61 की नीना गुप्ता के कपड़ों पर बवाल क्यों...फैशनेबल औरतें क्या नहीं होती संस्कारी?
punjabkesari.in Tuesday, Jun 22, 2021 - 05:02 PM (IST)
नीना गुप्ता, बॉलीवुड की गिनी चुनी बिंदास एक्ट्रेसेस में से एक हैं जिन्होंने जो भी किया खुलकर किया। 61 साल की नीना इन दिनों अपने फैशन स्टेटमेंट और फिटनेस को लेकर चर्चा में रहती है। हाल ही में उन्होंने एक वीडियो शेयर की जिसमे वह दिल्ली की दही भल्ला, पापड़ी चाट का मजा ले रही थी जो फैंस को काफी पसंद आई .. हालांकि इस दौरान कुछ यूजर्स ने नीना की शॉर्ट ड्रेस पर कमेंटिंग की लेकिन क्या यह सही है ...
क्यों आज भी महिलाओं के एक उम्र के बाद फैशनेबल-स्टाइलिश कपड़े पहनना, हमारा समाज स्वीकार नहीं किया पाता? जब एक्ट्रेस को सुनना पड़ता है तो क्या आम महिलाएं इस तरह के व्यंगो से बची रहती होगी। अक्सर ऐसी महिलाओं को असंस्कारी, असभ्य का टैग दे दिया जाता है लेकिन क्या उम्रदराज होने पर महिलाओं के लिए सिर्फ सादा पहनावा ही जरूरी है..या फैशनेबल ड्रेसिंग होने पर वह संस्कारी नहीं रहती।
वहीं बात एक्ट्रेस नीना गुप्ता की करें तो वह अपनी लाइफ बिंदास तरीके से एंज्वॉय कर रही है। इसकी झलक उनकी शेयर की वीडियो में खूब देखने को मिलती है। नीना गुप्ता ने रियल और रील दोनों ही लाइफ में कई उतार चढ़ाव देखे जिसे उन्होंने अकेले फेस किया खुद को संभाला भी। फिल्मों में काम ना मिलने से लेकर बिन ब्याही मां बनने तक का सफर उन्होंने तय किया, कई ताने सुने। अपने जीवन के इन्हीं एक्सपीरियंसेस को उन्होंने इंस्टाग्राम सीरीज 'सच कहूं तो...' के जरिए फैंस के साथ शेयर किया है और इसी सीरिज को उन्होंने किताब का रूप भी दिया। 14 जून को करीना कपूर खान ने उनकी बुक 'सच कहूं तो...' लांच की इस बुक को नीना गुप्ता ने लॉकडाउन में लिखा।
इसमें नीना की जिंदगी का हर पड़ाव लिखा है कि कैसे दिल्ली करोल बाग के नेशनल ड्रामा स्कूल से बॉम्बे का स्ट्रगलिंग पीरियड उन्होंने देखा। अपने जीवन में नीना को दो बार नेशनल अवार्ड सम्मान मिला। सिर्फ फिल्मी नहीं टीवी की दुनिया में भी अपने किरदारों की छाप छोड़ी।
महिलाओं के लिए नीना गुप्ता की यह किताब बड़ी खास है उन्हें यह पढ़नी चाहिए क्योंकि नीना ने इस बुक में बताया कि कैसे उन्होंने अपने अकेलेपन को अपनी ताकत बनाया क्योंकि इसे दूर करने के लिए किसी का साथ होना जरूरी नहीं बल्कि ऐसे कई तरीके हैं, जैसे किताब पढ़ना, कुकिंग, पेंटिंग करना आदि। खुद को बेचारा साबित करना, दया भाव दिखाना बंद करें क्योंकि कोई नहीं तो कम से कम हम खुद के लिए तो हैं।