18 दिन से सड़ रही थी लाश, एंबुलेंस ड्राइवर ने पीठ पर लादकर किया अंतिम संस्कार...
punjabkesari.in Wednesday, Jun 04, 2025 - 11:22 AM (IST)

नारी डेस्क: झांसी मेडिकल कॉलेज में एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक लावारिस शव 18 दिनों तक मोर्चरी (शवगृह) में सड़ता रहा और किसी ने उसे दाह संस्कार के लिए नहीं उठाया। जब कोई जिम्मेदारी लेने वाला नहीं मिला, तो कॉलेज प्रशासन और पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी एक एंबुलेंस चालक को सौंप दी। अब इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें एंबुलेंस ड्राइवर शव को बोरे की तरह अपनी पीठ पर लादकर श्मशान ले जाता नजर आ रहा है।
क्या है पूरा मामला?
13 मई को झांसी मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान एक 35 वर्षीय अज्ञात युवक की मौत हो गई थी। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने शव को मोर्चरी में रखवा दिया। 28 मई को पुलिस को अस्पताल की ओर से सूचना दी गई कि एक अज्ञात शव मोर्चरी में पड़ा है। पुलिस मौके पर पहुंची, पंचनामा किया और शव की पहचान कराने के लिए 72 घंटे तक प्रयास किए, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल सकी।
झांसी के पोस्टमॉर्टम हाउस में रखी लाश सड़ रही थी. लाश का पोस्टमॉर्टम कराया गया था . इसके बाद पुलिस ने खुद अंतिम संस्कार कराने के बजाय लाश एम्बुलेंस ड्राइवर के हवाले कर दी थी. उससे अंतिम संस्कार करने को कहा गया. फिर एम्बुलेंस ड्राइवर ने लावारिस लाश को कपड़े में बांधा, फिर… pic.twitter.com/mRqFmg61tY
— Priya singh (@priyarajputlive) June 2, 2025
इसके बाद 31 मई को शव का पोस्टमार्टम करवाया गया और पुलिस ने इसे अंतिम संस्कार के लिए एंबुलेंस चालक को सौंप दिया।
एंबुलेंस चालक ने ऐसे किया अंतिम संस्कार
जब कोई जिम्मेदार अधिकारी शव को लेने नहीं आया, तो एंबुलेंस ड्राइवर ने शव को कपड़े में लपेटा, फिर उसे झांसी के बड़ागांव गेट के बाहर स्थित श्मशान घाट ले गया। वहां चिता की व्यवस्था खुद की और शव को अपनी पीठ पर लादकर अंतिम संस्कार किया।
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वीडियो वायरल होने पर मचा हड़कंप
इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो वायरल होते ही पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मच गया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एंबुलेंस चालक किस तरह शव को अपनी पीठ पर उठाकर चिता तक ले जा रहा है — मानो कोई बोरी या सामान हो।
जांच के आदेश
घटना के सामने आने के बाद झांसी के एसपी सिटी ज्ञानेन्द्र कुमार ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। यह भी सवाल उठ रहा है कि लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी सीधे तौर पर पुलिस की होती है, तो ऐसे में यह काम एक ड्राइवर को क्यों सौंपा गया?
झांसी मेडिकल कॉलेज और पुलिस प्रशासन की यह लापरवाही न केवल इंसानियत पर सवाल खड़े करती है, बल्कि सिस्टम की संवेदनहीनता को भी उजागर करती है। अज्ञात व्यक्ति के शव के साथ जो व्यवहार हुआ, उसने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि समाज में लावारिसों की स्थिति कितनी दयनीय है।