खेतों में मजदूरी करती थी ये महिलाएं, जूस के बिजनेस से बनाई नई पहचान

punjabkesari.in Monday, Sep 17, 2018 - 04:18 PM (IST)

कवर्धा शहर के जोराताल गांव की महिलाएं पहले खेतों में जाकर मेहनत-मजदूरी करती थी। मगर इससे उनके घर का गुजारा भी ठीक से नहीं हो पाता था। पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए उन्होंने एक ऐसी तरकीब निकाली जिससे आज वह न सिर्फ बिजनेस कर रही बल्कि उनके अंदर एक नया आत्मविश्वास भी आ गया है। तो चलिए जानते है जोराताल गांव की महिलाओं के बिजनेस से आत्मनिर्भर बनने की कहानी।

 

शुरू किया यह बिजनेस
छत्तीसगढ़, जोराताल गांव की महिलाएं पति के साथ हाथ बटाने के लिए कोई रास्ता खोज रही थी कि तभी उन्हें 'आत्मा' योजना की जानकारी मिली। इसके बाद गांव की सभी महिलाओं ने मिलकर एक समूह बनाया। इस समूह में उन्होंने फैसला किया कि वह जैविक खेती करेंगी और उद्यानिकी व वन उत्पाद से जुड़े फसल लेंगी।

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करती हैं ये काम
इस गांव की महिलाओं ने अपने द्वारा उगाए जाने वाले उत्पाद को लोगों तक नए तरीके से पहुंचाया। दरअसल, उन्होंने अपने द्वारा उगाई जाने वाली चीजों से आइसक्रीम से लेकर जूस तक तैयार किया। इनकी पैकजिंग करके उन्होंने इसे कम से कम कीमत में बेचा। इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने जिला पंचायत के पास ही एक आउटलेट भी खोला, ताकि लोगों तक यह उत्पाद पहुंच सके। अब इनके प्राकृतिक व जैविक उत्पादों की सराहना दूर-दूर तक हो रही है। यहां सीताफल की आइसक्रीम अधिक प्रसिद्ध है।

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बन चुकी हैं आत्मनिर्भर
अब ये महिलाएं न सिर्फ खुद आर्थिक रूप से मजबूत हैं बल्कि इनका नाम भी है। वह खेती करने के साथ-साथ अपना आउटलेट भी संभालती हैं। आत्मा योजना के अंतर्गत यहां की महिलाएं न सिर्फ आगे बढ़ी बल्कि उन्होंने दूसरी महिलाओं के लिए भी एक नई राह खोल दी है। अब इनकी पूरी शृंखला विकसित हो चुकी है।

 

 


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Content Writer

Anjali Rajput

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