गणतंत्र दिवस परेड में झांकियों का चयन कैसे होता है? जानें पूरी प्रक्रिया

punjabkesari.in Sunday, Jan 26, 2025 - 03:01 PM (IST)

 नारी डेस्क: भारत का गणतंत्र दिवस न केवल देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का उत्सव है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सैन्य गौरव का भी प्रतीक है। 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां शामिल होती हैं, जो उनकी सांस्कृतिक धरोहर, विकास और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। लेकिन क्या सभी राज्यों को समान अवसर मिलता है और कैसे इन झांकियों का चयन किया जाता है? इस सवाल का जवाब जानना भी दिलचस्प है।

झांकियों का चयन प्रक्रिया

गणतंत्र दिवस परेड में हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को अपनी झांकी पेश करने का अवसर नहीं मिलता। इन झांकियों का चयन एक विस्तृत और जटिल प्रक्रिया के तहत किया जाता है। इसमें कई विशेषज्ञों और अधिकारियों की भागीदारी होती है, ताकि परेड के दौरान दिखाई जाने वाली झांकियां देश की विविधता, सांस्कृतिक धरोहर और विकास की दिशा का सही चित्र प्रस्तुत कर सकें।

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 प्रारंभिक चयन और विषय का निर्धारण

हर वर्ष गणतंत्र दिवस परेड की झांकी का विषय अलग होता है, जो उस वर्ष के महत्व और देश की विकासात्मक पहलुओं को दर्शाता है। यह विषय संस्कृति, विज्ञान, सामाजिक विकास, महिला सशक्तिकरण, या ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित हो सकता है। इस विषय के आधार पर, राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश अपनी झांकी तैयार करती हैं।

संगठित प्रक्रिया

केंद्र सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति, जिसमें कला, संस्कृति और इतिहास के विशेषज्ञ शामिल होते हैं, झांकियों के चयन की प्रक्रिया की निगरानी करती है। यह समिति हर राज्य से प्राप्त प्रस्तावों की समीक्षा करती है और यह तय करती है कि कौन सी झांकी परेड में प्रस्तुत की जाएगी। इस चयन प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि झांकी की रचनात्मकता, समग्र विषय और प्रस्तुति की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है।

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 झांकी की प्रस्तुति और डिज़ाइन

झांकी तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को एक निर्धारित समय सीमा दी जाती है। वे अपनी झांकी के डिज़ाइन, निर्माण और सजावट के लिए कलाकारों, शिल्पकारों और डिज़ाइनरों की सहायता लेते हैं। इन झांकियों को सजाने में राज्य की संस्कृति, कला, संगीत और नृत्य को ध्यान में रखा जाता है। इसके साथ ही साथ झांकी का आकार और दृश्यता भी महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि कर्तव्य पथ पर एक साथ कई झांकियां चलती हैं और इनका प्रभावी दृश्य सुनिश्चित करना जरूरी होता है।

आधिकारिक निरीक्षण और अंतिम चयन

झांकी की अंतिम जांच एक निर्णायक समिति द्वारा की जाती है। यह समिति झांकी के विषय, रचनात्मकता, और प्रदर्शन के बारे में अपने विचार देती है। इसके बाद, जो झांकी समिति द्वारा चुनी जाती है, उसे कर्तव्य पथ पर परेड में प्रदर्शित करने के लिए मंजूरी मिलती है।

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क्या सभी राज्यों को समान अवसर मिलता है?

गणतंत्र दिवस परेड में सभी राज्यों को समान अवसर नहीं मिलता है, क्योंकि झांकियों का चयन सीमित संख्या में किया जाता है। हर राज्य को इस चयन प्रक्रिया में भाग लेने का समान अधिकार होता है, लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा और सीमित जगह के कारण सभी राज्यों को मौके नहीं मिल पाते।

कुछ राज्यों को बार-बार मौका मिलता है, जबकि कुछ राज्यों को लम्बे समय बाद अवसर प्राप्त होता है। हालांकि, केंद्र सरकार और परेड समिति यह सुनिश्चित करती है कि विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों की सांस्कृतिक धरोहर और विकास को प्रदर्शित करने का पर्याप्त अवसर प्रदान किया जाए।

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क्यों है यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण?

झांकी चयन की यह प्रक्रिया केवल एक रचनात्मक कड़ी नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र, विविधता और एकता का प्रतीक भी है। गणतंत्र दिवस परेड देश के हर कोने की संस्कृति, कला, और इतिहास को प्रदर्शित करने का अवसर है। यह उन राज्यों और समुदायों को भी मंच प्रदान करता है जो सामान्यतः राष्ट्रीय स्तर पर बहुत अधिक दृश्यता प्राप्त नहीं करते।

गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन भारतीय लोकतंत्र और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। इसके माध्यम से हम अपनी सांस्कृतिक विविधता, प्रगति और सामूहिक ताकत का उत्सव मनाते हैं। झांकियों का चयन एक जटिल और सटीक प्रक्रिया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि देश के हर हिस्से की अद्भुत धरोहर और विकास यात्रा को सही रूप में प्रदर्शित किया जाए।
 

  

 


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Content Editor

Priya Yadav

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