दुनिया का सबसे महंगा कीड़ा: एक कीड़े की कीमत से खरीद सकते हैं लग्जरी कार, जानें क्यों है खास
punjabkesari.in Saturday, Jul 12, 2025 - 01:15 PM (IST)

नारी डेस्क: क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटा-सा कीड़ा आपकी किस्मत बदल सकता है? सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन ये बिल्कुल सच है। दुनिया का सबसे महंगा कीड़ा "स्टेग बीटल" (Stag Beetle) इतना बेशकीमती है कि इसकी एक दुर्लभ प्रजाति की कीमत ₹75 लाख तक पहुंच जाती है। यानी आप इसे बेचकर टोयोटा फॉर्च्यूनर जैसी लग्जरी SUV खरीद सकते हैं।
क्या है स्टेग बीटल?
स्टेग बीटल, जिसे हिंदी में "हिरन सींग वाला भृंग" भी कह सकते हैं, कीड़े की एक खास प्रजाति है जो Lucanidae परिवार से संबंध रखती है। इस परिवार में करीब 1,200 से ज्यादा प्रजातियां शामिल हैं। ये कीड़े खास तौर पर यूरोप, एशिया और अमेरिका के उष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाते हैं। भारत में भी ये कीड़ा असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और पश्चिमी घाट के इलाकों में देखा गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है नर स्टेग बीटल के बड़े-बड़े जबड़े, जो बिल्कुल हिरन के सींग जैसे दिखते हैं। मादा के जबड़े छोटे होते हैं लेकिन बहुत मजबूत होते हैं और काटने पर दर्द दे सकते हैं।
कितना बड़ा और कितनी उम्र का होता है?
नर की लंबाई: 35 से 75 मिमी
मादा की लंबाई: 30 से 50 मिमी
वजन: 2 से 6 ग्राम
जीवनकाल: औसतन 3 से 7 वर्ष
इतना महंगा क्यों है स्टेग बीटल?
दुर्लभता (Rarity): जंगलों की कटाई और प्राकृतिक आवास नष्ट होने की वजह से स्टेग बीटल की कई प्रजातियां दुर्लभ और संकटग्रस्त हो चुकी हैं। लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम के अनुसार, उत्तरी यूरोप में यह प्रजाति खतरे में है।
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कलेक्टर्स की डिमांड: जापान जैसे देशों में स्टेग बीटल को पालतू जानवर और स्टेटस सिंबल माना जाता है। वहां लाखों लोग इन्हें इकट्ठा करते हैं। बीटल फाइटिंग जैसी प्रतियोगिताएं भी होती हैं। 1999 में टोक्यो में एक दुर्लभ बीटल (Dorcas Hopei) को $90,000 (लगभग ₹75 लाख) में बेचा गया था।
सांस्कृतिक महत्व: जापान और अन्य एशियाई संस्कृतियों में स्टेग बीटल को सौभाग्य और धन का प्रतीक माना जाता है। यूरोप की लोककथाओं में इसे बिजली और आग से जोड़ा गया है, जिससे इसकी रहस्यमयी छवि बनी है।
औषधीय प्रयोग: कुछ पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में स्टेग बीटल के अंगों का उपयोग भी किया जाता है। हालांकि इसके वैज्ञानिक प्रमाण स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन यह इसकी कीमत बढ़ाने वाला एक और कारण है।
पालन-पोषण में कठिनाई: स्टेग बीटल का लार्वा स्टेज 2 से 5 साल तक रहता है, जबकि वयस्क जीवन केवल कुछ महीनों का होता है। इसलिए इनका पालन और प्रजनन एक मुश्किल और खर्चीला काम है।
पर्यावरण में इनका योगदान: स्टेग बीटल सड़ी-गली लकड़ियों को खाते हैं और इस तरह प्राकृतिक पोषक तत्वों का चक्र बनाए रखते हैं। ये किसी जीवित पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचाते और पर्यावरण के लिए फायदेमंद होते हैं।
भारत में क्या स्थिति है?
भारत में ये कीड़े पूर्वोत्तर और हिमालयी क्षेत्रों में मिलते हैं, लेकिन यहां इन्हें पालतू जानवर की तरह पालने या इकट्ठा करने की परंपरा नहीं है। हालांकि, विदेशों में इनकी भारी मांग के चलते इनका अवैध व्यापार भारत में भी सामने आने लगा है, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध हो सकता है।कई देशों, जैसे यूके, में स्टेग बीटल को बेचना गैरकानूनी है।
स्टेग बीटल दिखने में भले ही एक आम कीड़े जैसा लगे, लेकिन यह दुनिया का सबसे कीमती और दुर्लभ कीड़ा है। इसकी खास बनावट, सांस्कृतिक महत्त्व, पर्यावरणीय भूमिका और पालन की जटिलता इसे खास बनाती है। यह कीड़ा एक उदाहरण है कि प्रकृति में हर छोटा जीव भी बेहद कीमती हो सकता है जरूरत है तो बस उसे समझने और बचाने की।