इतनी प्यारी बच्ची के साथ मां-बाप ऐसा कैसे कर सकते, पैदा करने वाली डॉक्टर ने शेयर की Video
punjabkesari.in Wednesday, Apr 30, 2025 - 03:55 PM (IST)

नारी डेस्क: "कोई इतना पत्थरदिल कैसे हो सकता है?" — यही सवाल सोशल मीडिया पर हर किसी के दिल में उठ रहा है, हम 21वीं सदी में जरूर जी रहे हैं, लेकिन सोच अब भी कहीं न कहीं पुराने ज़माने में अटकी हुई है। आज भी बेटा-बेटी में फर्क किया जाता है, और इसका ताज़ा उदाहरण हाल ही में एक अस्पताल से सामने आया है, जहां एक दंपति ने सिर्फ इसलिए अपनी नवजात बेटी को छोड़ दिया क्योंकि वह लड़की थी। इस दिल को छू जाने वाले मामले को डॉक्टर सुषमा ने सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसका वीडियो कुछ ही घंटों में वायरल हो गया। एक मां, एक महिला और एक डॉक्टर के तौर पर सुषमा का दर्द उनकी बातों में साफ झलकता है। यह घटना न केवल दिल दहला देने वाली है, बल्कि हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वाकई हम बदल पाए हैं?
क्या है मामला?
यह मामला एक प्राइवेट अस्पताल का है जहां एक महिला ने अपनी तीसरी बेटी को जन्म दिया। जन्म के तुरंत बाद, परिवार ने बच्ची को अस्पताल में छोड़कर भागने का फैसला किया। बच्ची की मां पहले ही दो बेटियों को जन्म दे चुकी थी, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है। अब तीसरी बेटी के जन्म के बाद, परिवार ने उसे स्वीकार करने से मना कर दिया। बच्ची के पिता ने तो अपनी पत्नी को फोन तक नहीं किया।
डॉक्टर सुषमा का भावुक वीडियो
डॉ. सुषमा, जो खुद एक मां और महिला हैं, इस घटना से बेहद आहत हुईं। उन्होंने अपनी भावनाएं इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के ज़रिए साझा कीं। उन्होंने कहा- "यह बच्ची भी नौ महीने का सफर तय करके दुनिया में आई है। लेकिन सिर्फ इसलिए उसे छोड़ दिया गया क्योंकि वह एक लड़की है। जब हमारे देश में महिला राष्ट्रपति हैं, सुनीता विलियम्स जैसी महिलाएं अंतरिक्ष में इतिहास रच रही हैं, तब भी बेटियों को जन्म के बाद त्यागा जा रहा है — यह सोच आज भी जिंदा है।" इस वीडियो को 3 मिलियन से ज्यादा बार देखा गया और लाखों लोगों की प्रतिक्रियाएं आईं।
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लोगों ने दिखाई इंसानियत, जागा परिवार का दिल
वीडियो वायरल होते ही हजारों लोगों ने डॉक्टर से बच्ची को गोद लेने की इच्छा जताई। सुषमा को हजारों कॉल और मैसेज आने लगे। लोग कहने लगे कि वे बच्ची को स्नेह और प्यार देंगे, जिसकी वह हकदार है।डॉक्टर ने जब यह सब बच्ची के माता-पिता को बताया, तो वे हैरान रह गए। उन्हें समझ आया कि एक बेटी का जन्म किसी बोझ नहीं, बल्कि आशीर्वाद है। वे खुद की सोच पर शर्मिंदा हुए और अपनी गलती मान ली। अब वे अपनी बेटी को प्यार से घर ले जाने को तैयार हैं।
एक उम्मीद की किरण-डॉ. सुषमा ने कहा, "कभी-कभी अजनबियों की दयालुता ही किसी को इंसानियत की याद दिला देती है।" यह घटना साबित करती है कि समाज में बदलाव संभव है, बस शुरुआत किसी एक की होनी चाहिए।