मिलिए डॉक्टर वी. शांता से, जिन्हाेंने कैंसर पीड़िताें के नाम की अपनी सारी जिंदगी
punjabkesari.in Tuesday, Oct 24, 2017 - 02:23 PM (IST)

वी. शांता भारत की ऐसी महिला हैं, जिन्हें उनके जनकल्याणकारी कार्यों के लिए वर्ष 2005 में 'रेमन मैग्सेसे पुरस्कार' दिया गया था। उनका पूरा नाम डॉ. विश्वनाथन शांता है। वह 'चेन्नई कैंसर इन्टीट्यूट' में कैंसर पीड़िताें के लिए बढ़-चढ़ कर काम कर रही हैं।
परिचय
डॉ. वी. शांता का जन्म 11 मार्च, 1927 को मद्रास के माइलापुर में हुआ था। 'नोबेल पुरस्कार' प्राप्त वैज्ञानिक एस. चन्द्रशेखर उनके मामा थे और प्रसिद्ध वैज्ञानिक तथा नोबेल पुरस्कार विजेता सी. वी. रमन उनके नाना के भाई थे। इस नाते उनके सामने उच्च आदर्श के उदाहरण बचपन से ही थे।
पढ़ाई
उनकी स्कूली शिक्षा चेन्नई में नेशनल गर्ल्स हाईस्कूल से हुई, जो अब सिवास्वामी हायर सेकेन्डरी स्कूल बन गया है। 1949 में उन्हाेंने मद्रास मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएशन तथा 1955 में पोस्ट ग्रेजुएशन एम.डी. पूरी की।
कैंसर इंस्टीट्यूट में काम
इसी दौरान 1954 में डी. मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी ने कैंसर इन्टीट्यूट की स्थापना की थी। जब डॉ. वी. शांता के सामने कैंसर इन्टीट्यूट का विकल्प आया तो उन्होंने बहुतों को नाराज करते हुए वुमन एंड चिल्ड्रेन हॉस्पिटल का प्रस्ताव छोड़कर 13 अप्रैल, 1955 को कैंसर इन्टीट्यूट का काम स्वीकार कर लिया। शुरूअात में उनके पास एक छोटी-सी बिल्डिंग और बहुत कम चिकित्सा प्रबंध थे। पहले 3 वर्ष उन्हाेंने वहां अवैतनिक स्टॉफ की तरह काम किया उसके बाद उन्हें 200 रुपए प्रतिमाह तथा अस्पताल के परिसर में ही आवास दिया गया।
पहला शिशु कैंसर क्लीनिक
इस संस्थान में वी. शांता ने देश के पहले शिशु कैंसर क्लीनिक की नींव रखी। कैंसर पर रोकथाम के लिए उन्होंने तंबाकू छुड़ाने वाला क्लीनिक भी खाेला। उन्हाेंने मुंह, गले, गर्दन तथा स्तन कैंसर पर गहराई से शोध किया तथा शिशुओं में रक्त रोग ल्यूकेमिया को अपना लक्ष्य बनाया। 1975 में उन्होंने इस संस्थान को भारत का पहला ‘रीजनल कैंसर रिसर्च सेंटर एंड ट्रीटमेंट सेेंटर’ बना दिया। फिर भी उनका हौसला थमा नहीं और उन्होंने कैंसर विशेषज्ञों और गांवों में नर्सों को भी प्रशिक्षित करने का काम किया कि वे भी गर्दन की स्थिति के हिसाब से रोग के लक्षणों को पकड़ सकें। इस इस्टीट्यूट में ऐसे बहुत से लोग मिल जाएंगे जो अपने जीवन को डी. शांता की भेंट मानते हैं। वह अभी भी 24 घंटे काम करने का हौसला रखती हैं ।
पुरस्कार व सम्मान
पद्मश्री - 1986
पद्मभूषण - 2005
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार - 2005
पद्म विभूषण - 2015