12 साल की उम्र में बच्चे की Heart Attack से मौत, पेरेंट्स समझें खतरे की घंटी

punjabkesari.in Monday, Oct 12, 2020 - 01:04 PM (IST)

हार्ट अटैक कब और किसे आ जाए इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। लोगों का मानना है कि ज्यादातर 40-50 से ज्यादा उम्र वाले लोगों को ही हार्ट अटैक का खतरा रहता है लेकिन हाल ही में एक 12 साल के बच्चे की हार्ट के चलते मौत हो गई। भले ही आपको यकीन ना हो लेकिन हाल ही में वीडियो गेम खेलते हुए बच्चे को हार्ट अटैक आया और वो अपनी जान गवां बैठा। इतनी कम उम्र में हार्ट अटैक आना कोई सामान्य बात नहीं है।

डॉक्टर्स का कहना है कि बिना खाए-पिए लॉन्ग सिटिंग में रहने की वजह से बच्चे के शरीर का मेटाबॉलिक रेट बिगड़ा होगा, जिससे हाइपोग्लेसेमिया के कारण उसकी मौत हुई। चलिए उन फैक्टर्स पर नजर डालते हैं, जिनके कारण बच्चे, टीनऐज या प्री-टीनऐज में हार्ट अटैक का खतरा रहता है, ताकि पेरेंट्स सतर्क रहें।

PunjabKesari

. इंटरनेट, मोबाइल, गेम्स की एडिक्शन के कारण बच्चों के ब्रेन का ग्रे मैटर (दिमाग का वो हिस्सा जो सभी क्रियाओं को कंट्रोल करता है) कम हो जाता है। इसके कारण उनमें तनाव बढ़ जाता है और उनका दिमाग ऐसी स्थितियों के लिए खुद को संभाल नहीं पाता।

. एक्सपोजर टु मोबाइल टाइम भी बच्चों में ब्रेन से जुड़ी परेशानियां बढ़ाता है, जिससे हार्ट, ब्रेन स्ट्रोक का खतरा रहता है।

. ऑनलाइन क्लासेस के कारण भी बच्चे स्क्रीन के साथ अधिक समय बिता रहे हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

. वीडियो गेम्स बच्चों में ऐसा एडिक्शन पैदा करता है, जो उन्हें ब्रेन और हार्ट से जुड़ी बीमारियों की और धकेलता है। इसके कारण बच्चे में तनाव, पढ़ाई पर फोकस ना करना, खान-पान और सोने का रुटीन गड़बड़ा जाता है। वहीं, वीडियो गेम ना मिलने पर बच्चों के दिल और दिमाग में खालीपन और बेचैनी बढ़ने लगती है।

वीडियो गेम्स की ओर क्यों बढ़ रहा झुकाव?

बच्चों का वीडियो गेम के प्रति झुकाव एक रासायनिक प्रक्रिया की वजह सो होता है। दरअसल, वीडियो गेम्स से बच्चों के दिमाग में डोपामिन पाथवे (अच्छा फील करवाने वाला न्यूरोकेमिकल) हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में ऐसी खुशी महसूस करने के लिए बार-बार गेम्स खेलते हैं और धीरे-धीरे अडिक्शन की गिरफ्त में आ जाते हैं।

PunjabKesari

पेरेंट्स समझें खतरे की घंटी

कॉन्फिडेंस या सपोर्ट की कमी के चलते बच्चे वर्जुअल वर्ल्ड की ओर बढ़ते हैं। सोशल एंग्जाइटी से बचने के लिए भी बच्चे नेट और स्क्रीन की तरफ बढ़ तो जाते हैं लेकिन इससे निकलना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वो बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताए और सोशल सर्कल पर ध्यान दें। उन्हें फैमिली गेट टु गेदर और फैमिली फंक्शन में अधिक ले जाए , ताकि वर्जुअल वर्ल्ड की तरफ उनका झुकाव कम हो।

कितनी देर मोबाइल इस्तेमाल कर सकते हैं बच्चे?

एक्सपर्ट के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों को दिन में सिर्फ 15-30 मिनट ही मोबाइल यूज करना चाहिए। वहीं, 5 से 8 साल के बच्चे को 1 घंटे से अधिक मोबाइल का यूज नहीं करने देना चाहिए।

इंटरनेट एडिक्शन से बच्चे में बढ़ रहीं ये हेल्थ प्रॉब्लम्स

. क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)
. फेफड़े कमजोर होना
. अर्ली डायबिटीज, हाइपरटेंशन और हार्ट संबंधी समस्याएं
. तनाव या डिप्रेशन की चपेट में आना

PunjabKesari

बच्चों को ऐसे रखें मेंटली फिट

. बच्चों को फिजिकली एक्टिव रखें। उन्हें घर की बजाए बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें। साथ ही अकेले की बजाए दोस्तों के साथ खेलने दें। इससे वह मेंटली स्ट्रांग होगा।
. डिहाइड्रेशन के कारण भी बच्चे में मेंटली प्रॉब्लम्स और हार्ट अटैक का खतरा रहता है इसलिए अधिक से अधिक पानी पीएं।
. चाहे वह पढ़ाई ही क्यों ना कर रहे हो लेकिन उन्हें अधिक समय तक एक ही पोजीशन में बैठने ना दें।
. बच्चों को जितना हो सके मोबाइल, इंटरनेस, वीडियो गेम्स, कंप्यूटर आदि से दूर रखें।
. अच्छी मेंटल हेल्थ के लिए नींद भी बहुत जरूरी है इसलिए बच्चों को समय से सुलाए। साथ ही उन्हें सुबह जल्दी उठने के लिए भी कहें।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anjali Rajput

Related News

static