अजब-गजब: यहां महिलाओं का है बोलबाला, पुरुष बनते है घर जमाई

punjabkesari.in Sunday, Nov 03, 2019 - 05:35 PM (IST)

भारत में विभिन्न राज्यों में महिलाओं संबंधी होने वाले क्राइम, कन्या भ्रूण हत्या जैसी कई तरह की घटनाएं सुनने को मिलती है लेकिन भारत के कुछ ऐसे हिस्से है जहां पर महिलाओं का न केवल बोलबाला है बल्कि उन्हें घर का वारिस माना जाता है।  जी हां, ये है खासी नाम की जनजाति के लोग, जो भारत के मेघालय, असम और बंगलादेश के कुछ क्षेत्रों में निवास करते हैं। इसे खासिया या खासा के नाम से भी जाना जाता है। इस जाति की खास बात यह है कि इस जनजाति में लड़कियों को ऊंचा दर्जा दिया जाता है। यहां लड़कियों के जन्म पर जश्न मनाया जाता है। यहां लड़कियां अपने मां-बाप के साथ ही रहती है और शादी के बाद लड़कियों के पति घर में घर जमाई बनकर रह सकते हैं।
 

लड़कियां होती है घर की वारिस

लड़कियां ही घर की वारिस होती हैं और सारी धन-दौलत उन्हीं के पास रह जाती है। इतना ही नहीं, इस जनजाति की महिलाएं किसी भी पुरुषों से शादी कर सकती हैं लेकिन यहां के पुरुषों की मानें तो उनका कहना है कि उन्हें अब इस प्रथा में कुछ बदलाव चाहिए। उनका कहना है कि वे यह मांग करके महिलाओं को नीचा नहीं दिखाना चाहते है लेकिन उन्हें भी अब बराबरी का हक चाहिए।

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महिलाएं लेती है घर के फैसले

इस जनजाति में परिवार के तमाम फैसले भी महिलाओं द्वारा लिए जाते है। इस जनजाति की अन्य खास प्रथा है जिसमें सारी संपत्ति घर की बड़ी बेटी को नहीं बल्कि छोटी बेटी को ही मिलती है। इसके पीछे का कारण यह है कि उसे ही आगे चल कर अपने माता-पिता की देखभाल करनी होती है। छोटी बेटी को खातडुह कहा जाता है।

विवाह के लिए नहीं होती कोई खास रस्म

इस जनजाति में विवाह के लिए कोई विशेष रस्म नहीं है। लड़की और माता-पिता की सहमति होने पर युवक ससुराल में आना-जाना शुरु कर देता है। संतान होते ही वह स्थायी रुप से वही रहने लगता है।

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संतान पर नहीं होता है पिता का हक

यहां पर संबंध विच्छेद भी अक्सर सरलतापूर्वक होते रहते है। संतान पर पिता को कोई अधिकार नही होता है। करीब 10 लाख लोगों का वंश महिलाओं के आधार पर चलता है। यहां तक कि किसी परिवार में कोई बेटी नहीं है तो उसे एक बच्ची को गोद लेना पड़ता है, ताकि वह वारिस बन सकें। 


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Content Writer

khushboo aggarwal

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