यूट्रस में क्यों बनती हैं गांठें, महिलाएं कैसी रख सकती हैं बचाव?

punjabkesari.in Friday, Aug 09, 2019 - 04:20 PM (IST)

रसौली या फाइब्रॉइड एक ऐसी गांठ है जो यूट्रस यानि गर्भाश्य (बच्चादानी) में बनती है लेकिन यह कैंसर नहीं है। 16 से 60 साल की उम्र की महिलाओं को यह समस्या अधिक होती है। अक्सर महिलाएं रसौली का नाम सुनकर घबरा जाती हैं। हालांकि इसके कारण कंसीव करने और अनियमित पीरियड्स का सामना करना पड़ता है लेकिन आप सही इलाज और थोड़ी सी सावधानी से इस समस्या को दूर कर सकती हैं। चलिए आज हम आपको बताते हैं बच्चेदानी में गांठ या रसौली किन कारणों से होती है और इसके लक्षण व इलाज क्या है।

 

क्या है गर्भाश्य में रसौली?

इस समस्या में महिला के गर्भाशय में कोई एक मांसपेशी असामान्य रूप से ज्यादा विकसित हो जाती है और यही धीरे-धीरे गांठ का रूप ले लेती है, जोकि एक तरह का ट्यूमर है। महिला के गर्भाशय में पाई जाने वाली ये गांठ मटर के दाने से लेकर क्रिकेट बॉल जितनी बड़ी हो सकती है।

PunjabKesari

इन कारणों से बनती हैं रसौली

-एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ना
-जेनेटिक कारण
-लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन
-गर्भावस्था के दौरान
-अधिक वजन वाली महिलाएं
-जो कभी मां ना बनी हो

PunjabKesari

साथ ही मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन का स्राव बढ़ जाता है, जिससे फाइब्राएड की आशंका ज्यादा रहती है। इसके अलावा चाय, रैड मीट, दूध, मीठा, चावल, धूम्रपान और शराब अधिक मात्रा में खाने से भी रसौली के चांसेस बढ़ जाते हैं।

रसौली के लक्षण

-पीरियड्स के समय ज्यादा ब्लीडिंग
-संबंध बनाने के दौरान दर्द
-कमर, जांघों व पेड़ूं में दर्द व सूजन
-ज्यादा पेशाब आना और कब्ज
-पेट में भारीपन और ब्लोटिंग
-गर्भ ठहरने में दिक्कत
-शरीर में खून की कमी

PunjabKesari

मां बनने में आती है दिक्कत

गर्भाशय में होने वाली गांठ के कारण अंडाणु और शुक्राणु का न‍िषेचन नहीं होने के कारण बांझपन की समस्‍या होती है। आनुवंशिकता, मोटापा, शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा का बढ़ना और लंबे समय तक संतान न होना इसके प्रमुख कारकों में से एक हैं।

इलाज

इस समस्या का समाधान 3 तरीकों से किया जाता है, जिसमें लेप्रोस्कोपी तकनीक, दवाइयां और सर्जरी शामिल है। 

-अब लेप्रोस्कोपी की नई तकनीक के जरिए इस बीमारी इलाज किया जाता है। इस तरीके से अधिक तकलीफ नहीं होती, खून भी ज्यादा नहीं निकलता और सर्जरी के 24 घंटे बाद महिला घर जा सकती है।

-रसौली का इलाज दवाइयों या सर्जरी के द्वारा भी किया जाता है लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि रसौली कितनी बड़ी है। साथ ही यह भी देखा जाता है कि महिला की उम्र क्या है और रसौली किस हिस्से में हैं।

-वहीं सर्जरी करवाने की सलाह तब दी जाती है जब महिला की की उम्र 40-50 साल के बीच में हो, महिला को बच्चा पैदा करने की इच्छा ना हो या रसौली का साइड ज्यादा बड़ी ना हो।

इसके अलावा अगर रसौली का साइज बड़ा नहीं है तो आप इसे कुछ घरेलू नुस्खों सो भी छुटकारा पा सकती हैं।
हल्दी

एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर हल्दी का सेवन शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकाल देता है। यह फायब्रॉइड की ग्रोथ को रोक कर कैंसर का खतरा कम करता है।

PunjabKesari

लहसुन

रसौली की समस्या होने पर खाली पेट रोज 1 लहसुन का सेवन करें। लगातार 2 महीने तक इसका सेवन इस समस्या को जड़ से खत्म कर देता है।

ग्रीन टी पीएं

ग्रीन टी में पाएं जाने वाले एपीगेलोकैटेचिन गैलेट नामक तत्व रसौली की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है इसलिए आप भी रोजाना 2 से 3 कप ग्रीन टी पिएं।

प्‍याज

प्‍याज में सेलेनियम होता है जो कि मांसपेशियों को राहत प्रदान करता है। इसका तेज एंटी-इंफ्लमेट्री गुण फाइब्रॉयड के साइज को सिकोड़ देता है।

बरडॉक रूट

एंटी-इंफ्लेमेंटरी गुण से भरपूर यह जड़ी-बूटी एस्‍ट्रोजन को डिटॉक्‍स कर गर्भाशय फाइब्रॉइड को कम करने में मदद करती है।

PunjabKesari

आंवला

1 चम्‍मच आंवला पाउडर में 1 चम्‍मच शहद मिलाकर रोजाना सुबह खाली पेट लें। इससे रसौली कुछ महीनों में ही सिकुड़ जाएगी।

बादाम

बादाम में ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं जो कि यूट्रस की लाइनिंग को ठीक करते हैं। फाइब्रॉयड ज्‍यादातर यूट्रस की लाइननिंग पर ही होते हैं।

सूरजमुखी बीज

सूरजमुखी बीज में काफी सारा गुड़ फैट और फाइबर होता है। यह फाइब्रॉयड को बनने से रोकते हैं तथा उसके साइज को भी कम करते हैं।

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anjali Rajput

Recommended News

Related News

static