दुनिया से बचाने के लिए उन्हें हर चीज़ से रोकते हैं जैसे बाहर खेलने से, लोगों से मिलने से या कोई नई चीज़ आज़माने से। गलती करने पर तुरंत डांटना या सजा देना, बच्चों को और ज्यादा डरपोक या झूठ बोलने वाला बना सकता है। इसके बजाय, बच्चों को प्यार से बताएं कि क्या सही है और क्या गलत, और क्यों कोई चीज़ उन्हें नहीं करनी चाहिए। जब बच्चा आपकी बात को समझता है तो वो खुद ही गलतियों से बचने की कोशिश करता है और ईमानदार बनता है।

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जैसा व्यवहार आप दिखाएंगे, बच्चा वही सीखेगा

बच्चे अपने माता-पिता को देखकर ही सीखते हैं। अगर आप खुद समय पर सोते हैं, समय पर खाते हैं, शांत स्वभाव से बात करते हैं और जिम्मेदार रहते हैं तो बच्चा भी वही व्यवहार अपनाएगा। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि बच्चा अनुशासित बने तो सबसे पहले खुद अनुशासित बनें। बच्चा आपकी हर हरकत को देखता है और उसी को जीवन में दोहराता है।

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डांटने के बजाय अपनाएं ‘रिवार्ड सिस्टम’

बच्चों को प्रोत्साहन की जरूरत होती है। जब बच्चा कोई अच्छा काम करता है जैसे समय पर होमवर्क करना, गंदगी न फैलाना या भाई-बहनों से अच्छे से पेश आना तो उसकी सराहना करें। उसे शाबाशी दें या कोई छोटा-सा इनाम दें, जैसे,“आज तुमने अपना होमवर्क समय पर किया, चलो अब तुम्हारे लिए स्पेशल कुछ बनाते हैं।” इस तरह के पॉजिटिव रिवॉर्ड से बच्चा मोटिवेट होता है और वो बार-बार अच्छी आदतें अपनाने की कोशिश करता है।

डांटना नहीं, दिशा देना ज़रूरी है

बच्चे गलती से सीखते हैं। अगर वो कुछ गलत कर भी दें तो उन्हें गुस्से से नहीं बल्कि शांत दिमाग और सही शब्दों से समझाएं। बच्चों को सही-गलत की पहचान तब होती है जब आप उन्हें समझदारी से दिशा दिखाते हैं, न कि उन्हें डराकर।

बच्चों को अनुशासन सिखाने का मतलब उन्हें डराना या दबाना नहीं है। बल्कि उन्हें ऐसा माहौल देना है जहां वे सुरक्षित महसूस करें, समझ सकें और सीख सकें। जब आप उन्हें डांटने के बजाय समझने, संवाद करने और प्रेरित करने का तरीका अपनाते हैं, तो वे न सिर्फ अनुशासन में रहते हैं, बल्कि आपके साथ एक भरोसे भरा रिश्ता भी बना पाते हैं।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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