World Sleep Day: नींद से जुड़ी इन 5 मिस्टेक्स को छोड़ें, शरीर में आएगें ये बदलाव

punjabkesari.in Saturday, Mar 15, 2025 - 11:19 AM (IST)

नारी डेस्क: 14 मार्च 2025 को एक ओर जहां होली का त्योहार मनाया जा रहा थी , वहीं दूसरी ओर यह 'विश्व नींद दिवस' (World Sleep Day) भी था। जैसा कि हम सब को पता हैे नींद एक अहम हिस्सा है हमारी सेहत का, जो न केवल आराम देती है, बल्कि शरीर को स्वस्थ रखने में भी मदद करती है। स्वस्थ शरीर के लिए सही और गहरी नींद बहुत जरूरी है, लेकिन सवाल यह है कि हमें गहरी नींद कैसे मिले? इसी पर बात करने के लिए दिल्ली स्थित AIIMS के पल्मनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. विजय हड्डा ने एनबीटी टीम से बातचीत की।

नींद क्यों जरूरी है?

नींद हमारी सेहत का अहम हिस्सा है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में इसे उतना महत्व नहीं दिया गया था। पहले लोग मानते थे कि 'जो सोया, वो खोया' और 'जो जागा, सो पाया'। लेकिन अब शोधों ने यह साबित किया है कि नींद का हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत पर गहरा असर होता है। नींद से शरीर का डाइजेशन बेहतर होता है, इम्यूनिटी मजबूत रहती है और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी कम होती हैं।

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कैसे लाएं अच्छी नींद और कितने घंटे सोना जरूरी है?

सोने से पहले  ऐक्टिविटी कम करें

बेड पर जाने के बाद दिमाग की ऐक्टिविटी धीरे-धीरे कम होनी चाहिए ताकि नींद जल्दी आ सके। जब आप बिस्तर पर जाते हैं, तो अपने शरीर को आराम देने के लिए कुछ गहरी सांसें लें और मानसिक शांति की कोशिश करें। दिमाग में चल रही हलचल को कम करने के लिए एक छोटी सी ध्यान या मेडिटेशन की तकनीक भी मदद कर सकती है। साथ ही, सोने से पहले किसी भी प्रकार की चिंता या तनाव से बचने की कोशिश करें, ताकि नींद का अनुभव बेहतर हो सके।

समय का ध्यान रखें

रात 9 से 11 बजे तक सो जाएं और सुबह 5 से 6 बजे तक उठें। हमारे शरीर की आंतरिक घड़ी, जिसे सर्केडियन रिदम कहा जाता है, इसे सही समय पर सोने और उठने से संतुलित किया जा सकता है। यदि आप नियमित रूप से इस समय सीमा में सोने जाते हैं, तो आपकी नींद की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। यह आपके शरीर और मस्तिष्क को सही रीति से आराम करने का अवसर देता है, और सुबह जल्दी उठने से आपके दिन की शुरुआत भी फ्रेश होती है।

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स्क्रीन टाइम कम करें

सोने से 30 मिनट से 1 घंटा पहले मोबाइल, टीवी या लैपटॉप का इस्तेमाल न करें। डिजिटल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन (जो कि नींद के लिए ज़िम्मेदार हार्मोन है) के उत्पादन को बाधित करती है, जिससे नींद में दिक्कत हो सकती है। इसलिए, स्क्रीन से दूर रहकर अपने शरीर को प्राकृतिक रूप से नींद के लिए तैयार करें। आप इस समय में एक किताब पढ़ सकते हैं या हल्का संगीत सुन सकते हैं, ताकि मन शांत हो सके।

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चाय और कॉफी से बचें

शाम 6 से 7 बजे के बाद चाय या कॉफी न लें, क्योंकि इनमें कैफीन होता है, जो नींद को दूर करता है। कैफीन एक उत्तेजक पदार्थ है, जो मस्तिष्क को जागृत रखता है और नींद के आने में बाधा डालता है। इसके बजाय, आप कैफीन-रहित हर्बल चाय का सेवन कर सकते हैं, जैसे कि कैमोमाइल चाय या अदरक-नींबू चाय, जो आपको आराम और शांति प्रदान करती हैं और सोने में मदद करती हैं।

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कमरे का माहौल सही रखें

सोने के कमरे में हल्की रोशनी या अंधेरा रखें। कमरे का वातावरण नींद की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कमरे में पूरी अंधकार की स्थिति को बनाए रखें, ताकि आपका मस्तिष्क यह समझ सके कि यह सोने का समय है। हल्की और आरामदायक तापमान भी जरूरी है, ताकि आप न ज्यादा गर्म महसूस करें, न ज्यादा ठंडे। कमरे में शांति बनाए रखें, क्योंकि तेज़ आवाज़ों से नींद में खलल पड़ सकता है।

आरामदायक बेड चुनें

तकिया और गद्दा आपके आराम के अनुसार होना चाहिए। अगर आपका गद्दा और तकिया आपको सही सपोर्ट नहीं देते, तो इससे आपकी नींद में दिक्कत हो सकती है। एक अच्छा गद्दा और तकिया आपकी रीढ़ की हड्डी को सही स्थिति में रखते हैं और शरीर को पूरी तरह से आराम पहुंचाते हैं। सुनिश्चित करें कि बिस्तर का सेट अप ऐसा हो जो आपकी नींद की गुणवत्ता को बढ़ावा दे, जैसे कि सॉफ्ट गद्दा या आपके शरीर के आकार के अनुसार तकिया।

सोने की दिशा पर ध्यान न दें

दिशा से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, बस आरामदायक स्थिति बनाए रखें। बहुत से लोग मानते हैं कि सोने की दिशा से नींद पर असर पड़ता है, लेकिन यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं है। यदि आप अपने सोने के तरीके में आराम महसूस करते हैं और आपका शरीर सही स्थिति में है, तो दिशा पर ध्यान देने की बजाय आपको अपनी शारीरिक स्थिति और बेड के आराम पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इससे आपकी नींद में कोई रुकावट नहीं आएगी।

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सोने से पहले तनाव कम करें

अगर तनाव या स्ट्रेस के कारण नींद में परेशानी हो रही हो, तो इससे निपटने के लिए साइकॉलजिस्ट की मदद लें। तनाव और चिंता का असर सीधा हमारी नींद पर पड़ता है, जिससे हम आसानी से सो नहीं पाते। सोने से पहले मानसिक स्थिति को शांत करने के लिए कुछ योगासन, प्राणायाम या ध्यान का अभ्यास करें। इसके अलावा, आप मानसिक शांति पाने के लिए अपनी दिनचर्या में अच्छे विचारों को जगह देने की कोशिश करें। अगर तनाव बहुत बढ़ जाए तो मानसिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञ से संपर्क करना भी एक अच्छा  हो सकता है।

नींद की गुणवत्ता को कैसे मापें?

5 से 9 घंटे की नींद - हर रात 5 से 9 घंटे की नींद जरूरी है। इससे कम या ज्यादा सोने से नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।

फ्रेश महसूस होना चाहिए - नींद पूरी करने के बाद आपको ताजगी का अहसास होना चाहिए।

नींद का असर - अगर नींद पूरी नहीं हुई, तो दिनभर थकान महसूस होती है और किसी काम में मन नहीं लगता।

क्या सोने से पहले एक्सरसाइज करना ठीक है?

सोने से पहले भारी एक्सरसाइज से बचें। हल्की वॉक की जा सकती है, क्योंकि भारी एक्सरसाइज से हार्ट बीट तेज हो जाती है और मेलेटोनिन (नींद का हॉर्मोन) कम हो सकता है, जिससे नींद आने में परेशानी होती है।

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क्या अलार्म का इस्तेमाल सही है?: अलार्म का इस्तेमाल तब करना ठीक है जब नींद पूरी हो रही हो। अगर अलार्म की वजह से उठने के बाद ताजगी नहीं महसूस होती, तो अलार्म से बचना बेहतर हो सकता है।

क्या नींद लाने के लिए दवाएं लेना सही है?: अगर महीने में एक या दो बार नींद की गोली ली जाए, तो सामान्य रूप से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसे नियमित रूप से लेने से बचना चाहिए। नींद की गोली लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है।

क्या सोने से पहले खाना खाना सही है?: खाने और सोने के बीच कम से कम 2-3 घंटे का गैप होना चाहिए। ज्यादा खाने से एसिड रिफ्लक्स और स्लीप एप्निया जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिससे नींद खराब होती है।

क्या रात में संगीत सुनना सही है?: अगर हल्की आवाज में संगीत सुनने से नींद आती है, तो यह अच्छा हो सकता है, क्योंकि संगीत से वातावरण शांत होता है। लेकिन तेज आवाज से नींद दूर हो सकती है।

नींद की कमी से शुगर और बीपी पर असर: अगर नींद पूरी नहीं होती है, तो शरीर में इन्फ्लेमेशन बढ़ सकता है, जो शुगर और बीपी जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है। गहरी नींद लेने से इन समस्याओं में सुधार हो सकता है क्योंकि नींद से शरीर का आंतरिक तनाव कम होता है और अंग सही से काम करते हैं।

नींद न आने के कारण और समाधान

सांस की परेशानी - अगर किसी को सांस रुकने की समस्या है (जैसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया), तो उसे नींद में खलल आता है। इसके लिए CPAP या BiPAP मशीन का इस्तेमाल किया जा सकता है।

वजन और नींद - ज्यादा वजन या मोटी गर्दन भी नींद में खलल डाल सकती है। BMI कम करने की कोशिश करें।

खानपान - अधिक खाने से नींद खराब हो सकती है। हल्का खाना खाएं और मसालेदार या तैलीय खाने से बचें।

अल्कोहल और नींद - शराब पीने से नींद खराब होती है, इसलिए सोने से पहले अल्कोहल से बचें।

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स्ट्रेस - तनाव और चिंता से नींद में खलल पड़ती है। अगर तनाव ज्यादा हो, तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें।
क्या स्लीप पैटर्न को समझने से नींद में सुधार हो सकता है?

स्लीप पैटर्न की जांच के लिए पोलिसोमनोग्राफी (Polysomnography) की जाती है, जिसमें नींद की गुणवत्ता और पैटर्न को मॉनिटर किया जाता है। अगर नींद की समस्या है, तो यह स्टडी बहुत मददगार साबित हो सकती है।

ध्यान दें: यह जानकारी सामान्य मार्गदर्शन के लिए है। किसी भी चिकित्सा उपचार के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।
 
 


 


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Content Editor

Priya Yadav

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