चातुर्मास हो गया शुरू, जानें इन 4 महीनों में क्या करना है मना, पूरी डिटेल यहां पढ़ें
punjabkesari.in Monday, Jul 07, 2025 - 11:55 AM (IST)

नारी डेस्क: आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है, हर साल बड़े श्रद्धा-भाव से मनाई जाती है। इसी दिन से भगवान विष्णु चार महीनों के लिए योगनिद्रा (गहरी निद्रा) में चले जाते हैं। यह विशेष अवधि चातुर्मास कहलाती है। यह समय धार्मिक, आध्यात्मिक और जीवनशैली से जुड़े कई नियमों के पालन के लिए जाना जाता है। वर्ष 2025 में चातुर्मास 6 जुलाई से 1 नवंबर तक रहेगा। इस लेख में हम जानेंगे कि चातुर्मास के दौरान कौन-से कार्य नहीं करने चाहिए और कौन-से कार्य शुभ माने जाते हैं।
चातुर्मास में भगवान विष्णु जाते हैं योग निद्रा में
देवशयनी एकादशी से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव (भोलेनाथ) करते हैं। चातुर्मास के इन चार महीनों में भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी सहित अन्य देवता भी विश्राम पर रहते हैं, इसलिए कोई भी नया या शुभ कार्य इस समय नहीं किया जाता।
चातुर्मास में क्या नहीं करना चाहिए?
चातुर्मास के नियमों को धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। आइए जानते हैं, इस दौरान कौन-से काम करने से परहेज करना चाहिए
नए काम की शुरुआत न करें: इन चार महीनों में कोई भी नया कार्य, जैसे दुकान खोलना, नया व्यवसाय शुरू करना या कोई बड़ा निवेश करना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान किए गए नए काम में सफलता मिलने की संभावना कम होती है।
मांगलिक संस्कार व आयोजनों से बचें: चातुर्मास में कोई भी शुभ कार्य या संस्कार जैसे गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन संस्कार, विवाह, तिलक समारोह। भूमि पूजन जैसे कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं, क्योंकि देवता विश्राम पर होते हैं और ऐसे समय में उनका आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता।
तामसिक भोजन का सेवन न करें: इस दौरान मांसाहार, लहसुन, प्याज, शराब आदि जैसी तामसिक चीज़ों का सेवन वर्जित माना गया है। इससे मन अशांत होता है और आध्यात्मिक ऊर्जा घटती है।
कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से परहेज करें: चातुर्मास में विशेष रूप से दही, मूली और हरी साग-सब्जियों का सेवन वर्जित होता है। माना जाता है कि इन महीनों में ये चीजें शरीर पर विपरीत प्रभाव डालती हैं।
चातुर्मास में क्या करना चाहिए?
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें: इन दिनों में प्रतिदिन विष्णु सहस्रनाम या भगवद्गीता का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
ब्रज यात्रा करें: मथुरा, वृंदावन जैसे ब्रज क्षेत्र की यात्रा चातुर्मास में बहुत शुभ मानी जाती है। ऐसा करने से जीवन में पवित्रता और सकारात्मकता आती है।
ब्रह्मचर्य का पालन करें और जमीन पर सोएं: चातुर्मास में ब्रह्मचर्य पालन करने और जमीन पर सोने की परंपरा है। यह मानसिक और आध्यात्मिक रूप से व्यक्ति को दृढ़ बनाता है।
मंत्र जाप और पूजा-पाठ करें: इन महीनों में भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप, व्रत और ध्यान करना बहुत फलदायक होता है। साथ ही, माता लक्ष्मी की पूजा भी करनी चाहिए, ताकि जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे।
चातुर्मास कब समाप्त होगा?
वर्ष 2025 में चातुर्मास की समाप्ति 1 नवंबर को होगी, जब देवउठनी एकादशी (जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है) मनाई जाएगी। इसी दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागेंगे और फिर से सृष्टि का संचालन शुरू करेंगे। देवउठनी एकादशी के बाद से ही शादी-ब्याह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य दोबारा शुरू हो जाते हैं।
चातुर्मास एक ऐसा समय है जब व्यक्ति को धार्मिक अनुशासन, संयम, सदाचार, और सत्कर्मों की ओर ध्यान देना चाहिए। इन चार महीनों में संयमित जीवन जीकर हम न केवल अपने शरीर और मन को शुद्ध करते हैं, बल्कि ईश्वर की कृपा भी प्राप्त करते हैं।