इश्क में दीवानी थी शादीशुदा अमृता...''प्रेमी'' की इस एक चीज को रख लेती थी संभालकर
punjabkesari.in Tuesday, Sep 01, 2020 - 06:25 PM (IST)

मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम को भला कौन नहीं जानता। अपने साहित्य के लिए अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण से सम्मानित भी चुकी अमृता प्रीतम को ना सिर्फ एक मशहूर शायद के तौर पर जाना जाता रहा बल्कि गीतकार साहिर लुधियानवी के तौर पर भी वो काफी लोकप्रिय रहीं। जानकारी के लिए बता दें कि इस महान लेखिका के इश्क पर बने नाटक' तुम्हारी अमृता' पर फिल्म भी बनने जा रही हैं जिसे कोई और नहीं बल्कि संयज लीला भंसाली बनाने जा रहे हैं। बता दें कि इस फिल्म में साहिर का किरदार अभिषेक बच्चन और अमृता के किरदार में तापसी पन्नू नजर आएंगी। चलिए आपको भी रूबरू करवाते है अमृता की लंबी लवस्टोरी से...
बचपन में ही लिखती थीं कविताएं-नज्में
अमृता का जन्म 31 अगस्त 1919 में पंजाब के गुजरांवाला में हुआ था। बचपन से वे कविताएं और नज्म लिखती थीं... रेडियो में सुनाती थीं। बंटवारे के वक्त अमृता परिवार के साथ हिंदुस्तान आ गईं जहां उन्होंने कुछ दिनों तक रेडियों में काम किया। वो महफिलों में अपनी कविता व नज्म पढ़ा करती थीं जोकि उस दौर में काफी बड़ी बात थी...मगर अपनी कविताओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए अमृता ने इस बदनामी को भी मोल लिया।
अपनी प्रेमकहानी के लिए रही मशहूर
उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में 100 से ऊपर किताबें लिखी जिनका कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ। मगर इस दौर में सोशल मीडिया पर लोग उनके बारे में बहुत कम जानते हैं, अमृता ज्यादातर अपनी इसलिए याद हैं क्योंकि वो साहिर लुधयानवी और इमरोजड की गर्लफ्रेंड रह चुकी थी...चलिए डालते है उनकी पर्सनल लाइफ पर एक छलक...
साहिर लुधियानवी से हुआ प्यार
अमृता जिस वक्त महज 16 साल की थी, उनकी शादी हो चुकी कीं। शादी के बाद अमृता कौर से अमृता प्रीतम बन गईं। अमृता की शुरूआत से ही अपने पति से नहीं जमती थी। उस वक्त अमृता शादीशुदा ही थी जब उनकी मुलाकाट एक मुशायरे में साहिर लुधियानवी से हुई...उस वक्त अमृता काफी खूबसूरत थी और साहिर बेहद साधारण...लेकिन अमृता उनकी नज्मों से इम्प्रेस थी। जबकि साहिर को अमृता पहली नजर में ही भा गई और उनसे इश्क कर बैठे, जिसके बाद खत लिखने का सिलसिला शुरू हुआ...दोनों जब भी मिलते हैं आंखों ही आंखों में बातें करते...साहिर को सिगरेट पीने की लत थी..वो अक्सर आधी सिगरटे पीकर बुझा देते थे...अमृता बचे हुए टुकड़े को संभालकर रखती और आधी जली हुई सिगरेट को फिर से सुलगा लेती...जब वो उसे वो उंगुलियों में पकड़ती तो साहिर छूने का एहसास होता...यहीं वजह रही कि उन्हें भी सिगरेट की लत लग गई। इस बात का जिक्र खुद अमृता ने अपनी आत्मकथा में किया था...जब अमृता अपने पति से अलग हुईं, तो सबसे पहले साहिर साहब को इस बारे में बताया...मगर अफसोस दोनों कभी एक नहीं हो सके।
साहिर की बची हुई सिगरेट पीती थीं अमृता
दरअसल साहिर लुधियानवी अपनी अम्मी का हुक्म सिर माथे पर रखते थे...जिनके वजह से साहिर-अमृता की प्रेमकहानी अधूरी ही रही। दरअसल, साहिर को लगता था कि उनकी अम्मी कभी भी अमृता को बहू के रूप में नहीं स्वीकार करेगी। उनकी अम्मी का मानना था कि अमृता एक हिंदू लड़की है...वो भी तलाकशुदा थी। अमृता साहिर के इश्क में पूरी तरह ढूब चुकी थी लेकिन साहिर ने जब उन्हें कोई जवाब ने मिला तो उन्होंने अपनी आखिरी चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने लिखा था, 'मैंने टूट के प्यार किया तुमसे, क्या तुमने भी उतना किया मुझसे? इस पत्र का साहिर ने जवाब नहीं दिया, पर जब उन दोनों की आखिरी मुलाकात एक मुशायरे में हुई, तो साहिर ने वहां ये चंद लाइनें पढ़ीं थी जो शायद अमृता के पहले खत का जवाब था...उन्होंने कहा... तुम चली जाओगी परछाइयां रह जाएगी, कुछ न कुछ इश्क की रानाइयां रह जाएंगी...!
साहिर के बाद अमृता की जिंदगी में उम्र में उनसे कम...लेकिन टूटकर चाहने वाले इमरोज आ गए जिनके साथ अमृता ने अपनी जिंदगी के आखिरी पल बिताए...इन दोनों का साथ लगभग 40 साल तक रहा....हालांकि इमरोज अच्छे से मालूम था कि अमृता की जिंदगी में सिर्फ और सिर्फ साहिर बसते थे लेकिन फिर भी इमरोज ने उन्हें टूटकर चाहा और जिंदगीभर उनका साथ निभाया...!