Armaan Malik के दो साल के बेटे को हुई रिकेट्स नाम की बीमारी, जानिए ये क्यों और कैसे होती है
punjabkesari.in Thursday, Mar 06, 2025 - 06:45 PM (IST)

नारी डेस्क: आजकल बच्चों में सही पोषण न होने के कारण कई बीमारियों के होने का खतरा हो जाता है।हाल ही में यूट्यूबर अरमान मलिक और उनकी दोनों पत्नियों कृतिका और पायल के परिवार में इस समय एक बहुत ही परेशान करने वाली स्थिति बन गई है। उनके छोटे बेटे जैद को रिकेट्स जैसी बीमारी हो गई है, जिसके बारे में पता चलने के बाद से दोनों पत्नियां बहुत दुखी और परेशान हैं। कृतिका, जो कि जैद की मां हैं, लगातार रो रही हैं और उनका कहना है कि उनके बच्चे को शायद लोगों की बद्दुआ लग गई है।आइए जानते हैं कि रिकेट्स बच्चो को कैसे होता है और इसे अपने बच्चे को कैसे बचाया जा सकता है।
रिकेट्स बीमारी क्या है?
रिकेट्स एक ऐसी बीमारी है जो आमतौर पर बच्चों में होती है और इसमें हड्डियां कमजोर और मुलायम हो जाती हैं। इस बीमारी की वजह से बच्चों की हड्डियों में दर्द, सूजन, और टेढ़ापन आ सकता है। रिकेट्स मुख्यतः विटामिन डी, कैल्शियम और फास्फोरस की कमी से होती है। ये सभी तत्व हड्डियों की सही विकास के लिए बहुत जरूरी होते हैं।
रिकेट्स के कारण
विटामिन D की कमी: विटामिन D हमारी त्वचा पर सूरज की रोशनी से बनता है और यह कैल्शियम को हड्डियों में अवशोषित करने में मदद करता है। अगर शरीर में विटामिन D की कमी हो, तो हड्डियां सही तरीके से विकसित नहीं हो पातीं।
कैल्शियम और फास्फोरस की कमी: अगर आहार में कैल्शियम और फास्फोरस की कमी हो, तो हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, क्योंकि ये दोनों तत्व हड्डियों को मजबूत बनाए रखते हैं।
खानपान की गड़बड़ी: अगर बच्चों को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल रहे हैं, जैसे दूध, हरी सब्जियाँ, दाल, आदि, तो रिकेट्स हो सकता है।
सूरज की रोशनी की कमी: अगर बच्चे को पर्याप्त धूप नहीं मिलती, तो उनके शरीर में विटामिन D नहीं बन पाता। खासकर उन बच्चों को जो घर के अंदर ज्यादा रहते हैं या जिनका जीवनशैली बाहर कम होती है, उन्हें रिकेट्स का खतरा बढ़ सकता है।
रिकेट्स के लक्षण
1. हड्डियों में दर्द और अकड़न।
2. हड्डियों का कमजोर होना, जिससे वह आसानी से फ्रैक्चर (चटकना) हो सकती हैं।
3. पैरों का टेढ़ा होना (बैताल पैर)।
4. कलाई, घुटने और कोहनी के पास सूजन आना।
5. शरीर में कमजोरी और थकान महसूस होना।
6. हड्डियों की शकल बदलना (जैसे, सिर का आकार बड़ा होना)।
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अपने बच्चे को इस बीमारी से कैसे बचाएं
विटामिन D और कैल्शियम का सेवन: सबसे पहला इलाज है कि बच्चे को विटामिन D और कैल्शियम की सही मात्रा दी जाए। बच्चों को डॉक्टर के निर्देश पर विटामिन D और कैल्शियम की गोलियां दी जा सकती हैं।
धूप में समय बिताना: बच्चों को रोजाना कम से कम 15-30 मिनट सूरज की रोशनी में रहना चाहिए, क्योंकि सूरज की रोशनी से विटामिन D बनता है।
संतुलित आहार: बच्चों को पौष्टिक आहार देना बहुत ज़रूरी है। इसमें हरी सब्जियां, फल, दूध, दही, अंडे, मछली और नट्स शामिल होनी चाहिए।
चिकित्सा उपचार: अगर बीमारी ज्यादा बढ़ गई हो तो डॉक्टर द्वारा दवाइयाँ या कैल्शियम और विटामिन D की विशेष खुराक दी जा सकती है।
शारीरिक व्यायाम: बच्चों को खेलने और दौड़ने-फिरने के लिए प्रेरित करें, ताकि उनकी हड्डियां मजबूत हो सकें।
अगर बच्चे में रिकेट्स के लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ताकि इसका इलाज समय पर किया जा सके।