भारत में कुत्तों के काटने से हर साल 5700 मौतें, 90 लाख लोग हो रहे जानवरों का शिकार

punjabkesari.in Friday, Jul 04, 2025 - 02:23 PM (IST)

नारी डेस्क: भारत में रेबीज से होने वाली मौतों में 75% की कमी दर्ज की गई है , यह एक बड़ी स्वास्थ्य उपलब्धि मानी जा रही है। यह गिरावट टीकाकरण, जन-जागरूकता, और पशु नियंत्रण जैसे संयुक्त प्रयासों का नतीजा है। यह आंकड़ा भारत को अभी भी दुनिया के रेबीज से सबसे ज़्यादा मौतों वाले देशों में शामिल करता है। भले ही गिरावट आई हो, लेकिन हर साल लगभग 5,700 लोग रेबीज से मरते हैं। व सरकार ने 2030 तक इसे पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य तय किया है।


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भारत सरकार का लक्ष्य 

 देश में हर साल करीब 90 लाख लोग जानवरों के काटने का शिकार होते हैं, जिनमें से दो-तिहाई मामले कुत्तों के काटने के होते हैं। आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (ICMR-NIE) के निदेशक डॉ. मनोज मुरहेकर ने यह जानकारी दी है। उनका कहना है कि पहले की तुलना में अब भारत में रेबीज से होने वाली मौतों में 75% की कमी आ चुकी है। भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक रेबीज से होने वाली सभी मौतों को पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। यह मिशन WHO और OIE (World Organisation for Animal Health) के वैश्विक लक्ष्यों के अनुरूप है।


 अब तक क्या-क्या प्रयास हुए हैं?


इंसानों और पालतू/आवारा कुत्तों को रेबीज के खिलाफ टीका लगाया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में फ्री वैक्सीनेशन सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। स्कूल, गांव और शहरों में जानकारी शिविर, पोस्टर अभियान और रेडियो-टीवी प्रचार के ज़रिये लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा ABC (Animal Birth Control) कार्यक्रम के ज़रिए कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण हो रहा है।
 

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रेबीज के लक्षण और सावधानियां

-जानवर के काटने के बाद बुखार, जलन, और बाद में जल से डर लगना (Hydrophobia)

-मानसिक भ्रम, दौरे, लकवा

-एक बार लक्षण आ गए तो इलाज संभव नहीं होता , मृत्यु निश्चित होती है

-किसी भी जानवर के काटने पर तुरंत घाव को साबुन और पानी से धोएं

-24 घंटे के भीतर रेबीज वैक्सीन लगवाएं

-घायल होने पर पास के स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल जाएं

-पालतू जानवरों को समय-समय पर टीका दिलवाएं


सरकार का अगला कदम

रेबीज सर्वेक्षण और डेटा संग्रहण को और बेहतर बनाना, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक रेबीज की दवाएं और टीके पहुंचाना सरकार का लक्षय है। रेबीज एक पूरी तरह से बचाव योग्य बीमारी है, और भारत सरकार का लक्ष्य इसे 2030 तक पूरी तरह खत्म करना है। 75% की कमी एक उत्साहजनक संकेत है, लेकिन अभी भी हर साल हज़ारों जानें जाती हैं। अगर समय पर टीका, जागरूकता, और जानवरों के नियंत्रण  पर ज़ोर दिया जाए, तो यह लक्ष्य जरूर हासिल किया जा सकता है।


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Content Writer

vasudha

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