माता लक्ष्मी का भी हुआ था स्वयंवर, क्या आप जानते हैं धन की देवी कैसे आई थी दुनिया में ?
punjabkesari.in Monday, Dec 09, 2024 - 03:43 PM (IST)
नारी डेस्क: माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनकी उत्पत्ति और स्वयंवर की कहानी भारतीय पौराणिक ग्रंथों में अत्यंत रोचक और महत्वपूर्ण है। यह कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है, जो भारतीय धर्मग्रंथों में वर्णित एक महान घटना है।यह कथा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन में समर्पण, कर्तव्य, और नैतिकता का महत्व भी दर्शाती है।
समुद्र मंथन की वजह
विष्णु पुराण के अनुसार एक बार देवराज इन्द्र अपनी किसी यात्रा से वापस बैकुंठ धाम जा रहे थे, उसी समय दुर्वासा ऋषि उन्हें रास्ते में मिल गए और देवराज इन्द्र को फूलों की एक माला भेंट की लेकिन अपने मद और वैभव में डूबे देवराज इन्द्र ने वह माला अपने हाथी ऐरावत के सिर पर डाल दी। ऐरावत हाथी ने वह माला झटक कर जमीन पर गिरा दी। इससे दुर्वासा ऋषि नाराज हो गए। तब उन्होंने कहा यह मेरे साथ साथ माता लक्ष्मी का भी अपमान है. जो कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और गुस्से में ऋषि ने इंद्र को श्रीहीन यानी लक्ष्मीविहीन होने का श्राप दे दिया।
माता लक्ष्मी की उत्पत्ति का कहानी
दुर्वासा ऋषि के श्राप के परिणाम स्वरूप अष्टलक्ष्मी क्षीर सागर में विलुप्त हो गई थी। अपनी इस दशा से परेशान होकर भगवान इंद्र सभी देवताओं के साथ भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे इस समस्या का समाधान मांगा, तब भगवान विष्णु ने देवताओं को श्री की पुन: स्थापना और असुरों को अमृत का लोभ देकर समुद्र मंथन के लिए तैयार किया. जिसके बाद समुद्र मंथन हुआ। मंथन से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई, जिनमें से माता लक्ष्मी एक थीं। जब माता लक्ष्मी प्रकट हुईं, तो उनके सौंदर्य और आभा ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। वे कमल के फूल पर विराजमान थीं और उनके हाथों में कमल का फूल था। माता लक्ष्मी समृद्धि, वैभव, और सुख-शांति की प्रतीक मानी जाती हैं।
माता लक्ष्मी के स्वयंवर की कहानी
इसके बाद माता लक्ष्मी ने स्वयंवर का आयोजन किया गश, जिसमें देवता, असुर, और ऋषि-मुनि सम्मिलित हुए।सभी को यह देखने की उत्सुकता थी कि लक्ष्मी किसे अपना जीवनसाथी चुनेंगी। माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अपना पति चुना। भगवान विष्णु के पास वे सभी गुण थे, जो माता लक्ष्मी को आकर्षित करते थे, जैसे धर्म की रक्षा, करुणा, और समर्पण। विष्णु और लक्ष्मी का संबंध इस बात का प्रतीक है कि समृद्धि (लक्ष्मी) सदैव धर्म (विष्णु) के साथ होती है। कहा जाता है कि लक्ष्मी गृहस्थों की देवी हैं। लक्ष्मी उन्हीं का चयन करती हैं, जो परिवार और समाज को महत्व देते हैं।